***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-: 30/03/2022,बुधवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष
चैत्र
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*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
तुला
Libra Horoscope 30 March 2022: आज का दिन आपके कार्यक्षेत्र में कुछ नई चुनौतियों को लेकर आएगा, जिनकी उधेड़बुन में आप सारा दिन व्यतीत करेंगे, लेकिन आपको अपने डेली रूटीन में कुछ बदलाव करना पड़ सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। सृजनशीलता का विकास होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। व्यापार-व्यवसाय सुखद रहेगा। जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। संतान संबंधी बुरी सूचना प्राप्त हो सकती है। यदि आपने ऐसा नहीं किया, तो आप अपने कुछ कार्यों की ओर तो ध्यान नहीं दे पाएंगे। यदि आप परिवार के लोगों के साथ किसी यात्रा पर जा रहे हैं, तो उसमें आपको अपने जरूरी दस्तावेजों को ध्यान देना होगा, नहीं तो उनके चोरी होने का भय बना हुआ है। माता जी को ननिहाल पक्ष के लोगों से मेल मिलाप कराने लेकर जा सकते हैं, जिनसे मिलकर लंबे समय बाद आपको भी प्रसन्नता होगी।
तिथि—— त्रयोदशी 13:18:31 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——- शतभिषा10:47:25
योग———— शुभ 12:59:55
करण——- वणिज 13:18:32
करण——विष्टि भद्र 24:47:00
वार———————- बुधवार
माह————————- चैत्र
चन्द्र राशि ——–कुम्भ28:31:36
चन्द्र राशि ———————-मीन
सूर्य राशि—————— मीन
रितु———————–वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर) ————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:13:26
सूर्यास्त————- 18:34:15
दिन काल———– 12:20:49
रात्री काल———– 11:38:03
चंद्रास्त————–16:50:08
चंद्रोदय————- 29:46:34
लग्न—- मीन 15°8′ , 345°8′
सूर्य नक्षत्र——– उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————- शतभिषा
नक्षत्र पाया——————ताम्र
*** पद, चरण ***
सू—- शतभिषा 10:47:25
से—- पूर्वाभाद्रपदा 16:40:40
सो—- पूर्वाभाद्रपदा 22:35:22
दा—- पूर्वाभाद्रपदा 28:31:36
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मीन 15:12 ‘उ o भा o , 4 ञ
चन्द्र =कुम्भ 17°23 ‘शतभिषा , 4 सू
बुध = मीन 11 ° 07’ उo भा o ‘ 3 झ
शुक्र=मकर 28°05, धनिष्ठा ‘ 2 गी
मंगल=मकर 23°30 ‘ धनिष्ठा’ 1 गा
गुरु=कुम्भ 26°30 ‘ पू o भा o, 2 सो
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°40’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°40 विशाखा , 4 तो
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 12:24 – 13:56 अशुभ
यम घंटा 07:46 – 09:19 अशुभ
गुली काल 10:51 – 12:24 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:49 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:59 – 12:49 अशुभ
* पंचक अहोरात्र अशुभ
* चोघडिया, दिन
लाभ 06:13 – 07:46 शुभ
अमृत 07:46 – 09:19 शुभ
काल 09:19 – 10:51 अशुभ
शुभ 10:51 – 12:24 शुभ
रोग 12:24 – 13:56 अशुभ
उद्वेग 13:56 – 15:29 अशुभ
चर 15:29 – 17:02 शुभ
लाभ 17:02 – 18:34 शुभ
* चोघडिया, रात
उद्वेग 18:34 – 20:02 अशुभ
शुभ 20:02 – 21:29 शुभ
अमृत 21:29 – 22:56 शुभ
चर 22:56 – 24:23* शुभ
रोग 24:23* – 25:51* अशुभ
काल 25:51* – 27:18* अशुभ
लाभ 27:18* – 28:45* शुभ
उद्वेग 28:45* – 30:12* अशुभ
होरा, दिन
बुध 06:13 – 07:15
चन्द्र 07:15 – 08:17
शनि 08:17 – 09:19
बृहस्पति 09:19 – 10:20
मंगल 10:20 – 11:22
सूर्य 11:22 – 12:24
शुक्र 12:24 – 13:26
बुध 13:26 – 14:27
चन्द्र 14:27 – 15:29
शनि 15:29 – 16:31
बृहस्पति 16:31 – 17:33
मंगल 17:33 – 18:34
होरा, रात
सूर्य 18:34 – 19:32
शुक्र 19:32 – 20:31
बुध 20:31 – 21:29
चन्द्र 21:29 – 22:27
शनि 22:27 – 23:25
बृहस्पति 23:25 – 24:23
मंगल 24:23* – 25:21
सूर्य 25:21* – 26:20
शुक्र 26:20* – 27:18
बुध 27:18* – 28:16
चन्द्र 28:16* – 29:14
शनि 29:14* – 30:12
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मीन > 05:34 से 07:04 तक
मेष > 07:04 से 09:48 तक
वृषभ > 09:48 से 11:28 तक
मिथुन > 11:28 से 12:48 तक
कर्क > 12:48 से 15:08 तक
सिंह > 15:08 से 16:13 तक
कन्या > 16:13 से 07:25 तक
तुला > 07:25 से 09:56 तक
वृश्चिक > 09:56 से 01:08 तक
धनु > 01:08 से 02:12 तक
मकर > 02:12 से 04:02 तक
कुम्भ > 04:02 से 05:34 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
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दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पानअथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 4 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
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*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:19 से रात्रि 24:51 तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
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*** विशेष जानकारी ***
* मासिक शिवरात्रि
* राजस्थान स्थापना दिवस
*आप्पा जी जोसी जयन्ती
*** शुभ विचार ***
तादृशी जायते बुध्दिर्व्यवसायोऽपि तादृशः ।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता ।।
।।चा o नी o।।
सर्व शक्तिमान के इच्छा से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रीत करता है. उसी की इच्छा से आस पास में मदद करने वाले आ जाते है.
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*** सुभाषितानि ***
गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14
रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत ।,
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा ॥,
हे अर्जुन! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण, सत्त्वगुण और तमोगुण को दबाकर रजोगुण, वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात बढ़ता है॥,10॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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