चंडीगढ़। भारत के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में तिरंगा फहराने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) प्रेम नाथ हून ने 90 साल में आखिरी सांस ली। दुश्मनों की कब्र खोद देने वाले जनरल हून ने सोमवार को पंचकूला के कमांड हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। यहां उनका दो दिनों से इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने 6 जनवरी शाम साढ़े पांच बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर को किया जाएगा। जनरल हून के निधन पर पीएम मोदी ने शोक प्रकट किया और ट्वीट कर लिखा कि ‘लेफ्टिनेंट जनरल पी एन हून (सेवानिवृत) के निधन से काफी दुखी हूं। उन्होंने पूरे समर्पण के साथ भारत की सेवा की और हमारे देश को मजबूत एवं अधिक सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।’ उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं मित्रों के साथ है। ओम शांति।
बता दें कि जनरल हून को आपरेश मेघदूत के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1984 में पाकिस्तान द्वारा भारत के कूटनीतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण सियाचीन को कब्जे में लेनी की ख्वावहिश को दफना दिया था और दुनिया के सबसे ऊंचे और अति कठिन युद्ध क्षेत्र को भारत के कब्जे में किया था। लगातार दो सीधी लड़ाइयों में भारत के हाथों परास्त हो चुके पाकिस्तान ने चोरी छुपे सियाचिन पर कब्जे की योजना बनाई थी। 1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि पाकिस्तानी सेना सियाचिन पर कब्जे की तैयारी कर रही है। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने सियाचीन में सेना की तैनाती के लिए यूरोप से सर्दियों में पहने जाने वाले गर्म कपड़ों के भारी आॅर्डर दिए थे। जनरल हून ने आपरेशन ‘मेघदूत’ की अगवाई की और सियाचीन पर तिरंगा फहराया था। उन्होंने सेना के पश्चिमी कमान के पूर्व कमांडर होने के साथ ही उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों में 1962 में चीन के खिलाफ और 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में शामिल होना है।
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