***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-03/06/2022, शुक्रवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
सिंह
आज का दिन आपके लिए कुछ परेशानियों भरा रहेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। व्यापार–व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में चैन रहेगा। नए मित्र बनेंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम न लें। आप कुछ लोगों के कामों में ज्यादा व्यस्त रहेंगे और अपने कामों की ओर ध्यान नहीं लगाएंगे,तो आपके लिए परेशानी भरे रहेंगे। आपको किसी के भी कहने में आकर किसी से किसी को भला बुरा नहीं बोलना है व अपनी वाणी की मधुरता को बनाए रखना होगा,नहीं तो आपके संबंधों में दरार पड़ सकती हैं। आपके ऊपर कोई सच्चा झूठा आरोप लगा सकता है,जिसे लेकर आप परेशान रहेंगे। पारिवारिक सदस्य आपकी सफलता पूर्ण आनंद लेंगे। नौकरी में कार्यरत लोगों को कोई नया पदभार सौंपा जा सकता है।
तिथि———– चतुर्थी 26:41:14 तक
पक्ष————————-शुक्ल
नक्षत्र———–पुनर्वसु 19:03:50
योग————– वृद्वि 27:31:28
करण———– वणिज 13:30:04
करण——–विष्टि भद्र 26:41:14
वार————————शुक्रवार
माह————————–ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——– मिथुन 12:19:18
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर————————नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:03
सूर्यास्त—————- 19:09:52
दिन काल————–13:44:49
रात्री काल————–10:15:02
चंद्रोदय—————- 08:12:37
चंद्रास्त—————- 22:37:08
लग्न—- वृषभ 18°16′ , 48°16′
सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र—————— पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
को—- पुनर्वसु 05:34:14
हा—- पुनर्वसु 12:19:18
ही—- पुनर्वसु 19:03:50
हु—-पुष्य 25:47:42
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 18:12 रोहिणी , 3 वी
चन्द्र = मिथुन 26°23 , पुनर्वसु , 2 को
बुध =वृषभ 01 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 12°05, अश्विनी ‘ 4 ला
मंगल=मीन 12°30 ‘ उoभाo’ 3 झ
गुरु=मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°20 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 10:34 – 12:17 अशुभ
यम घंटा 15:44 – 17:27 अशुभ
गुली काल 07:08 – 08:51 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 08:10 – 09:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:45 – 13:40 अशुभ
चोघडिया, दिन
चर 05:25 – 07:08 शुभ
लाभ 07:08 – 08:51 शुभ
अमृत 08:51 – 10:34 शुभ
काल 10:34 – 12:17 अशुभ
शुभ 12:17 – 14:01 शुभ
रोग 14:01 – 15:44 अशुभ
उद्वेग 15:44 – 17:27 अशुभ
चर 17:27 – 19:10 शुभ
चोघडिया, रात
रोग 19:10 – 20:27 अशुभ
काल 20:27 – 21:44 अशुभ
लाभ 21:44 – 23:01 शुभ
उद्वेग 23:01 – 24:17* अशुभ
शुभ 24:17* – 25:34* शुभ
अमृत 25:34* – 26:51* शुभ
चर 26:51* – 28:08* शुभ
रोग 28:08* – 29:25* अशुभ
होरा, दिन
शुक्र 05:25 – 06:34
बुध 06:34 – 07:43
चन्द्र 07:43 – 08:51
शनि 08:51 – 09:59
बृहस्पति 09:59 – 11:09
मंगल 11:09 – 12:17
सूर्य 12:17 – 13:26
शुक्र 13:26 – 14:35
बुध 14:35 – 15:44
चन्द्र 15:44 – 16:52
शनि 16:52 – 18:01
बृहस्पति 18:01 – 19:10
होरा, रात
मंगल 19:10 – 20:01
सूर्य 20:01 – 20:52
शुक्र 20:52 – 21:44
बुध 21:44 – 22:35
चन्द्र 22:35 – 23:26
शनि 23:26 – 24:17
बृहस्पति 24:17* – 25:09
मंगल 25:09* – 25:59
सूर्य 25:59* – 26:51
शुक्र 26:51* – 27:42
बुध 27:42* – 28:34
चन्द्र 28:34* – 29:25
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
वृषभ > 03:34 से 05:34 तक
मिथुन > 05:32 से 07:45 तक
कर्क > 07:45 से 10:02 तक
सिंह > 10:02 से 12:10 तक
कन्या > 12:10 से 14:26 तक
तुला > 14:26 से 16:41 तक
वृश्चिक > 16:41 से 19:02 तक
धनु > 19:02 से 21:02 तक
मकर > 21:02 से 22:48 तक
कुम्भ > 22:48 से 00:21 तक
मीन > 00:21 से 01:48 तक
मेष > 01:48 से 03:34 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
4 + 6 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:30 से रात्रि 26:41 तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*** विशेष जानकारी ***
*विनायक चतुर्थी
*उमा चतुर्थी (बंगाल, उड़ीसा)
*सर्वार्थ सिद्धि योग 19:04 तक
* गुरु अर्जुनदेव शहीद दिवस
*** शुभ विचार ***
निर्गुणस्य हतं रूपं दुःशीलस्य हतं कुलम् ।
असिध्दस्य हता विद्या अभोगेन हतं धनम् ।।
।। चा o नी o।।
निति भ्रष्ट होने से सुन्दरता का नाश होता है. हीन आचरण से अच्छे कुल का नाश होता है. पूर्णता न आने से विद्या का नाश होता है. उचित विनियोग के बिना धन का नाश होता है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17
सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।,
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः॥,
हे भारत! सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके अन्तःकरण के अनुरूप होती है।, यह पुरुष श्रद्धामय है, इसलिए जो पुरुष जैसी श्रद्धावाला है, वह स्वयं भी वही है॥,3॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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