***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-17/10/2022, सोमवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
सिंह
दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। आय में वृद्धि होगी।
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— पुनर्वसु 29:11:21
योग————– शिव 15:59:34
करण————– बव 09:29:18
करण————बालव 22:44:00
वार————————सोमवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि——–मिथुन 22:27:08
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——– कन्या 19:22:22
सूर्य राशि——————– तुला
रितु————————– शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:21:20
सूर्यास्त—————- 17:47:20
दिन काल————- 11:26:00
रात्री काल————- 12:34:34
चंद्रास्त————— 13:04:48
चंद्रोदय—————- 23:25:17
लग्न—- कन्या 29°28′ , 179°28′
सूर्य नक्षत्र—————- चित्रा
चन्द्र नक्षत्र————– पुनर्वसु
नक्षत्र पाया————— रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
के—- पुनर्वसु 08:57:58
को—-पुनर्वसु 15:42:36
हा—- पुनर्वसु 22:27:08
ही—- पुनर्वसु 29:11:21
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 29 :49 चित्रा , 2 पो
चन्द्र =मिथुन 22 °23, पुनर्वसु , 1 के
बुध =कन्या 14 ° 34′ हस्त ‘2 ष
शुक्र=कन्या 27°05, चित्रा ‘ 2 पो
मंगल=मिथुन 00°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का
गुरु=मीन 06°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°05 भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°05 विशाखा , 1 ती
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 07:47 – 09:13 अशुभ
यम घंटा 10:39 – 12:04 अशुभ
गुली काल 13:30 – 14:56 अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 12:27 – 13:13 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:44 – 15:30 अशुभ
वर्ज्यम 15:43 – 17:31 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 06:21 – 07:47 शुभ
काल 07:47 – 09:13 अशुभ
शुभ 09:13 – 10:39 शुभ
रोग 10:39 – 12:04 अशुभ
उद्वेग 12:04 – 13:30 अशुभ
चर 13:30 – 14:56 शुभ
लाभ 14:56 – 16:22 शुभ
अमृत 16:22 – 17:47 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 17:47 – 19:22 शुभ
रोग 19:22 – 20:56 अशुभ
काल 20:56 – 22:30 अशुभ
लाभ 22:30 – 24:05* शुभ
उद्वेग 24:05* – 25:39* अशुभ
शुभ 25:39* – 27:13* शुभ
अमृत 27:13* – 28:48* शुभ
चर 28:48* – 30:22* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 06:21 – 07:19
शनि 07:19 – 08:16
बृहस्पति 08:16 – 09:13
मंगल 09:13 – 10:10
सूर्य 10:10 – 11:07
शुक्र 11:07 – 12:04
बुध 12:04 – 13:02
चन्द्र 13:02 – 13:59
शनि 13:59 – 14:56
बृहस्पति 14:56 – 15:53
मंगल 15:53 – 16:50
सूर्य 16:50 – 17:47
🚩होरा, रात
शुक्र 17:47 – 18:50
बुध 18:50 – 19:53
चन्द्र 19:53 – 20:56
शनि 20:56 – 21:59
बृहस्पति 21:59 – 23:02
मंगल 23:02 – 24:05
सूर्य 24:05* – 25:08
शुक्र 25:08* – 26:10
बुध 26:10* – 27:13
चन्द्र 27:13* – 28:16
शनि 28:16* – 29:19
बृहस्पति 29:19* – 30:22
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:17 से 05:23 तक
तुला > 05:23 से 07:34 तक
वृश्चिक > 07:34 से 09:54 तक
धनु > 09:54 से 12:24 तक
मकर > 12:24 से 14:02 तक
कुम्भ > 14:02 से 15:32 तक
मीन > 15:32 से 16:04 तक
मेष > 16:04 से 17:38 तक
वृषभ > 17:38 से 20:24 तक
कर्क > 20:24 से 00:54 तक
सिंह > 00:54 से 03:12 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 7 + 2 + 1 = 25 ÷ 4 = 1 शेष
पातला लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* अहोई अष्टमी व्रत ,चंद्रोदय रात्रि 23:25
* राधाकुंड स्नान
*तुलायां सूर्य 19:23 पर
*कालाष्टमी
*अकाशदीपारंभ
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
एदतर्थं कुलोनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम् ।
आदिमध्यावसानेषु न स्यजन्ति च ते नृपम् ।।
।। चा o नी o।।
राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि सन्नयस्य मत्पराः ।,
अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते ॥,
परन्तु जो मेरे परायण रहने वाले भक्तजन सम्पूर्ण कर्मों को मुझमें अर्पण करके मुझ सगुणरूप परमेश्वर को ही अनन्य भक्तियोग से निरन्तर चिन्तन करते हुए भजते हैं।, ॥,6