Libra Horoscope 17 March 2022 तुला राशिफल 17 मार्च 2022

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Libra Horoscope 17 March 2022

Libra Horoscope 17 March 2022 तुला राशिफल 17 मार्च 2022

**|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् *** 
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक-: 17/03/2022,गुरुवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
*** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला

Libra Horoscope 17 March 2022: चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें, बाकी सामान्य रहेगा। प्रयास अधिक करने पर भी उचित सफलता मिलने में संदेह है। कार्य में विलंब के भी योग हैं। आर्थिक हानि हो सकती है। पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण रहेगा। आज का दिन आपके लिए कठिन परिश्रम करने के लिए रहेगा। आपको व्यापार में लाभ पाने के लिए कठिन परिश्रम करने होंगे, लेकिन फिर भी आपको मन मुताबिक लाभ नहीं मिलेगा, जिसके कारण आपका मन थोड़ा दुखी होगा, लेकिन आप अपनी जिम्मेदारीयों की पूर्ति करने में सफल रहेंगे।

तिथि——चतुर्दशी 13:29:20 तक
पक्ष———————- शुक्ल
नक्षत्र– पूर्वाफाल्गुनी 24:32:59
योग———— शूल 25:06:27
करण——- वणिज 13:29:20
करण——विष्टि भद्र 25:11:46
वार——————– गुरूवार
माह———————फाल्गुन
चन्द्र राशि ——————– सिंह
सूर्य राशि—————— मीन
रितु———————- वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर———————प्लव
संवत्सर (उत्तर)————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—– 2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:28:00
सूर्यास्त————– 18:27:26
दिन काल———– 11:59:25
रात्री काल———– 11:59:27
चंद्रोदय————– 17:38:35
चंद्रास्त————– 30:35:52

लग्न—-मीन 2°15′ , 332°15′

सूर्य नक्षत्र——— पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र——— पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र पाया—————–रजत

*** पद, चरण ***

टा—- पूर्वाफाल्गुनी 12:30:24

टी—- पूर्वाफाल्गुनी 18:32:39

टू—- पूर्वाफाल्गुनी 24:32:59

***  ग्रह गोचर  ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** *** 
सूर्य=मीन 02:12 ‘पू o भा o , 4 दी
चन्द्र =सिंह 16°23, पू o फा o , 2 टा
बुध = कुम्भ 17 ° 07 ‘ शतभिषा ‘ 4 सू
शुक्र=मकर 15°05, श्रवण ‘ 2 खू
मंगल=मकर 14°30 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
गुरु=कुम्भ 23°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 25°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 01°20’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°20 विशाखा , 4 तो

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 13:58 – 15:28 अशुभ
यम घंटा 06:28 – 07:58 अशुभ
गुली काल 09:28 – 10:58 अशुभ
अभिजित 12:04 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:28 – 11:16 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:16 – 16:04 अशुभ

*** चोघडिया, दिन *** 
शुभ 06:28 – 07:58 शुभ
रोग 07:58 – 09:28 अशुभ
उद्वेग 09:28 – 10:58 अशुभ
चर 10:58 – 12:28 शुभ
लाभ 12:28 – 13:58 शुभ
अमृत 13:58 – 15:28 शुभ
काल 15:28 – 16:58 अशुभ
शुभ 16:58 – 18:27 शुभ

*** चोघडिया, रात *** 
अमृत 18:27 – 19:57 शुभ
चर 19:57 – 21:27 शुभ
रोग 21:27 – 22:57 अशुभ
काल 22:57 – 24:27* अशुभ
लाभ 24:27* – 25:57* शुभ
उद्वेग 25:57* – 27:27* अशुभ
शुभ 27:27* – 28:57* शुभ
अमृत 28:57* – 30:27* शुभ

*** होरा, दिन *** 
बृहस्पति 06:28 – 07:28
मंगल 07:28 – 08:28
सूर्य 08:28 – 09:28
शुक्र 09:28 – 10:28
बुध 10:28 – 11:28
चन्द्र 11:28 – 12:28
शनि 12:28 – 13:28
बृहस्पति 13:28 – 14:28
मंगल 14:28 – 15:28
सूर्य 15:28 – 16:28
शुक्र 16:28 – 17:27
बुध 17:27 – 18:27

*** होरा, रात *** 
चन्द्र 18:27 – 19:27
शनि 19:27 – 20:27
बृहस्पति 20:27 – 21:27
मंगल 21:27 – 22:27
सूर्य 22:27 – 23:27
शुक्र 23:27 – 24:27
बुध 24:27* – 25:27
चन्द्र 25:27* – 26:27
शनि 26:27* – 27:27
बृहस्पति 27:27* – 28:27
मंगल 28:27* – 29:27
सूर्य 29:27* – 30:27

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मीन > 06:26 से 07:57 तक
मेष > 07:57 से 10:40 तक
वृषभ > 10:40 से 12:21 तक
मिथुन > 12:21 से 13:45 तक
कर्क > 13:45 से 16:05 तक
सिंह > 16:05 से 17:09 तक
कन्या > 17:09 से 08:21 तक
तुला > 08:21 से 10:52 तक
वृश्चिक > 10:52 से 02:04 तक
धनु > 02:04 से 03:08 तक
मकर > 03:08 से 04:58 तक
कुम्भ > 04:58 से 06:26 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार *** 

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान *** 
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

14 + 5 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

चन्द्र ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल ***

14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक

*** भद्रा वास एवं फल ***

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर13:29 से रात्रि 25:11 तक

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*** विशेष जानकारी *** 

* पूर्णिमा व्रत

* होलिका दहन रात्रि 21:05 से 22:15 तक

* चतुर्भुज लक्ष्मी विवाह रंगजी मन्दिर वृन्दावन

* मीरा जयन्ती

* आष्टाहीक जैन व्रत समाप्त

*** शुभ विचार ***

अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।
।।।चा o नी o।।

सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है. यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है. यदि स्त्री उसके पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप में रखने से कपडे पुराने हो जाते है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः ।,
शरीरस्थोऽपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते ॥,

हे अर्जुन! अनादि होने से और निर्गुण होने से यह अविनाशी परमात्मा शरीर में स्थित होने पर भी वास्तव में न तो कुछ करता है और न लिप्त ही होता है॥,31॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** ***
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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