मनोज वर्मा, कैथल:
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि, गुरू तेग बहादुर जी का शौर्य, उनकी गौरव गाथा और उनका समाज के प्रति निभाया गया फर्ज कण-कण में समाया हुआ है। उन्होंने धर्म, मातृभूमि और जनता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान किया, इसलिए उन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। उनकी शहादत हमारे इतिहास में एक विशेष स्थान रखती है। वो एक महान विचारक, योद्धा, पथिक व आध्यात्मिक व्यक्तित्व के धनी थे। वर्तमान युवा पीढ़़ी को गुरूओं के दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए। राज्यमंत्री कमलेश ढांडा नीम साहिब गुरूद्वारा से पानीपत में आयोजित श्री गुरू तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर शामिल होने के लिए संगत को रवाना करने के दौरान बोल रही थी।
राज्यमंत्री कमलेश ढांडा, विधायक लीला राम ने नीम साहिब गुरूद्वारा से 400वें प्रकाश पर्व पर शामिल होने के लिए संगत को किया रवाना
इस अवसर पर उनके साथ विधायक लीला राम, उपायुक्त प्रदीप दहिया व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि, पानीपत की ऐतिहासिक धरती पर भव्य आयोजन गुरुजनों के दिखाए रास्ते पर आज की युवा पीढ़ी को रास्ता दिखाने का एक शानदार मंच साबित हुआ है। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने श्री गुरु नानक देव जी व सभी गुरुओं के प्रकाश और दिव्यता को आगे बढ़ाते हुए गुरु परंपरा के अनुरुप ही धर्म व देश की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की और बलिदान दिया। कैथल में गुरू तेग बहादुर जी को समर्पित गुरूद्वारा नीम साहिब है।
गुरू जी द्वारा दिए नीम के पत्ते खाते ही स्वस्थ हो गया था पीड़ित
जानकारी के अनुसार गुरूजी ठण्डहर तीर्थ पर स्नान करके यहां एक नीम के पेड़ के नीचे ध्यान मग्न थे। श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आने लगे। उन्हीं श्रद्धालुओं में एक बुखार से पीडि़त था। गुरू जी ने उन्हें नीम के पत्ते खाने के लिए दिए और उन्हें खाते ही वह स्वस्थ हो गया। बाद में इसी स्थान पर गुरूद्वारे का निर्माण हुआ, जिसे नीम साहिब के नाम से जाना गया। यह मात्र एक उदाहरण है, त्याग, बलिदान, देश व समाज उत्थान के लिए संकल्पबद्ध महान व्यक्तित्व के प्रताप का।
उन्होंने कहा कि, आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी 17वीं शताब्दी में ही धर्म की आजादी के लिए शहादत देकर प्रत्येक देशवासी के दिल – दिमाग में निडरता से आजाद जीवन जीने का बीज बो दिया था। सहनशीलता, कोमलता और सौम्यता की मिसाल के साथ साथ गुरू तेग बहादुर जी ने हमेशा यही संदेश दिया कि किसी भी इंसान को न तो डराना चाहिए और न ही डरना चाहिए। उन्होंने धर्म की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया और ऐसा कोई संत परमेश्वर ही कर सकता है। संसार को ऐसे बलिदानियों से प्रेरणा मिलती है, जिन्होंने जान तो दे दी, परंतु सत्य का त्याग नहीं किया। नवम पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी भी ऐसे ही बलिदानी थे।
श्री गुरू तेग बहादुर जी ने मानवता के लिए दिया बलिदान : विधायक लीला राम
विधायक लीला राम ने कहा कि, श्री गुरु तेग बहादुर जी ने स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के अधिकारों एवं विश्वासों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अपनी आस्था के लिए बलिदान देने वालों के उदाहरणों से तो इतिहास भरा हुआ है, परंतु किसी दूसरे की आस्था की रक्षा के लिए बलिदान देने की एक मात्र मिसाल है-नवम पातशाह की शहादत।
गुरू तेग बहादुर जी जब अपनी शहीद यात्रा के लिए चले थे और उनके पवित्र चरण कैथल के गढी नजीर में भी पडे थे। गुरूद्वारा श्री गढी नजीर साहिब आज हम जैसे लाखों श्रद्धालुओं के लिए विशेष धरोहर है। इस मौके पर विधायक लीला राम, उपायुक्त प्रदीप दहिया, सीईओ जिप सुरेश राविश, तहसीलदार सुदेश मेहरा, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, प्रवीण सरदाना, रामकुमार नैन, दीपेंद्र कोहली, साहब सिंह, जसविंद्र सिंह, रमेश कुमार आदि मौजूद रहे।