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***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-05/08/2022, शुक्रवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
?? दैनिक राशिफल ??
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
?सिंह
आज का दिन आपके प्रभाव व प्रताप में वृद्धि दिलाने वाला रहेगा। फालतू खर्च होगा। अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार मिलेंगे। मान बढ़ेगा। विवाद न करें। आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावना है। व्यापार में नए अनुबंध होंगे। व्ययों में कमी करना चाहिए। व्यापार अच्छा चलेगा। जीवनसाथी से मतभेद। घर व बाहर आपको कोई उपहार या सम्मान प्राप्त हो सकता है, जिसे पाकर आपके परिवार के सदस्य प्रसन्न रहेंगे। संतान द्वारा सामाजिक कार्यों को किए जाने से आपकी प्रतिष्ठा और बढ़ेगी। किसी प्रियजन से आपकी भेंट होगी, जो यादगार रहेगी। मित्रों के साथ आप किसी पार्टी को करने की योजना बनाएंगे, जिसकी सूचना आपको अपने परिवार के सदस्यों व जीवनसाथी को अवश्य देनी होगी, नहीं तो वह आपसे नाराज हो सकती हैं।
तिथि———– अष्टमी 27:56:13 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———- स्वाति 18:36:22
योग————- शुभ 14:50:55
करण——- विष्टि भद्र 16:35:36
करण————– बव 27:56:13
वार———————– शुक्रवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——————— तुला
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————- नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:45:43
सूर्यास्त—————- 19:04:22
दिन काल————- 13:18:39
रात्री काल————–10:41:52
चंद्रोदय—————- 12:28:46
चंद्रास्त—————- 23:44:20
लग्न— कर्क 18°26′ , 108°26′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया——————- रजत
??? पद, चरण ???
रे—- स्वाति 06:45:52
रो—- स्वाति 12:42:14
ता—- स्वाति 18:36:22
ती—- विशाखा 24:28:15
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 18:12 अश्लेषा , 1 डी
चन्द्र = तुला 12 °23, स्वाति , 2 रे
बुध =सिंह 07 ° 07′ मघा ‘ 3 मू
शुक्र=मिथुन 27°05, पुनर्वसु ‘ 3 हा
मंगल=मेष 27°30 ‘ भरणी ‘ 4 लो
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°00’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°00 विशाखा , 2 तू
??? मुहूर्त प्रकरण ???
राहू काल 14:05 – 15:45 अशुभ
यम घंटा 05:45 – 07:25 अशुभ
गुली काल 09:05 – 10:45 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:12 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:32 – 16:25 अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:45 – 07:25 शुभ
रोग 07:25 – 09:05 अशुभ
उद्वेग 09:05 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:25 शुभ
लाभ 12:25 – 14:05 शुभ
अमृत 14:05 – 15:45 शुभ
काल 15:45 – 17:25 अशुभ
शुभ 17:25 – 19:05 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 19:05 – 20:25 शुभ
चर 20:25 – 21:45 शुभ
रोग 21:45 – 23:05 अशुभ
काल 23:05 – 24:25* अशुभ
लाभ 24:25* – 25:45* शुभ
उद्वेग 25:45* – 27:06* अशुभ
शुभ 27:06* – 28:26* शुभ
अमृत 28:26* – 29:46* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:45 – 06:52
मंगल 06:52 – 07:59
सूर्य 07:59 – 09:05
शुक्र 09:05 – 10:12
बुध 10:12 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:25
शनि 12:25 – 13:32
बृहस्पति 13:32 – 14:38
मंगल 14:38 – 15:45
सूर्य 15:45 – 16:52
शुक्र 16:52 – 17:58
बुध 17:58 – 19:05
?होरा, रात
चन्द्र 19:05 – 19:58
शनि 19:58 – 20:52
बृहस्पति 20:52 – 21:45
मंगल 21:45 – 22:39
सूर्य 22:39 – 23:32
शुक्र 23:32 – 24:25
बुध 24:25* – 25:19
चन्द्र 25:19* – 26:12
शनि 26:12* – 27:06
बृहस्पति 27:06* – 27:59
मंगल 27:59* – 28:52
सूर्य 28:52* – 29:46
?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??
कर्क > 03:34 से 05:50 तक
सिंह > 05:50 से 08:00 तक
कन्या > 08:00 से 10:10 तक
तुला > 10:10 से 12:24 तक
वृश्चिक > 12:24 से 14:40 तक
धनु > 14:40 से 17:00 तक
मकर > 17:00 से 18:44 तक
कुम्भ > 18:44 से 20:16 तक
मीन > 20:16 से 20:50 तक
मेष > 20:50 से 11:22 तक
वृषभ > 11:22 से 01:14 तक
मिथुन > 01:14 से 03:34 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 6 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 16:35 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
?? विशेष जानकारी ??
* दुर्गाष्टमी
* मेला नयना देवी चिंतपूर्णी देवी (हिमाचल)
*जीवंतिका व्रत पूजन
??? शुभ विचार ???
निःस्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रियः ।
नाऽविदग्धः प्रियंब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चकः ।।
।। चा o नी o।।
वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परन्तप।,
कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः॥,
हे परंतप! ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों के तथा शूद्रों के कर्म स्वभाव से उत्पन्न गुणों द्वारा विभक्त किए गए हैं॥,41॥,
?आपका दिन मंगलमय हो?
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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