(आज समाज), Lok Sabha Speaker Post, नई दिल्ली: विपक्ष के साथ सहमति न बनने पर आजादी के बाद पहली लोकसभा स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है। एनडीए गठबंधन की ओर से ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर का उम्मीदवार बनाया गया है और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने इस पद के लिए केरल से कांग्रेस सांसद के. सुरेश को उम्मीदवार बनाया है। ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी अध्यक्ष रह चुके हैं। दोनों नेताओं ने मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया। संसद में लोकसभा अध्यक्ष के लिए बुधवार को चुनाव होगा।
राजनाथ ने विपक्षी दलों के नेताओं से किया था संपर्क
दरअसल, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति बनाने को लेकर सोमवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा सभी विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क किया था। खड़गे ने उस दौरान रक्षा मंत्री से कहा था कि हम एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, लेकिन यह समर्थन हम तभी देंगे, जब विपक्ष को उपसभापति का पद मिले। इस पर राजनाथ ने उन्हें फिर से कॉल करने की बात कही थी।
दोनों पक्षों के बीच नहीं बन सकी आम सहमति
राजनाथ ने मंगलवार सुबह फिर लोकसभा स्पीकर पद के लिए आम सहमति बनाने को लेकर विपक्ष के नेताओं से संसद में मुलाकात की, लेकिन इस बैठक में भी दोनों पक्षों के बीच आम सहमति नहीं बन सकी। विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने राजनाथ से कहा कि हम एनडीए उम्मीदवार के समर्थन के लिए तैयार हैं, लेकिन उपसभापति के पद का क्या होगा? विपक्षी गठबंधन की मांग पर राजनाथ ने विपक्ष को कोई आश्वासन नहीं दिया। इसके बाद विपक्ष ने भी लोकसभा स्पीकर के पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार दिया।
सत्ता पक्ष ने सर्वानुमति से राय बनाने की कोशिश नहीं की
आरोप है कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सत्ता पक्ष ने सर्वानुमति से राय बनाने की कोशिश नहीं की। नतीजा ये है कि साफ टकराव सामने नजर आ रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष से सहयोग मांग रहे हैं लेकिन हमारे नेता का अपमान हो रहा है। सरकार की नीयत साफ नहीं है। स्पीकर पद के लिए बुधवार को होने वाली वोटिंग में वही सदस्य हिस्सा ले पाएंगे, जिन्होंने शपथ ले ली है। पिछली बार ओम बिरला निर्विरोध स्पीकर चुने गए थे। तब विपक्षी दलों ने भी उन्हें समर्थन दिया था।
स्पीकर का चुनाव मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा
लोकसभा में ताकत के हिसाब से एनडीए भारी पड़ेगा और लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में ओम बिरला के हारने की स्थिति नहीं दिखती। कहने को ये महज स्पीकर का चुनाव है लेकिन मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी। इंडिया गठबंधन की ओर से भी उम्मीदवार उतारे जाने के बाद सबकी निगााहें एनडीए और इंडिया ब्लाक के अलावा उस तीसरे पक्ष की ओर भी होगी, जो किसी ओर नहीं है। वे जिधर जाएंगे, उधर पलड़ा मजबूत हो सकता है और तभी एनडीए सरकार को सीधे न सही लेकिन अपरोक्ष तौर पर बड़ा झटका लगेगा।
के. सुरेश को लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुभव
के. सुरेश केरल की मावेलिकारा लोकसभा सीट से सांसद हैं। साल 1989 से उनका इस सीट पर कब्जा है। उन्हें लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुभव हैं। वे अब तक 7 बार सांसद बन चुके हैं। साथ ही के सुरेश कांग्रेस की सरकार में 2012 से 2014 तक राज्य मंत्री थे। 2018 में उन्हें केरल कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था। जाने माने दलित नेता के. सुरेश एआईसीसी के सचिव भी रह चुके हैं।
ओम बिरला की सदन में कड़े प्रशासक की छवि
ओम बिरला राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार के सांसद हैं। 2019 में पहली बार इन्हें स्पीकर बनाया गया। एनडीए ने दूसरी बार उन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। ओम बिरला की सदन में कड़े प्रशासक की छवि रही हैं। जानकारी के अनुसार, के. सुरेश के नामांकन पत्र में इंडिया ब्लॉक के सहयोगी डीएमके, शिवसेना (उद्धव), शरद पवार (एनसीपी) और अन्य प्रमुख दलों ने हस्ताक्षर किए हैं। टीएमसी ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।