तुला राशिफल 06 अगस्त 2022

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Libra Horoscope 29 August 2022

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-06/08/2022, शनिवार
नवमी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

तुला 

आज का दिन आपकी व्यापारिक प्रतिष्ठा में वृद्धि दिलाने वाला रहेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध होंगे, प्रयास करें। प्रसन्नता रहेगी। उत्तम मनोबल आपकी सभी समस्याओं को हल कर देगा। प्रतिष्ठित जनों से मेलजोल बढ़ेगा। व्यापार में नए प्रस्ताव मिलेंगे। नए नए कार्य करके से कुछ सीखने में भी आप सफल रहेंगे। आपकी रुचि ऑनलाइन कार्य की ओर बढ़ेगी। विद्यार्थी जातक अपनी शैक्षणिक दिशा में कुछ परिवर्तन कर सकते हैं। सायंकाल के समय आपको शीघ्रगामी वाहनों के प्रयोग से सावधानी बरतनी होगी, नहीं तो किसी दुर्घटना के होने का भय सता रहा है। आप अपने साथ-साथ औरों के कामों में भी हाथ बढ़ाएंगे। माता जी से आप किसी पिछली की हुई गलती के लिए माफी मांग सकते हैं।

तिथि———– नवमी 26:10:30 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— विशाखा 17:50:27
योग———— शुक्ल 12:40:22
करण———– बालव 15:07:49
करण———– कौलव 26:10:30
वार———————– शनिवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——- तुला 12:05:17
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन

सूर्योदय————— 05:46:14
सूर्यास्त—————- 19:03:37
दिन काल————- 13:17:22
रात्री काल————- 10:43:09
चंद्रोदय————— 13:32:42
चंद्रास्त————— 24:26:21

लग्न—- कर्क 19°23′ , 109°23′

सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

तू—- विशाखा 06:17:53

ते—- विशाखा 12:05:17

तो—- विशाखा 17:50:27

ना—- अनुराधा 23:33:24

नी—- अनुराधा 29:14:10

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 19:12 अश्लेषा , 1 डी
चन्द्र = तुला 26 °23, विशाखा, 2 तु
बुध =सिंह 08 ° 07′ मघा ‘ 3 मू
शुक्र=मिथुन 28°05, पुनर्वसु ‘ 3 हा
मंगल=मेष 27°30 ‘ कृतिका ‘ 1 अ
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 23°50’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 23°50 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 09:06 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 14:05 – 15:44 अशुभ
गुली काल 05:46 – 07:26 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 07:33 – 08:26 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
काल 05:46 – 07:26 अशुभ
शुभ 07:26 – 09:06 शुभ
रोग 09:06 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:25 अशुभ
चर 12:25 – 14:05 शुभ
लाभ 14:05 – 15:44 शुभ
अमृत 15:44 – 17:24 शुभ
काल 17:24 – 19:04 अशुभ

**** चोघडिया, रात
लाभ 19:04 – 20:24 शुभ
उद्वेग 20:24 – 21:44 अशुभ
शुभ 21:44 – 23:05 शुभ
अमृत 23:05 – 24:25* शुभ
चर 24:25* – 25:46* शुभ
रोग 25:46* – 27:06* अशुभ
काल 27:06* – 28:26* अशुभ
लाभ 28:26* – 29:47* शुभ

**** होरा, दिन
शनि 05:46 – 06:53
बृहस्पति 06:53 – 07:59
मंगल 07:59 – 09:06
सूर्य 09:06 – 10:12
शुक्र 10:12 – 11:18
बुध 11:18 – 12:25
चन्द्र 12:25 – 13:31
शनि 13:31 – 14:38
बृहस्पति 14:38 – 15:44
मंगल 15:44 – 16:51
सूर्य 16:51 – 17:57
शुक्र 17:57 – 19:04

**** होरा, रात
बुध 19:04 – 19:57
चन्द्र 19:57 – 20:51
शनि 20:51 – 21:44
बृहस्पति 21:44 – 22:38
मंगल 22:38 – 23:32
सूर्य 23:32 – 24:25
शुक्र 24:25* – 25:19
बुध 25:19* – 26:12
चन्द्र 26:12* – 27:06
शनि 27:06* – 27:59
बृहस्पति 27:59* – 28:53
मंगल 28:53* – 29:47

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 03:34 से 05:46 तक
सिंह > 05:47 से 07:56 तक
कन्या > 07:56 से 10:06 तक
तुला > 10:06 से 12:20 तक
वृश्चिक > 12:20 से 14:36 तक
धनु > 14:36 से 16:56 तक
मकर > 16:56 से 18:40 तक
कुम्भ > 18:40 से 20:12 तक
मीन > 20:12 से 20:46 तक
मेष > 20:46 से 11:18 तक
वृषभ > 11:18 से 01:10 तक
मिथुन > 01:10 से 03:30 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

9 + 7 + 1 = 17 ÷ 4 = 1शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

****  भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

*श्री हरि: जयंती

* अश्वत्थ मारुति पूजन

**** शुभ विचार ****

मूर्खाणां पण्डिता द्वेष्या अधनानां महाधनाः ।
वरांगना कुलस्त्रीणां सुभगानां च दुर्भगा ।।
।। चा 0नी 0।।

मूढ़ लोग बुद्धिमानो से इर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से इर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इर्ष्या करती है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

शमो दमस्तपः शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च।,
ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम्‌ ॥,

अंतःकरण का निग्रह करना, इंद्रियों का दमन करना, धर्मपालन के लिए कष्ट सहना, बाहर-भीतर से शुद्ध (गीता अध्याय 13 श्लोक 7 की टिप्पणी में देखना चाहिए) रहना, दूसरों के अपराधों को क्षमा करना, मन, इंद्रिय और शरीर को सरल रखना, वेद, शास्त्र, ईश्वर और परलोक आदि में श्रद्धा रखना, वेद-शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन करना और परमात्मा के तत्त्व का अनुभव करना- ये सब-के-सब ही ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं॥,42॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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