तुला राशिफल 21 जून 2022

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Libra Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-21/06/2022, मंगलवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तुला

आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहेगा। आपको अपने गुप्त शत्रुओं के प्रति सावधान रहना होगा, क्योंकि वह आपको परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति मार्गदर्शन प्राप्त होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। झंझटों में न पड़ें। व्यवसाय में किए गए प्रयास भी आपके फलीभूत होंगे। जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य पाकर आप अपनी काफी सारी समस्याओं को हल कर पाएंगे, लेकिन आपको धन संबन्धित मामलों में सतर्कता बरतनी होगी। विदेशों से आयात निर्यात का व्यवसाय कर रहे लोगों को किसी डील को समझौते के साथ तय करना होगा।

तिथि———– अष्टमी 20:30:01 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—-उत्तराभाद्रपदा 29:01:55
योग——— आयुष्मान 06:39:17
करण———- बालव 08:39:34
करण———– कौलव 20:30:01
वार———————– मंगलवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——————– मीन
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:43
सूर्यास्त—————- 19:16:17
दिन काल————- 13:50:33
रात्री काल————–10:09:39
चंद्रास्त—————- 12:28:23
चंद्रोदय—————- 24:56:20

लग्न—- मिथुन 5°28′ , 65°28′

सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र———– उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*** पद, चरण ***

दू—- उत्तराभाद्रपदा 10:36:46

थ—- उत्तराभाद्रपदा 16:42:20

झ—- उत्तराभाद्रपदा 22:50:44

ञ—- उत्तराभाद्रपदा 29:01:55

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 05:12 मृगशिरा , 4 की
चन्द्र = मीन 03°23 उ o भा o , 1 दू
बुध =वृषभ 13 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=वृषभ 03°05, कृतिका ‘ 3 उ
मंगल=मीन 25°30 ‘ रेवती ‘ 3 च
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°20’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°20 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 15:49 – 17:32 अशुभ
यम घंटा 08:53 – 10:37 अशुभ
गुली काल 12:21 – 14:05 अशुभ
अभिजित 11:53 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 08:12 – 09:07 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:20 – 24:15* अशुभ

***गंड मूल 29:02* – अहोरात्र अशुभ

***पंचक अहोरात्र अशुभ

***चोघडिया, दिन
रोग 05:26 – 07:10 अशुभ
उद्वेग 07:10 – 08:53 अशुभ
चर 08:53 – 10:37 शुभ
लाभ 10:37 – 12:21 शुभ
अमृत 12:21 – 14:05 शुभ
काल 14:05 – 15:49 अशुभ
शुभ 15:49 – 17:32 शुभ
रोग 17:32 – 19:16 अशुभ

***चोघडिया, रात
काल 19:16 – 20:32 अशुभ
लाभ 20:32 – 21:49 शुभ
उद्वेग 21:49 – 23:05 अशुभ
शुभ 23:05 – 24:21* शुभ
अमृत 24:21* – 25:37* शुभ
चर 25:37* – 26:54* शुभ
रोग 26:54* – 28:10* अशुभ
काल 28:10* – 29:26* अशुभ

***होरा, दिन
मंगल 05:26 – 06:35
सूर्य 06:35 – 07:44
शुक्र 07:44 – 08:53
बुध 08:53 – 10:03
चन्द्र 10:03 – 11:12
शनि 11:12 – 12:21
बृहस्पति 12:21 – 13:30
मंगल 13:30 – 14:39
सूर्य 14:39 – 15:49
शुक्र 15:49 – 16:58
बुध 16:58 – 18:07
चन्द्र 18:07 – 19:16

***होरा, रात
शनि 19:16 – 20:07
बृहस्पति 20:07 – 20:58
मंगल 20:58 – 21:49
सूर्य 21:49 – 22:40
शुक्र 22:40 – 23:30
बुध 23:30 – 24:21
चन्द्र 24:21* – 25:12
शनि 25:12* – 26:03
बृहस्पति 26:03* – 26:54
मंगल 26:54* – 27:44
सूर्य 27:44* – 28:35
शुक्र 28:35* – 29:26

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:16 से 06:32 तक
कर्क > 06:32 से 08:56 तक
सिंह > 08:56 से 11:00 तक
कन्या > 11:04 से 13:16 तक
तुला > 13:16 से 15:31 तक
वृश्चिक > 15:31 से 17:46 तक
धनु > 17:46 से 19:56 तक
मकर > 19:56 से 21:38 तक
कुम्भ > 21:38 से 23:12 तक
मीन > 23:12 से 00:38 तक
मेष > 00:38 से 02:26 तक
वृषभ > 02:26 से 04:16 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 8 + 3 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*भौमाष्टमी

*कालाष्टमी, बोहराष्टमी

* वर्षा ऋतु प्रारम्भ सायन

*रवि दक्षिणायन प्रारम्भ सायन

* सर्वार्थ सिद्धि योग 29:02 तक

* पद्माकर भट्टाचार्य पटोत्सव

*निंबार्काचार्यनिकुंज बिहारी का 30वा पाटोत्सव

*** शुभ विचार ***

एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः ।
चतुर्भिर्गमनं क्षेत्रं पंचभिर्बहुभी रणम् ।।
।। चा o नी o।।

जब आप तप करते है तो अकेले करे.
अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे.
गायन करते है तो तीन लोग करे.
कृषि चार लोग करे.
युद्ध अनेक लोग मिलकर करे.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

ॐ तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।,
ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा॥,

ॐ, तत्‌, सत्‌-ऐसे यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है, उसी से सृष्टि के आदिकाल में ब्राह्मण और वेद तथा यज्ञादि रचे गए॥,23॥,

आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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