सिंह राशिफल 20 अप्रैल 2022 Leo Horoscope 20 April 2022

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Leo Horoscope 20 April 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:- 20/04/2022, बुधवार
चतुर्थी, कृष्ण पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

सिंह

Leo Horoscope 20 April 2022: आज का दिन आपके लिए आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत रहेगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें। आप पूरे दिन उत्साह से भरे रहेंगे और अपने सभी कार्यों को समय पर पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आप परिवार के लोगों के साथ ही अच्छा समय व्यतीत करेंगे। परिवार के किसी सदस्य के विवाह संबंधित बातचीत भी चल सकती है। यदि आप किसी नए निवेश को करने जा रहे हैं, तो उसमें वरिष्ठ सदस्यों से सलाह मशवरा लेना बेहतर रहेगा। अविवाहित जातकों के लिए विवाह के बेहतर अवसर आ सकते हैं। आपके धन कोष में भी बढ़ोतरी होने से आप प्रसन्न रहेंगे। जीवनसाथी का सहयोग और सानिध्य आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है।

 

तिथि———– चतुर्थी 13:52:20 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– ज्येष्ठा 23:40:12
योग———- वरियान 13:37:38
करण———– बालव 13:52:20
करण———– कौलव 24:31:08
वार———————— बुधवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——- वृश्चिक 23:40:12
चन्द्र राशि———————- धनु
सूर्य राशि———————–मेष
रितु————————– वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

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वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:51:15
सूर्यास्त—————- 18:45:21
दिन काल————- 12:54:05
रात्री काल————- 11:04:56
चंद्रास्त—————- 08:24:48
चंद्रोदय—————- 22:55:09

लग्न—- मेष 5°45′ , 5°45′

सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र——————- ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*** पद, चरण ***

नो—- ज्येष्ठा 07:07:59

या—- ज्येष्ठा 12:38:23

यी—- ज्येष्ठा 18:09:05

यू—- ज्येष्ठा 23:40:12

ये—- मूल 29:11:49

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मीन 05:12 अश्विनी , 2 चे
चन्द्र =वृश्चिक 20°23 , ज्येष्ठा , 1 नो
बुध =मेष 22 ° 07′ भरणी ‘ 3 ले
शुक्र=कुम्भ 21°05, पू o भा o ‘ 1 से
मंगल=कुम्भ 09°30 ‘ शतभिषा’ 1 गो
गुरु=मीन 01°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°40 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 12:18 – 13:55 अशुभ
यम घंटा 07:28 – 09:05 अशुभ
गुली काल 10:42 – 12:18 अशुभ
अभिजित 11:53 -12:44 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:53 – 12:44 अशुभ

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गंड मूल अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
लाभ 05:51 – 07:28 शुभ
अमृत 07:28 – 09:05 शुभ
काल 09:05 – 10:42 अशुभ
शुभ 10:42 – 12:18 शुभ
रोग 12:18 – 13:55 अशुभ
उद्वेग 13:55 – 15:32 अशुभ
चर 15:32 – 17:09 शुभ
लाभ 17:09 – 18:45 शुभ

चोघडिया, रात
उद्वेग 18:45 – 20:08 अशुभ
शुभ 20:08 – 21:32 शुभ
अमृत 21:32 – 22:55 शुभ
चर 22:55 – 24:18* शुभ
रोग 24:18* – 25:41* अशुभ
काल 25:41* – 27:04* अशुभ
लाभ 27:04* – 28:27* शुभ
उद्वेग 28:27* – 29:50* अशुभ

होरा, दिन
बुध 05:51 – 06:56
चन्द्र 06:56 – 08:00
शनि 08:00 – 09:05
बृहस्पति 09:05 – 10:09
मंगल 10:09 – 11:14
सूर्य 11:14 – 12:18
शुक्र 12:18 – 13:23
बुध 13:23 – 14:27
चन्द्र 14:27 – 15:32
शनि 15:32 – 16:36
बृहस्पति 16:36 – 17:41
मंगल 17:41 – 18:45

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होरा, रात
सूर्य 18:45 – 19:41
शुक्र 19:41 – 20:36
बुध 20:36 – 21:32
चन्द्र 21:32 – 22:27
शनि 22:27 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:18
मंगल 24:18* – 25:13
सूर्य 25:13* – 26:09
शुक्र 26:09* – 27:04
बुध 27:04* – 27:59
चन्द्र 27:59* – 28:55
शनि 28:55* – 29:50

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 04:40 से 06:29 तक
वृषभ > 06:29 से 08:22 तक
मिथुन > 08:22 से 10:35 तक
कर्क > 10:35 से 12:52 तक
सिंह > 12:52 से 15:04 तक
कन्या > 15:04 से 07:16 तक
तुला > 07:16 से 07:31 तक
वृश्चिक > 07:31 से 09:47 तक
धनु > 09:47 से 23:52 तक
मकर > 23:52 से 01:38 तक
कुम्भ > 01:38 से 03:11 तक
मीन > 03:11 से 04:40 तक

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विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 4 + 4 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

19 + 19 + 5 = 43 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* सायन ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ

*अनसूया जयन्ती

*** शुभ विचार ***

मुहूर्त्तं माप जीवेच्च नरः शुक्लेण कर्मणा ।
न कल्पमापि कष्टेन लोकद्वयविरोधिना ।।
।। चा o नी o।।

यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक और पर-लोक में तकलीफ होती है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहममृतस्याव्ययस्य च ।,
शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च ॥,

क्योंकि उस अविनाशी परब्रह्म का और अमृत का तथा नित्य धर्म का और अखण्ड एकरस आनन्द का आश्रय मैं हूँ॥,27॥,

***  आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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