तुला राशिफल 29 जुलाई 2022

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Libra Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-29/07/2022, शुक्रवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला 

आज का दिन आपके पराक्रम में वृद्धि लेकर आएगा। आपको किसी निकट मित्र की सलाह और सहयोग से अपने बिगड़ते काम ठीक करने का मौका मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति मनोनुकूल रहेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। धन प्राप्ति सुगम होगी। नौकरी में चैन रहेगा। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी। धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर मिल सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। जल्दबाजी न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। राजनितिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के ऊपर कुछ जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ सकता है,फिर भी वह उन्हें पूरी करने में भी सफल रहेंगे। परिवार में आप छोटे बच्चों के साथ कुछ समय खेलकूद में व्यतीत करेंगे,जिससे आपकी मानसिक चिंता समाप्त होगी। परिवार में यदि कोई कलह चल रही थी,वह आज समाप्त होगी और सभी सदस्य एकजुट रहेंगे। विद्यार्थियों को बौद्धिक व मानसिक बोझ से छुटकारा मिलता दिख रहा है।

तिथि ————- प्रतिपदा 25:20:46 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- पुष्य 09:45:37
योग———— सिद्वि 18:33:56
करण——- किन्स्तुघ्न 12:24:27
करण————– बव 25:20:46
वार———————– शुक्रवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————— कर्क
सूर्य राशि—————— कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:41:59
सूर्यास्त————— 19:09:05
दिन काल————- 13:27:05
रात्री काल————–10:33:26
चंद्रोदय—————- 06:01:11
चंद्रास्त—————- 19:56:07

लग्न—- कर्क 11°44′ , 101°44′

सूर्य नक्षत्र———————पुष्य
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

ड—- पुष्य 09:45:37

डी—- आश्लेषा 16:23:42

डू—- आश्लेषा 23:00:45

डे—- आश्लेषा 29:36:42

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 11:12 पुष्य , 3 हो
चन्द्र = कर्क 14 °23, पुष्य , 4 ड
बुध =कर्क 24 ° 07′ आश्लेषा ‘ 3 डे
शुक्र=मिथुन 19°05, आर्द्रा ‘ 4 छ
मंगल=मेष 21°30 ‘ भरणी ‘ 3 ले
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°20’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°20 विशाखा , 2 तू

   

राहू काल 10:45 – 12:26 अशुभ
यम घंटा 15:47 – 17:28 अशुभ
गुली काल 07:23 – 09:04 अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:23 – 09:17 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:46 अशुभ
गंड मूल 09:46 – अहोरात्र अशुभ

**** चोघडिया, दिन
चर 05:42 – 07:23 शुभ
लाभ 07:23 – 09:04 शुभ
अमृत 09:04 – 10:45 शुभ
काल 10:45 – 12:26 अशुभ
शुभ 12:26 – 14:06 शुभ
रोग 14:06 – 15:47 अशुभ
उद्वेग 15:47 – 17:28 अशुभ
चर 17:28 – 19:09 शुभ

**** चोघडिया, रात
रोग 19:09 – 20:28 अशुभ
काल 20:28 – 21:47 अशुभ
लाभ 21:47 – 23:07 शुभ
उद्वेग 23:07 – 24:26* अशुभ
शुभ 24:26* – 25:45* शुभ
अमृत 25:45* – 27:04* शुभ
चर 27:04* – 28:23* शुभ
रोग 28:23* – 29:43* अशुभ

**** होरा, दिन
शुक्र 05:42 – 06:49
बुध 06:49 – 07:57
चन्द्र 07:57 – 09:04
शनि 09:04 – 10:11
बृहस्पति 10:11 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:26
सूर्य 12:26 – 13:33
शुक्र 13:33 – 14:40
बुध 14:40 – 15:47
चन्द्र 15:47 – 16:55
शनि 16:55 – 18:02
बृहस्पति 18:02 – 19:09

**** होरा, रात
मंगल 19:09 – 20:02
सूर्य 20:02 – 20:55
शुक्र 20:55 – 21:47
बुध 21:47 – 22:40
चन्द्र 22:40 – 23:33
शनि 23:33 – 24:26
बृहस्पति 24:26* – 25:19
मंगल 25:19* – 26:11
सूर्य 26:11* – 27:04
शुक्र 27:04* – 27:57
बुध 27:57* – 28:50
चन्द्र 28:50* – 29:43

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:02 से 06:18 तक
सिंह > 06:18 से 08:28 तक
कन्या > 08:28 से 10:38 तक
तुला > 10:38 से 12:53 तक
वृश्चिक > 12:53 से 15:08 तक
धनु > 15:08 से 17:28 तक
मकर > 17:28 से 19:11 तक
कुम्भ > 19:11 से 20:44 तक
मीन > 20:44 से 21:18 तक
मेष > 21:18 से 11:50 तक
वृषभ > 11:50 से 01:42 तक
मिथुन > 01:42 से 04:02 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

1 + 6 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

* जीवंतिका पूजन

*नक्त व्रत प्रारम्भ

**** शुभ विचार ****

अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।
।। चा o नी o।।

सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है. यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है. यदि स्त्री उसके पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप में रखने से कपडे पुराने हो जाते है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

धृत्या यया धारयते मनःप्राणेन्द्रियक्रियाः।,
योगेनाव्यभिचारिण्या धृतिः सा पार्थ सात्त्विकी ॥,

हे पार्थ! जिस अव्यभिचारिणी धारण शक्ति (भगवद्विषय के सिवाय अन्य सांसारिक विषयों को धारण करना ही व्यभिचार दोष है, उस दोष से जो रहित है वह ‘अव्यभिचारिणी धारणा’ है।,) से मनुष्य ध्यान योग के द्वारा मन, प्राण और इंद्रियों की क्रियाओं ( मन, प्राण और इंद्रियों को भगवत्प्राप्ति के लिए भजन, ध्यान और निष्काम कर्मों में लगाने का नाम ‘उनकी क्रियाओं को धारण करना’ है।,) को धारण करता है, वह धृति सात्त्विकी है॥,33॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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