वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा.मनोज तिवारी के अनुसार कोरोना के कारण मुख्य रूप से लोगों में जो मनोदैहिक लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं उनमें से प्रमुख निम्नलिखित है:-
गले में खराश महसूस करना। जोर लगाकर खाँसने का प्रयास करना, जब वे किसी कार्य या अन्य गतिविधि में व्यस्त रहते हैं उनका ध्यान गले पर नहीं रहता तब तक उन्हें खांसी महसूस नहीं होती और जैसे ही उनका ध्यान गले पड़ जाता है वे खाँसने का प्रयास करने लगते हैं।बार-बार शरीर गर्म (बुखार) होने की शिकायत करना जबकि बुखार नापने पर शरीर का तापमान सामान्य होता है। पेट में दर्द की शिकायत करना। सीने में भारीपन महसूस करना। अत्यधिक पसीना होना। मुंह व गला सूखना । बार-बार दस्त महसूस होना जैसी प्रमुख बातें हैं। व्यक्ति निम्नलिखित सावधानियां को अपनाकर कोरोना से जुड़ी मनोदैहिक समस्याओं से अपने आप को सुरक्षित रख सकता है। कोरोना से जुड़ी खबरें हर समय ना सुने और ना देखने का प्रयास करें। परिवार के सदस्यों, परिचितों, मित्रों एवं रिश्तेदारों से केवल कोरोना के बारे में ही बातचीत ना करें बल्कि कुछ अच्छे एवं सकारात्मक समाचार पर भी चर्चा करें। गूगल एवं सोशल मीडिया पर कोरोना संबंधी अधिक जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास ना करें। दिमाग और शरीर के बीच का संतुलन बनाकर रखें, शरीर और मन दोनों को ही पर्याप्त आराम दें। अपने दिनचर्या को नियमित रखें सुबह उठने एवं रात में सोने के समय का निर्धारण करें, खाना खाने का समय निर्धारित करें।रात में सोने से पहले कोरोना सम्बन्धी सूचना को देखकर, सुनकर या पढ़कर ना सोए। इसके अलावा नियमित व्यायाम करें, ऐसे अवसरों में रिलैक्सेशन एक्सरसाइज अत्यंत प्रभावकारी होते हैं। योग एवं मनन करें। पूजा करें। घर के सदस्यों के साथ आगे की योजनाएं बनाएं घर में बच्चे हो तो उनके साथ उनके पढ़ाई लिखाई के मुद्दों पर चर्चा करें, उनके साथ खेलने का प्रयास करें अपने बचपन के दिनों में खो जाए। अपने पसंद व रुचि का काम करें।ऐसे लोगों से बातचीत एवं सोशल मीडिया पर दूरी बना लें, जो लोग आपको दहशत में डालने वाली बातें अधिक करते हैं। अकेले हैं तो डायरी लिखें, कविता लिखें, कहानी लिखें व पढें, अपने अच्छे दिनों को याद करें, अच्छी फिल्में देखें, अपने जीवन की यादगार फोटो देखें, मनपसंद गाने सुने तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अपनों से जुड़े रहें।अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें, सोचे कि यह समय शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा पुन: हम लोग अपना जीवन सामान्य ढंग से जी सकेंगे। परिवार का कोई सदस्य, परिचित या रिश्तेदार मनोदैहिक विकार से पीड़ित हो वे लोग कुछ सावधानियां रखकर पीड़ित व्यक्ति की सहायता कर सकते हैं। देखभाल करने वाले व्यक्ति का व्यवहार मनोदैहिक विकार से पीड़ित व्यक्ति की समस्या को बढ़ाने एवं कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पीड़ित व्यक्ति से यह कभी ना बोलें कि “यह केवल तुम्हारा नाटक है, ऐसा कुछ नहीं होता है” ऐसा कथन पीड़ित व्यक्ति के समस्याओं को घटाने के बजाय और बढ़ा सकता है।पीड़ित व्यक्ति को दशार्ते रहे कि आपकी परेशानी को हम समझते हैं इससे पीड़ित व्यक्ति को साम्बेगिक सहयोग महसूस होगा और उसके लक्षणों में कमी आएगी। उसे ध्यान, योग, पूजा ध्यान इत्यादि करने में सहयोग प्रदान करें। पीड़ित व्यक्ति के दिनचर्या में सुधार करने तथा उसको नियमित बनाए रखने में सहयोग प्रदान करें। उन्हें सकारात्मक सूचनाएं प्रदान करें। उनसे कहे की हम लोग आपके साथ हैं कोई समस्या हो तो आप तुरंत बताएं, कोरोना जैसी महामारी पहले भी आई और चली गई हैं। सावधानियां रखकर के इस महामारी से आसानी से बचा जा सकता है घबराने का कोई बात नहीं है। उनके निदान एवं उपचार में आवश्यकता अनुसार सहयोग प्रदान करें। मनोदैहिक विकारों के उपचार में मनोचिकित्सा सबसे अधिक मददगार साबित होता ह। आप उचित इलाज के जरिए इस समस्या का निदान खोज सकते हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)