Loharu News: रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए किया जा सकता है भूजल रिचार्ज

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rainwater harvesting system
स्थानीय रोडवेज वर्कशॉप के सामने बना रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
(Loharu News) लोहारू। गर्मी के मौसम में प्रदेश के हर हिस्से में पेयजल के लिए अनेक स्थानों पर स्थिति गंभीर होने के बावजूद भी लोग जल संरक्षण के प्रति जागरूक नजर नहीं आ रहे है। दक्षिण हरियाणा में भी दिनोंदिन जलस्तर गहराता जा रहा है जिस कारण आने वाले दिनों में पेयजल समस्या एक विकट रूप धारण कर सकती है। इतना सब कुछ होने के बाद भी डार्क जोन में आने वाले दक्षिण हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में लोग अभी भी बरसात के पानी को सहेजने के प्रति जागरूक नजर नहीं आ रहे हैं वहीं सरकार भी कोई प्रयास नहीं कर रही है।

लोग भी आसानी से अपना सकते हैं यह विधि, गिरते भूजल स्तर में सुधार के लिए कारगर है विधि

अगर क्षेत्र के लोग बरसात के पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी एकत्र करें तो न केवल उनकी कई दिनों तक के पानी की पूर्ति होगी, बल्कि बरसाती पानी की बर्बादी भी रूक सकेगी। भूजल वैज्ञानिकों की माने तो सतनाली, महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली, नांगल चौधरी, बाढड़ा, लोहारू आदि क्षेत्रों में जल स्तर दिनोंदिन घटता जा रहा है। ऐसे में पानी की कीमत को जानकर इसके दुरूपयोग को रोकने के लिए प्रयास करने अति आवश्यक है। भूजल नियंत्रण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 में दक्षिण हरियाणा के अनेक क्षेत्रों को तो डार्क जोन घोषित कर दिया गया था क्योंकि यहां स्थिति इतनी भयावह है कि अनेक जगहों पर 1600 फुट तक की खुदाई के बाद पानी नहीं मिलता।

यह है भूजल रिचार्ज की विधि:-

दक्षिण हरियाणा में प्रति वर्ष जल स्तर गिरता जा रहा है। ऐसे में जल संरक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए मकानों के बरसात के पानी को हम जमीन के नीचे तक पहुंचाकर जलस्तर को ऊपर ला सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके जरिए हम अपने घरों में एकत्र होने वाले बरसात के पानी को व्यर्थ न बहाकर पाइपों व नालियों के द्वारा इसे पुराने कुओं तथा बेकार हो चुके ट्यूबवेलों में डाल दें तो इससे वाटर लेवल बढ़ने की संभावना होती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए साधारण तरीका है जिसमें पैसे भी ज्यादा खर्च नहीं होते। इससे जहां हमें बरसात के पानी का उपयोग कर सकेंगे, वहीं इसे व्यर्थ बहने से भी रोका जा सकता है। इसमें भवन के साथ छत के पाइपों से आने वाले पानी को नालियों में डाला जाता है। वह नाली निर्धारित नलकूप या गड्ढे तक वर्षा जल पहुंचाती है। इस गड्ढे में नीचे बजरी व उसके ऊपर पड़े पत्थरों से पानी में गंदगी नहीं रहती। इससे बरसात का पानी साफ  हो जाता है जिसको गड्ढे में से मोटर के द्वारा बाहर निकाल कर इसका उपयोग कर सकते हैं।

सूखे नलकूपों को भी कर सकते हैं रिचार्ज:-

जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए नलकूप सूखते जा रहे हैं। प्रशासन इन नलकूपों को नकारा कर देता है, मगर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए इन नकारा नलकूपों को भी रिचार्ज किया जा सकता है। बोरिंग का काम करने वाले कामगारों ने बताया कि सरकार द्वारा सूख चुके नलकूप में यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए गांव को एकत्र कर उसे बरसाती पानी डाला जाए तो नलकूप में पानी फिर से आ सकता है। इससे जहां भूजल रिचार्ज होगा, वहीं वर्षा का जल संरक्षित भी कर सकते हैं। इसमें पैसे का भी ज्यादा खर्चा नहीं आएगा।
बॉक्स: इस बारे में नपा सचिव तेजपाल सिंह तंवर ने बताया कि लोहारू शहर में राजकीय मॉडल संस्कृति वमा विद्यालय, रोडवेज वर्कशॉप के सामने, स्वर्ण जयंती पार्क, लाला बहादुर शास्त्री पार्क, लोको कॉलोनी, व शहर के वार्ड नंबर 12 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं। इससे बरसात के जल से भूमिगत जल स्तर को रिचार्ज किया जाता है। उन्होंने बताया कि ये सभी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम 2019 और 2021 में बने हैं जो होल में रनिंग स्टेज में हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत के अनुसार सरकार के निर्देशानुसार और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी बनाए जा सकते हैं ताकि गिरते भूजल स्तर को उठाया जा सके। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।