तुला राशिफल 09 जून 2022

0
332

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-09/06/2022, गुरुवार
नवमी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला

आज आपको परिवार के किसी सदस्य की ओर से कोई खुशखबरी सुनने को मिलेगी। वाहन चलाते समय आपको सावधानी बरतनी होगी, नहीं तो वाहन की अक्समात खराबी के कारण आपको परेशान होना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में आप लोगों से अपना काम निकलवाने में कामयाब रहेंगे। आपको वाणी की मधुरता को बनाए रखना होगा। यदि आस पड़ोस में कोई वाद-विवाद हो, तो आपको उसे आपस में मिलकर ही निपटा लेना बेहतर रहेगा, नहीं तो वह कानूनी हो सकता है। यदि आप किसी से धन उधार लेंगे, तो वह आपको आसानी से मिल जाएगा। संतान पक्ष से स्वास्थ्‍य तथा अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यशैली में परिवर्तन करना पड़ सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड मनोनुकूल लाभ देंगे।

तिथि———– नवमी 08:20:52 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———— हस्त 28:25:02
योग——— व्यतापता 25:47:43
करण———– कौलव 08:20:51
करण———– तैतुल 19:58:57
वार———————– गुरूवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————- कन्या
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————–1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:32
सूर्यास्त—————- 19:12:31
दिन काल————- 13:47:58
रात्री काल————- 10:12:00
चंद्रोदय—————- 13:49:08
चंद्रास्त—————- 26:03:26

लग्न—- वृषभ 24°0′ , 54°0′

सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

पू—- हस्त 10:32:41

ष—- हस्त 16:33:00

ण—- हस्त 22:30:27

ठ—- हस्त 28:25:02

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 24:12 मृगशिरा , 1 वे
चन्द्र = कन्या 10°23 , हस्त। , 1 पू
बुध =वृषभ 03 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 19°05, भरणी ‘ 2 लू
मंगल=मीन 16°30 ‘ रेवती ‘ 1 दे
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°00’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°00 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 14:02 – 15:46 अशुभ
यम घंटा 05:25 – 07:08 अशुभ
गुली काल 08:52 – 10:35 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 10:01 – 10:56 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:32 – 16:27 अशुभ

***चोघडिया, दिन
शुभ 05:25 – 07:08 शुभ
रोग 07:08 – 08:52 अशुभ
उद्वेग 08:52 – 10:35 अशुभ
चर 10:35 – 12:19 शुभ
लाभ 12:19 – 14:02 शुभ
अमृत 14:02 – 15:46 शुभ
काल 15:46 – 17:29 अशुभ
शुभ 17:29 – 19:13 शुभ

***चोघडिया, रात
अमृत 19:13 – 20:29 शुभ
चर 20:29 – 21:46 शुभ
रोग 21:46 – 23:02 अशुभ
काल 23:02 – 24:19* अशुभ
लाभ 24:19* – 25:35* शुभ
उद्वेग 25:35* – 26:52* अशुभ
शुभ 26:52* – 28:08* शुभ
अमृत 28:08* – 29:25* शुभ

***होरा, दिन
बृहस्पति 05:25 – 06:34
मंगल 06:34 – 07:43
सूर्य 07:43 – 08:52
शुक्र 08:52 – 10:01
बुध 10:01 – 11:10
चन्द्र 11:10 – 12:19
शनि 12:19 – 13:28
बृहस्पति 13:28 – 14:37
मंगल 14:37 – 15:46
सूर्य 15:46 – 16:55
शुक्र 16:55 – 18:04
बुध 18:04 – 19:13

***होरा, रात
चन्द्र 19:13 – 20:04
शनि 20:04 – 20:55
बृहस्पति 20:55 – 21:46
मंगल 21:46 – 22:37
सूर्य 22:37 – 23:28
शुक्र 23:28 – 24:19
बुध 24:19* – 25:10
चन्द्र 25:10* – 26:01
शनि 26:01* – 26:52
बृहस्पति 26:52* – 27:43
मंगल 27:43* – 28:34
सूर्य 28:34* – 29:25

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 03:08 से 05:08 तक
मिथुन > 05:08 से 07:19 तक
कर्क > 07:19 से 09:36 तक
सिंह > 09:36 से 11:44 तक
कन्या > 11:44 से 14:00 तक
तुला > 14:00 से 16:15 तक
वृश्चिक > 16:15 से 18:36 तक
धनु > 18:36 से 20:36 तक
मकर > 20:36 से 22:22 तक
कुम्भ > 22:22 से 23:55 तक
मीन > 23:55 से 01:22 तक
मेष > 01:22 से 03:08 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

9 + 5 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

*** शुक्र ग्रह मुखहुति ***

*** शिव वास एवं फल -:

9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* महेश नवमी

* गंगा दशमी

* श्री गंगा दशहरा (हरिद्वार मेला)

* श्री हरि जयंती

* बटुक भैरव जयंती

*** शुभ विचार ***

अलिरयं नलिनीदलमध्यगः
कमलिनीमकरन्दमदालसः ।
विधिवशात्परदेशमुपागतः
कुटजपुष्परसं बहु मन्यते ।।
।। चा o नी o।।

यह मधु मक्खी जो कमल की नाजुक पंखडियो में बैठकर उसके मीठे मधु का पान करती थी, वह अब एक सामान्य कुटज के फूल पर अपना ताव मारती है. क्यों की वह ऐसे देश में आ गयी है जहा कमल है ही नहीं, उसे कुटज के पराग ही अच्छे लगते है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः।,
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः॥,

कड़वे, खट्टे, लवणयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात्‌ भोजन करने के पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते हैं॥,9॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

यह भी पढ़ें  महादेव की आराधना से मिलता है मोक्ष 

यह भी पढ़ें हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन 

ये भी पढ़ें : सोमवती अमावस्या के दिन दुर्लभ संयोग

ये भी पढ़ें : पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ  

Connect With Us : Twitter Facebook