तुला राशिफल 23 जुलाई 2022

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Libra Horoscope 29 August 2022

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-23/07/2022, शनिवार
दशमी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला 

आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहेगा। शत्रु हानि पहुंचा सकते हैं। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। लाभ के अवस रहेंगे। यदि आप जीवनसाथी को या संतान को किसी नए व्यवसाय को करवाने जा रहे हैं, तो उसे छोटा सोचकर ना करें, उसमें आपको सफलता अवश्य मिलेगी। नौकरी कर रह जातकों तो आज प्रमोशन मिल सकता है,जो लोग सट्टेबाजी में धन का निवेश करते हैं, उनके लिए भी दिन बेहतर रहेगा। आपको कार्यक्षेत्र में भी अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। प्रेम जीवन जी रहे लोगों आज शादी के बंधन में बंध सकते हैं। आज आप सुख के साधन जुटाने में व्यस्त रहेंगे और आपके कुछ शत्रु नए भी उत्पन्न हो सकते हैं।

तिथि———– दशमी 11:26:41 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— कृत्तिका 19:01:47
योग————– गण्ड 13:05:26
करण——- विष्टि भद्र 11:26:41
करण————– बव 24:33:38
वार———————– शनिवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:38:48
सूर्यास्त————— 19:12:20
दिन काल————- 13:33:31
रात्री काल————- 10:27:00
चंद्रास्त—————–15:02:05
चंद्रोदय—————- 25:43:18

लग्न—- कर्क 5°59′ , 95°59′

सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया——————- लोहा

**** पद, चरण ****

ई—- कृत्तिका 05:39:34

उ—- कृत्तिका 12:19:59

ए—- कृत्तिका 19:01:47

ओ—- रोहिणी 25:44:47

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 05:12 पुष्य , 1 हु
चन्द्र = वृषभ 03 °23, कृतिका , 3 उ
बुध =कर्क 13 ° 07′ पुष्य ‘ 3 हो
शुक्र=मिथुन 11°05, आर्द्रा ‘ 2 घ
मंगल=मेष 18°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°30 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 09:02 – 10:44 अशुभ
यम घंटा 14:07 – 15:49 अशुभ
गुली काल 05:39 – 07:21 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 07:27 – 08:22 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
काल 05:39 – 07:21 अशुभ
शुभ 07:21 – 09:02 शुभ
रोग 09:02 – 10:44 अशुभ
उद्वेग 10:44 – 12:26 अशुभ
चर 12:26 – 14:07 शुभ
लाभ 14:07 – 15:49 शुभ
अमृत 15:49 – 17:31 शुभ
काल 17:31 – 19:12 अशुभ

**** चोघडिया, रात
लाभ 19:12 – 20:31 शुभ
उद्वेग 20:31 – 21:49 अशुभ
शुभ 21:49 – 23:07 शुभ
अमृत 23:07 – 24:26* शुभ
चर 24:26* – 25:44* शुभ
रोग 25:44* – 27:03* अशुभ
काल 27:03* – 28:21* अशुभ
लाभ 28:21* – 29:39* शुभ

**** होरा, दिन
शनि 05:39 – 06:47
बृहस्पति 06:47 – 07:54
मंगल 07:54 – 09:02
सूर्य 09:02 – 10:10
शुक्र 10:10 – 11:18
बुध 11:18 – 12:26
चन्द्र 12:26 – 13:33
शनि 13:33 – 14:41
बृहस्पति 14:41 – 15:49
मंगल 15:49 – 16:57
सूर्य 16:57 – 18:05
शुक्र 18:05 – 19:12

**** होरा, रात
बुध 19:12 – 20:05
चन्द्र 20:05 – 20:57
शनि 20:57 – 21:49
बृहस्पति 21:49 – 22:41
मंगल 22:41 – 23:34
सूर्य 23:34 – 24:26
शुक्र 24:26* – 25:18
बुध 25:18* – 26:10
चन्द्र 26:10* – 27:03
शनि 27:03* – 27:55
बृहस्पति 27:55* – 28:47
मंगल 28:47* – 29:39

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:30 से 06:40 तक
सिंह > 06:40 से 08:50 तक
कन्या > 08:50 से 11:00 तक
तुला > 11:00 से 13:15 तक
वृश्चिक > 13:15 से 15:30 तक
धनु > 15:30 से 17:50 तक
मकर > 17:50 से 19:31 तक
कुम्भ > 19:31 से 21:06 तक
मीन > 21:06 से 21:40 तक
मेष > 21:40 से 00:12 तक
वृषभ > 00:12 से 02:03 तक
मिथुन > 02:03 से 04:30 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 10 + 7 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष

क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर 11:26 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

**** विशेष जानकारी ****

* सर्वार्थ सिद्धि ,अमृत सिद्धि योग 19:02 तक

*बालगंगाधर तिलत, चन्द्र शेखर आजाद जयंती

**** शुभ विचार ****

संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तेहेतवः ।
अपत्यं च कलत्रं च सतां सड्गतिरेव च ।।
।। चा o नी o।।

जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है उसे निम्नलिखित ही सहारा देते है…
१. पुत्र और पुत्री २. पत्नी ३. भगवान् के भक्त.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

रागी कर्मफलप्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोऽशुचिः।,
हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः॥,

जो कर्ता आसक्ति से युक्त कर्मों के फल को चाहने वाला और लोभी है तथा दूसरों को कष्ट देने के स्वभाववाला, अशुद्धाचारी और हर्ष-शोक से लिप्त है वह राजस कहा गया है॥,27॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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