Libra Horoscope 09 April 2022

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Libra Horoscope 09 April 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक -: 09/04/2022, शनिवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला

Libra Horoscope 09 April 2022: आज का दिन आपके लिए सामान्य रहने वाला है। आप अपने दोस्तों व प्रियजनों की शिकायतों के बाद उनके घर मेल मिलाप करने जा सकते हैं। दूर से अच्छी खबर प्राप्त हो सकती है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। कोई बड़ा काम करने की योजना बनेगी। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर में अतिथियों पर व्यय होगा। किसी मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। प्रसन्नता रहेगी। यदि जीवनसाथी से कोई अनबन चल रही है, तो आज आपको उन्हें मनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। संतान का धार्मिक कार्यों के प्रति रुझान देखकर आपको प्रसन्नता होगी। यदि व्यापार में कोई लेन-देन की समस्या लंबे समय से चल रही थी, तो वह समाप्त होगी। सायंकाल का समय आप किसी व्यापार की नई योजना को लांच कर सकते हैं, जो आपके लिए लाभदायक रहेगी।

 

तिथि———– अष्टमी 25:23:20 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— पुनर्वसु 28:29:34
योग———- अतिगंड 11:22:32
करण——- विष्टि भद्र 12:16:33
करण————– बव 25:23:20
वार———————- शनिवार
माह———————— चैत्र
चन्द्र राशि—— मिथुन 21:49:47
चन्द्र राशि—————— कर्क
सूर्य राशि——————- मीन
रितु———————— वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————— नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———-2078
शाका संवत—————- 1944

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वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:02:28
सूर्यास्त————— 18:39:28
दिन काल————- 12:36:59
रात्री काल————- 11:21:56
चंद्रोदय————— 11:34:30
चंद्रास्त—————- 26:01:31

लग्न—- मीन 24°59′ , 354°59′

सूर्य नक्षत्र—————— रेवती
चन्द्र नक्षत्र—————— पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

के—- पुनर्वसु 08:25:51

को—- पुनर्वसु 15:08:29

हा—- पुनर्वसु 21:49:47

ही—- पुनर्वसु 28:29:34

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** 
सूर्य=मीन 24:12 रेवती , 3 च
चन्द्र =मिथुन 22°23, पुनर्वसु, 1 के
बुध = मीन 01 ° 07′ अश्विनी ‘ 1 चु
शुक्र=कुम्भ 09°05, धनिष्ठा ‘ 1 गो
मंगल=कुम्भ 01°30 ‘ धनिष्ठा’ 3 गु
गुरु=कुम्भ 28°30 ‘ पू o भा o, 3 दा
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°10 विशाखा , 4 तो

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 09:12 – 10:46 अशुभ
यम घंटा 13:56 – 15:30 अशुभ
गुली काल 06:02 – 07:37। अशुभ
अभिजित 11:56 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 07:43 – 08:34 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 06:02 – 07:37 अशुभ
शुभ 07:37 – 09:12 शुभ
रोग 09:12 – 10:46 अशुभ
उद्वेग 10:46 – 12:21 अशुभ
चर 12:21 – 13:56 शुभ
लाभ 13:56 – 15:30 शुभ
अमृत 15:30 – 17:05 शुभ
काल 17:05 – 18:39 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 18:39 – 20:05 शुभ
उद्वेग 20:05 – 21:30 अशुभ
शुभ 21:30 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:20* शुभ
चर 24:20* – 25:46* शुभ
रोग 25:46* – 27:11* अशुभ
काल 27:11* – 28:36* अशुभ
लाभ 28:36* – 30:01* शुभ

होरा, दिन
शनि 06:02 – 07:06
बृहस्पति 07:06 – 08:09
मंगल 08:09 – 09:12
सूर्य 09:12 – 10:15
शुक्र 10:15 – 11:18
बुध 11:18 – 12:21
चन्द्र 12:21 – 13:24
शनि 13:24 – 14:27
बृहस्पति 14:27 – 15:30
मंगल 15:30 – 16:33
सूर्य 16:33 – 17:36
शुक्र 17:36 – 18:39

होरा, रात
बुध 18:39 – 19:36
चन्द्र 19:36 – 20:33
शनि 20:33 – 21:30
बृहस्पति 21:30 – 22:27
मंगल 22:27 – 23:24
सूर्य 23:24 – 24:20
शुक्र 24:20* – 25:17
बुध 25:17* – 26:14
चन्द्र 26:14* – 27:11
शनि 27:11* – 28:08
बृहस्पति 28:08* – 29:05
मंगल 29:05* – 30:01

***  उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मीन > 04:56 से 06:22 तक
मेष > 06:22 से 09:08 तक
वृषभ > 09:08 से 10:48 तक
मिथुन > 10:48 से 12:08 तक
कर्क > 12:08 से 14:28 तक
सिंह > 14:28 से 15:32 तक
कन्या > 15:32 से 07:46 तक
तुला > 07:46 से 09:12 तक
वृश्चिक > 09:12 से 00:24 तक
धनु > 00:24 से 01:28 तक
मकर > 01:28 से 03:14 तक
कुम्भ > 03:14 से 04:56 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

8 + 7 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर 12:16 तक

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

विशेष जानकारी

*नवरात्रि अष्टम दिवस महागौरी पूजन

* दुर्गाष्टमी व्रत

* मेला नई सेमरी, कात्यायनी वृन्दावन

*** शुभ विचार ***

नैव पश्यति जन्माधः कामान्धो नैव पश्यति ।
मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति ।।
।। चा o नी o।।

जो जन्म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते. अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्‌ ।,
रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्‌ ॥,

श्रेष्ठ कर्म का तो सात्त्विक अर्थात् सुख, ज्ञान और वैराग्यादि निर्मल फल कहा है, राजस कर्म का फल दुःख एवं तामस कर्म का फल अज्ञान कहा है॥,16॥

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** ***
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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