Libra Horoscope 03 March 2022: तुला राशिफल 03 मार्च 2022

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Libra Horoscope 03 March 2022

Virgo Horoscope 03 March 2022

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***|| जय श्री राधे ||***
***||महर्षि पाराशर पंचांग ||***
***||अथ पंचांगम् ||***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-:03/03/2022, गुरुवार

तुला

Libra Horoscope 03 March 2022: अपना ख्याल रखें क्योंकि चोट व रोग हो सकते हैं आपका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। किसी भी कार्य को करने में जल्दबाजी न करें जल्दबाजी करने से आपको हानि हो सकती है। नए लोगों पर विश्वास न करें विश्वास करने पर लोग आपको हानि पंहुचा सकते हैं। जरा संभल कर कार्य करें क्योंकि कार्य में बाधा होने की संभावना है। पत्नी से आश्वासन मिलेगा। स्वयं के निर्णय लाभप्रद रहेंगे। मानसिक संतोष, प्रसन्नता रहेगी। नए विचार, योजना पर चर्चा होगी। दूसरों की नकल न करें।

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प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि——–प्रतिपदा 21:36:04 तक
पक्ष———————–शुक्ल
नक्षत्र—–पूर्वभाद्रपदा25:54:55
योग———- साध्य 27:26:55
करण—– किन्स्तुघ्न 10:15:53
करण———- बव 21:36:04
वार——————— गुरूवार
माह———————-फाल्गुन
चन्द्र राशि ——-कुम्भ 20:02:05
चन्द्र राशि ——————— मीन
सूर्य राशि—————— कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन———————वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर)————- आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—– 2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:43:04
सूर्यास्त————– 18:19:32
दिन काल —————11:36:28
रात्री काल———– 12:22:30
चंद्रोदय————– 07:14:53
चंद्रास्त————– 19:03:39

लग्न—- कुम्भ 18°16′ , 318°16′

सूर्य नक्षत्र————- शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र——— पूर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र पाया—————–ताम्र

??? पद, चरण ???

से—- पूर्वाभाद्रपदा 08:22:53

सो—- पूर्वाभाद्रपदा 14:11:26

दा—- पूर्वाभाद्रपदा 20:02:05

दी—-पूर्वाभाद्रपदा 25:54:55

??? ग्रह गोचर ???

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कुम्भ 18:12 ‘ शतभिषा , 4 सू
चन्द्र =मकर 22°23 पू oभाo , 1 से
बुध = मकर 25 ° 07 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
शुक्र=मकर 03°05, उ oषा o ‘ 2 भो
मंगल=मकर 03°30 ‘ उ o षा o ‘ 2 भो
गुरु=कुम्भ 20°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 24°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 02°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 02°10 विशाखा , 4 तो

मुहूर्त प्रकरण

राहू काल 13:58 – 15:25 अशुभ
यम घंटा 06:43 – 08:10 अशुभ
गुली काल 09:37 – 11:04 अशुभ
अभिजित 12:08 -12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 10:35 – 11:22 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:14 – 16:00 अशुभ

पंचक अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
शुभ 06:43 – 08:10 शुभ
रोग 08:10 – 09:37 अशुभ
उद्वेग 09:37 – 11:04 अशुभ
चर 11:04 – 12:31 शुभ
लाभ 12:31 – 13:58 शुभ
अमृत 13:58 – 15:25 शुभ
काल 15:25 – 16:52 अशुभ
शुभ 16:52 – 18:20 शुभ

?चोघडिया, रात
अमृत 18:20 – 19:52 शुभ
चर 19:52 – 21:25 शुभ
रोग 21:25 – 22:58 अशुभ
काल 22:58 – 24:31* अशुभ
लाभ 24:31* – 26:04* शुभ
उद्वेग 26:04* – 27:36* अशुभ
शुभ 27:36* – 29:09* शुभ
अमृत 29:09* – 30:42* शुभ

होरा, दिन
बृहस्पति 06:43 – 07:41
मंगल 07:41 – 08:39
सूर्य 08:39 – 09:37
शुक्र 09:37 – 10:35
बुध 10:35 – 11:33
चन्द्र 11:33 – 12:31
शनि 12:31 – 13:29
बृहस्पति 13:29 – 14:27
मंगल 14:27 – 15:25
सूर्य 15:25 – 16:23
शुक्र 16:23 – 17:22
बुध 17:22 – 18:20

होरा, रात
चन्द्र 18:20 – 19:21
शनि 19:21 – 20:23
बृहस्पति 20:23 – 21:25
मंगल 21:25 – 22:27
सूर्य 22:27 – 23:29
शुक्र 23:29 – 24:31
बुध 24:31* – 25:33
चन्द्र 25:33* – 26:35
शनि 26:35* – 27:36
बृहस्पति 27:36* – 28:38
मंगल 28:38* – 29:40
सूर्य 29:40* – 30:42

उदयलग्न प्रवेशकाल

कुम्भ > 05:56 से 07:22 तक
मीन > 07:22 से 08:53 तक
मेष > 08:53 से 11:36 तक
वृषभ > 11:36 से 13:17 तक
मिथुन > 13:17 से 14:41 तक
कर्क > 14:41 से 17:05 तक
सिंह > 17:05 से 18:06 तक
कन्या > 18:06 से 09:21 तक
तुला > 09:25 से 11:48 तक
वृश्चिक > 11:48 से 02:02 तक
धनु > 03:02 से 04:04 तक
मकर > 04:04 से 05:56 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

1+ 5 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

 ग्रह मुख आहुति ज्ञान

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

? शिव वास एवं फल -:

1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

?? विशेष जानकारी***

* पंचक अहोरात्र

??? शुभ विचार ???

साधुभ्यस्ते निवर्तन्ते पुत्रामित्राणि बान्धवाः ।
ये च तैः सह गन्तारस्तध्दर्मात्सुकृतं कुलम् ।।
।।चा o नी o।।

पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है

??? सुभाषितानि ???

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते ।,
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्‌ ॥,

वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति (गीता अध्याय 15 श्लोक 12 में देखना चाहिए) एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है।, वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय में विशेष रूप से स्थित है॥,17॥,

** दैनिक राशिफल**

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

***आपका दिन मंगलमय हो***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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