- साढ़े सात दशक बाद आया है करनाल के सामने इतिहास बदलने का अवसर
- पानीपत की चौथी लडाई में अब पहली बार बजा है तुर्रा
Aaj Samaj (आज समाज), Local For Vocal,प्रवीण वालिया, करनाल: चंडीगढ़ के बाद अब करनाल में लोकल फोर वोकल का नारा बुलंद हो रहा है। करनाल – पानीपत संसदीय क्षेत्र में लोकल बनाम बाहरी की लड़ाई बनती जा रही है।
जहां एक तरफ 1952 से अब तक करनाल के साथ हुए पक्षपात और अन्याय की भरपाई करने का दावा करनाल में एनसीपी बीरेंद्र मराठा कर रहे हैं। वहीं वह गांव गांव जाकर कह रहे हैं कि करनाल में ना तों सेहत ना ही शिक्षा और न ही रोजगार की व्यवस्था है। पहली बार उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के पास करनाल के लिए कुछ भी नहीं है।
भाजपा के पास दस साल से कुछ नहीं रहा। कांग्रेस पिछले कई दशकों से करनाल के साथ सौतेला व्यवहार करती आई है। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें चुन कर संसद भेजा तो वह पैट्रोलियम का रोजगार परक संयंत्र लगाने के लिए लड़ाई लड़ेंगे। वह करनाल के लिए इजराइल के सहयोग से डेरी उद्योग का क्लस्टर लगाएंगे। उन्होंने कहा कि करनाल के कल्पना चावला मैडीकल कालेज को एम्स और पीजीआई के बराबर का दर्जा दिलवाएंगे। उन्होंने कहा कि आज करनाल के युवा रोजगार के अभाव में विदेश जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बाहरी नेता को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने दोनों बाहरी नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंनें कहा कि करनाल में नेता कहां हैं।
केवल बाहरी व्यक्तियों का वर्चस्व है। एक सवाल के जबाब में कहा कि पहली बार करनाल के सामने इतिहास बदलने का अवसर आया है। लोग भी अब समझने लगे हैं। करनाल में पहली बार जिस तरह से लोकल का मुद्दा बना है। यह कमाल कर सकता है। वरिंदर मराठा ने कहा कि लोग सवाल करें कि कांग्रेस और भाजपा ने करनाल के लिए क्या किया। कांग्रेस ने केवल रोहतके हिसार सिरसा भिवानी का विकास किया। भाजपा ने सबका साथ सबका विकास का नारा देकर करनाल के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने कहा कि अब लोग समझ रहे हैं।
पानीपत की चौथी लड़ाई साबित होगा चुनाव-
करनाल और पानीपत की धरा पर लगभग तीन सौ साल बाद तुर्रा की अवाज बुलंद हो रही है। वरिंद्र मराठा की सभाओं में तुर्रा की अवाज से माहौल गर्म हो जाता है। लोग कहते हैं कि तुर्रा बाजेगा खट्टर, दिव्यांशु भागेगा। उनके दल में एक साधु भी है जिन्होंने प्रोफेसर गिरी छोड़ दी। 24 साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके साथ राम कुमार कश्यप भी 24 साल से हैं। वह कदम से कदम मिला कर चल रहे है। शिवाजी महाराज की प्रतिमा के समक्ष शपथ लेकर लोग कहते है कि अब पहली बार करनाल में जंग का ऐलान जैसा लग रहा है।