***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************
दिनाँक:-22/06/2022, मंगलवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
सिंह
आज का दिन आप अपने आपको ऊर्जावान महसूस करेंगे और हर किसी काम को पूरा करने के लिए तत्पर रहेंगे और यदि आपको किसी दूसरे की मदद करने का मौका मिलेगा, तो उसमें भी आप पूरे तरीके से जुट जाएंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे।
कार्यक्षेत्र में यदि आप परिवर्तन करना चाहते हैं, तो उसके लिए दिन बढ़िया रहेगा। आपको व्यापार में अपने निकटतम सहयोगी व वाणी की मधुरता को बनाए रखना होगा तभी आप लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे। आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहेगा क्योंकि आपको किसी नई वस्तु की प्राप्ति होगी।
तिथि———– नवमी 20:44:47 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———- रेवती 30:13:14
योग———- सौभाग्य 05:29:25
योग———— शोभन 28:54:35
करण———- तैतुल 08:31:54
करण—————गर 20:44:47
वार———————- बुधवार
माह———————–आषाढ
चन्द्र राशि—————— मीन
सूर्य राशि—————– मिथुन
रितु————————-ग्रीष्म
सायन———————– वर्षा
आयन——————–उत्तरायण
सा यन—————–दक्षिणायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:56
सूर्यास्त————— 19:16:29
दिन काल————- 13:50:33
रात्री काल————- 10:09:41
चंद्रास्त—————- 13:25:04
चंद्रोदय—————- 25:26:42
लग्न—-मिथुन 6°25′ , 66°25′
सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*** पद, चरण ***
दे—- रेवती 11:15:50
दो—- रेवती 17:32:25
च—- रेवती 23:51:35
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 06:12 मृगशिरा , 4 की
चन्द्र = मीन 16°23 रेवती , 1 दे
बुध =वृषभ 14 ° 07′ रोहिणी ‘ 2 वा
शुक्र=वृषभ 04°05, कृतिका ‘ 3 उ
मंगल=मीन 26°30 ‘ रेवती ‘ 3 च
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°20’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°20 विशाखा , 2 तू
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 12:21 – 14:05 अशुभ
यम घंटा 07:10 – 08:54 अशुभ
गुली काल 10:37 – 12:21 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:49 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:54 – 12:49 अशुभ
***गंड मूल अहोरात्र अशुभ
***पंचक 05:26 – 30:13* अशुभ
***चोघडिया, दिन
लाभ 05:26 – 07:10 शुभ
अमृत 07:10 – 08:54 शुभ
काल 08:54 – 10:37 अशुभ
शुभ 10:37 – 12:21 शुभ
रोग 12:21 – 14:05 अशुभ
उद्वेग 14:05 – 15:49 अशुभ
चर 15:49 – 17:33 शुभ
लाभ 17:33 – 19:16 शुभ
***चोघडिया, रात
उद्वेग 19:16 – 20:33 अशुभ
शुभ 20:33 – 21:49 शुभ
अमृत 21:49 – 23:05 शुभ
चर 23:05 – 24:21* शुभ
रोग 24:21* – 25:38* अशुभ
काल 25:38* – 26:54* अशुभ
लाभ 26:54* – 28:10* शुभ
उद्वेग 28:10* – 29:26* अशुभ
***होरा, दिन
बुध 05:26 – 06:35
चन्द्र 06:35 – 07:44
शनि 07:44 – 08:54
बृहस्पति 08:54 – 10:03
मंगल 10:03 – 11:12
सूर्य 11:12 – 12:21
शुक्र 12:21 – 13:30
बुध 13:30 – 14:40
चन्द्र 14:40 – 15:49
शनि 15:49 – 16:58
बृहस्पति 16:58 – 18:07
मंगल 18:07 – 19:16
***होरा, रात
सूर्य 19:16 – 20:07
शुक्र 20:07 – 20:58
बुध 20:58 – 21:49
चन्द्र 21:49 – 22:40
शनि 22:40 – 23:31
बृहस्पति 23:31 – 24:21
मंगल 24:21* – 25:12
सूर्य 25:12* – 26:03
शुक्र 26:03* – 26:54
बुध 26:54* – 27:45
चन्द्र 27:45* – 28:35
शनि 28:35* – 29:26
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मिथुन > 04:12 से 06:28 तक
कर्क > 06:28 से 08:52 तक
सिंह > 08:52 से 10:56 तक
कन्या > 10:56 से 13:12 तक
तुला > 13:12 से 15:27 तक
वृश्चिक > 15:27 से 17:42 तक
धनु > 17:42 से 19:52 तक
मकर > 19:52 से 21:34 तक
कुम्भ > 21:34 से 23:08 तक
मीन > 23:08 से 00:34 तक
मेष > 00:32 से 02:18 तक
वृषभ > 02:18 से 04:12 तक
***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
***दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 9 + 4 + 1 = 29 ÷ 4 = 1शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*** शिव वास एवं फल -:
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
***भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
* कृष्णभट्टाचार्य पाटोत्सव
* सबसे बड़ा दिन
*पंचक अहोरात्र
*** शुभ विचार ***
सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः ।
सकृत्कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत् ।।
।। चा o नी o।।
यह बाते एक बार ही होनी चाहिए..
१. राजा का बोलना.
२. बिद्वान व्यक्ति का बोलना.
३. लड़की का ब्याहना.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17
तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपः क्रियाः।,
प्रवर्तन्ते विधानोक्तः सततं ब्रह्मवादिनाम्॥,
इसलिए वेद-मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्र विधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा ‘ॐ’ इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं॥,24॥,
यह भी पढ़ें महादेव की आराधना से मिलता है मोक्ष
यह भी पढ़ें हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन
ये भी पढ़ें : सोमवती अमावस्या के दिन दुर्लभ संयोग
ये भी पढ़ें : पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ