Lok Sabha Speaker: आपातकाल की निंदा करने पर लोकसभा में विपक्ष का हंगामा

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Lok Sabha Speaker आपातकाल की निंदा करने पर लोकसभा में विपक्ष का हंगामा
Lok Sabha Speaker: आपातकाल की निंदा करने पर लोकसभा में विपक्ष का हंगामा

Lok Sabha Speaker Om Birla Address, (आज समाज), नई दिल्ली: बीजेपी सांसद और एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही 18वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सदन के सभी सदस्यों धन्यवाद करने के साथ ही आपातकाल की निंदा की, जिस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। ओम बिरला ने कहा, फिर से सदन के अध्यक्ष के रूप में दायित्व निर्वाहन करने का अवसर देने के लिए मैं पीएम मोदी व सदन के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूं।

18वीं लोकसभा लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया संचालित करने के लिए और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी एक भी वोट पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए गए प्रयासों के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।’

पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार बनी है एनडीए सरकार

ओम बिरला ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। पिछले एक दशक में लोगों की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं, इसलिए, यह हमारा दायित्व बनता है कि उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए हम एकजुट होकर प्रयास करें।

इमरजेंसी लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा की

लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर ओम बिरला ने कहा, ‘ये सदन 1975 में देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की तारीफ करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। इस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लेकिन ओम बिरला ने बोलना जारी रखा।

25 जून 1975 का दिन काला धब्बा

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था।

पूरी दुनिया में भारत की पहचान ‘लोकतंत्र की जननी’ के तौर पर

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, भारत की पहचान पूरी दुनिया में ‘लोकतंत्र की जननी’ के तौर पर है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया। ऐसे भारत पर श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया।

इमरजेंसी में नागरिकों के अधिकार नष्ट किए, आजादी छीनी

ओम बिरला ने कहा, इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। इमरजेंसी का वो समय हमारे देश के इतिहास में एक ह्यअन्याय कालह्ण था, एक काला कालखंड था।