Loharu News : किसानों को सताने लगा पैराबिल्ट रोग का खतरा, किसानों की बढ़ी परेशानी

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The threat of Parabilta disease started troubling the farmers, the problems of the farmers increased.
पैरा विल्ट रोग से ग्रसित कपास के पौधे।

(Loharu News) लोहारू। किसानों की कपास पर कहर बनकर बरपी ज्येष्ठ माह की तपत और सूर्यदेव की तल्खी ने पहले ही किसानों कपास की फसल को भारी नुकसान किया था। एक जून का आए अंधड़ के कहर से भी किसानों की कपास की फसल बहुत अधिक प्रभावित हुई। जुलाई माह में हुई बरसात ने किसानों को कुछ राहत प्रदान करने का काम किया था। परंतु अब एक बार फिर से क्षेत्र के किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं। कपास की फसलों में पैरा विल्ट रोग का खतरा मंडराने लगा है। इस रोग को फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहते हैं। वहीं कृषि विभाग ने इस रोग के बचाव के लिए एउवाईजरी जारी की है ताकी किसान समय रहते इस रोग का निदान कर अपनी कपास की फसलों को बचा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष लोहारू क्षेत्र में 40 हजार एकड़ में कपास की बुआई हुई थी परंतु इस बार केवल 30 हजार एकड़ में ही कपास की बुआई हुई है। तेज अंधड़ व भयंकर गर्मी के कारण करीब 10 से 12 हजार एकड़ में बोई गई खेती तो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है तथा अधिकतर किसानों ने खेत खाली होने के कारण उनकी जुताई भी कर दी थी। ध्यान रहे जुलाई,अगस्त और सितंबर के महीने में फसल पर अधिक फल के कारण खुराक की जरूरत अधिक होती है। ऐसे समय में पूरी खुराक न मिलने पर फसल को नुकसान होता है कोई ना कोई रोग पनप जाता है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग अधिकतर सुखे दौर के बाद, बारिश के बाद दिखाई देता है इससे पौधे की पत्तियां मुरझाने व सूखने लग जाते हैं रेतीली मिट्टी में पैरा विल्ट की घटना अधिक होती है क्योंकि रेतीली मिट्टी में पोषक तत्व की मात्रा कम पाई जाती है। पैरा विल्ट जिसमें पौधों से तेजी से पानी उड़ता है और वह सूखने लगते हैं।

जून में सूखा झेलने के बाद जुलाई में हुई बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बारिश के बाद से कपास के पत्ते पीले पड़ने के साथ ही धीरे-धीरे पौधे सूखने लगे हैं। कपास की फसलों के सूखने की समस्या के चलते किसानों के माथे पर परेशानी की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। रबी के मौसम में फसलों को पाले की मार ने किसानों को परेशान किया था और अब कपास की फसल में पैरा विल्ट की समस्या से किसान परेशान हैं।

ये करें उपाय: डॉ. सांगवान

कृषि अधिकारी डॉ. विनोद सांगवान ने बताया कि पैरा विल्ट या नया सूखा कपास में यह एक कार्यिकी विक्षोम है। ज्यादा व लगातार बारिश के बाद तेज धूप निकलने की स्थिति में बीटी कपास की फसल में कुछ पौधे सूख जाते हैं इसे पेरा विल्ट कहते हैं। उन्होंने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए इसके लिए 2 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिला कर पतियों पर छिडक़ाव करने से इस रोग से कपास की फसल को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसानों को चाहिए कि आने वाले बरसात के मौसम में खेतों में जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए। इस रोग से कपास की खेती को काफी नुकसान हुआ है।

कपास में हलवा करते समय इस बात का रखें ध्यान

कृषि अधिकारी डॉ. विनोद सांगवान ने बताया कि अभी किसान कपास की फसल में हलवा करने में लगे हुए हैं। इस समय किसानों को हलवा करते समय प्रति एकड़ 15 से 20 केजी पोटाश, व एक बैग डीएपी डालना चाहिए। उन्होंने बताया कि किसानों को इस बात का ध्यान रखना है कि जिन किसानों ने बुवाई के समय यदि यह खुराक दे दी है तो अब इससे बचना चाहिए। वहीं किसान मेवा सिंह आर्य, रविंद्र कस्वां, धर्मपाल बारवास, हवा सिंह बलौदा, रामसिंह शेखावत, आजाद सिंह भंूगला, मंदरूप नेहरा, सूरत सिंह पहलवान, सुभाष सिंघानी, जयसिंह गिगनाऊ, इंद्राज सिंह दमकोरा, उमेद सिंह फरटिया, राजेश बरालू का कहना है कपास में पहले ही काफी नुकसान हुआ है अब पैरा विल्ट रोग ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है। सरकार व प्रशासन से नुकसान की भरपाई के लिए सरकार व प्रशासन से 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है।