Legally Speking: मां-बाप से अलग रहने के लिए पत्नी करती है प्रताड़ित तो पति ले सकता है तलाक,खबरें पूरी पढ़े विस्तार से

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ED की याचीका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया
ED की याचीका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Aaj Samaj, (आज समाज),Legally Speking ,नई दिल्ली:

1. पश्चिम बंगाल में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ दाख़िल याचीका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को ‘द केरल स्टोरी’ फ़िल्म के निर्माता द्वारा दाख़िल याचीका पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है। फ़िल्म निर्माता की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से जल्द सुनवाई की मांग की। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने इसी फ़िल्म को लेकर दाख़िल याचीका पर 15 मई को सुनवाई का फैसला किया है, उसी दिन सुन लेते है। निर्माता की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही बैन लगा चुकी है हम लगातार आर्थिक नुकसान झेल रहे है।अगर सुनवाई मे देरी हुई तो और राज्य भी बैन लगा सकते है। जिसपर सीजेआई ने कहा वो शुक्रवार यानी 12 मई को मामले की सुनवाई करेंगे।

दरसअल ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माता ने पश्चिम बंगाल में फिल्म पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को याचीका दाखिल की है। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा द केरल स्टोरी फ़िल्म पर बैन  लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को ‘द केरल स्टोरी’ फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है।  बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य सचिवालय में यह घोषणा की। ममता बनर्जी के आरोप लगाते हुए कहा कि “बीजेपी कश्मीर फाइल्स की तर्ज पर बंगाल में एक फिल्म की फंडिंग कर रही थी।” बंगाल के मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि फिल्म को राज्य में चल रहे स्क्रीन से हटा दिया जाए। ममता बनर्जी ने कहा कि निर्णय “बंगाल में शांति बनाए रखने” और घृणा अपराधों और हिंसा को रोकने के लिए किया गया है।

वही तमिलनाडु में थियेटर मालिकों ने ‘द केरला स्टोरी’ की स्क्रीनिंग नहीं करने का फैसला लिया है। कई ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म ने पहले ही इसे चेन्नई में लिस्टिंग से हटा दिया है। थिएटर मालिकों ने मीडिया को बयान में कहा कि फिल्म के प्रदर्शन से मल्टीप्लेक्स में दूसरी फिल्मों पर असर पड़ सकता है। थिएटर ओनर्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य ने लीगली स्पकिंग को बताया कि कानून और व्यवस्था की चिंताओं के कारण हमलोगों ने यह कदम उठाया है।मल्टीप्लेक्स में दिखाई जाने वाली अन्य फिल्में को भी इससे नुकसान होता जिस कारण यह फैसला लिया गया है।

द केरला स्टोरी’ फिल्म केरल में कथित धार्मिक धर्मांतरण के बारे में है और कैसे चरमपंथी इस्लामी मौलवी हिंदू और ईसाई महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। फिल्म के अनुसार, इन महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित किया गया और फिर अफगानिस्तान, यमन और सीरिया जैसे देशों में स्थानांतरित कर दिया गया।

2. दिल्ली आबकारी नीति मामला: ED की याचीका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया, गौतम मल्होत्रा और राजेश जोशी की ज़मानत रद्द करने की है मांग

दिल्ली आबकारी नीति मामले में निचली अदालत से गौतम मल्होत्रा और राजेश जोशी को मिली ज़मानत को रद्द कराने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने गौतम मल्होत्रा और राजेश जोशी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गौतम मल्होत्रा और राजेश जोशी को ज़मानत देते वक्त निचली अदालत की गई टिप्पणियों का इस्तेमाल बाकी सह आरोपी दूसरी अदालती कार्रवाई में नहीं करेंगे।

दरसअल राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कुछ दिनों पहले दोनों आरोपियों को ज़मानत देते वक़्त कहा था कि ईडी के पास ऐसे सबूत नहीं है कि जिससे साबित हो सके कि दोनों के खिलाफ केस सही है। निचली अदालत ने अपने आदेश में इस केस में रिश्वत के भुगतान और इसके आदमी पार्टी द्वारा  गोवा चुनाव में इस्तेमाल के ईडी के दावों पर भी सवाल उठाया था।

3.पहलवानों की शिकायत पर राउज एवेन्यु कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से मांगी रिपोर्ट, अब सुनवाई 12 मई को होगी*

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली पुलिस से स्थिति रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें प्रदर्शनकारी पहलवानों ने जांच की निगरानी करने और कथित पीड़ितों के अदालत के समक्ष बयान दर्ज करने की मांग की थी।

अदालत ने पुलिस को 12 मई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जब वह मामले की आगे सुनवाई करेगी।

महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और 28 अप्रैल को दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं।

एक नाबालिग लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो अधिनियम के तहत बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जबकि अन्य शिकायतकर्ताओं के यौन उत्पीड़न के मामले में एक और प्राथमिकी दर्ज की गई है।

बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल को जंतर-मंतर पर अपना धरना फिर से शुरू कर दिया। ध्यान रहे, यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थीं। इसके बाद भी पहलवान धरना स्थल पर डटे हुए हैं।

एफआईआर में आरोपी बनाए गए बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी के लिए पहलवानों की ओर से एक बार गुहार की गई थी। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि जिस कारण के लिए याचिका दाखिल की गई थी वो पूरा हो चुका है। इसलिए यह मामला यहीं बंद किया जाता है। पहलवानों को कोई शिकायत है तो वो निचली अदालत जा सकते हैं। इसीके बाद पहलवानों ने दिल्ली की अदालत में सेक्शन 156 (3) के अंतर्गत शिकायत की। इसी शिकायत पर अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए हैं और सुनवाई के लिए 12 मई तय की है।

4. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को बड़ी राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने मानहानि मामले में निचली अदालत की करवाई पर लगाई रोक

दिल्ली हाई कोर्ट से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी बुधवार को राहत मिली है। हाई कोर्ट ने मनोज तिवारी के खिलाफ दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तरफ से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

दरअसल, मनीष सिसोदिया ने मनोज तिवारी, विजेंद्र गुप्ता, मनजिंदर सिंह सिरसा, हरीश खुराना, हंसराज हंस और प्रवेश वर्मा के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कराया था। 28 नवंबर, 2019 को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में तिवारी समेत छह नेताओं के खिलाफ समन जारी कर अदालत में पेश होने को कहा था।

सिसोदिया ने अपनी याचिका में दावा किया है कि मनोज तिवारी समेत छह नेताओं ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए हैं। सिसोदिया ने कहा है कि इन नेताओं ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में झूठे आरोप लगाकर हमारी छवि खराब करने की कोशिश की। याचिका में यह भी कहा गया है कि इन नेताओं ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के कक्षाओं के निर्माण में दो हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार किया गया है।

1 जुलाई, 2019 को मनोज तिवारी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में एक आरटीआई के हवाले से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। मनोज तिवारी ने दावा किया था कि जो क्लासरुम 892 करोड़ रुपये में बन सकते थे, उनके निर्माण में दो हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च किया गया। तिवारी ने यह भी आरोप लगाया था कि इस काम के लिए 34 ठेकेदारों को ठेका दिया गया था, जिसमें कुछ मंत्रियों के रिश्तेदार भी शामिल हैं।

5.गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी याचिका*

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा आपराधिक मामले में अतिरिक्त सबूत पेश करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 1990 के हिरासत में मौत के मामले में उनकी सजा और सजा के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में लंबित आपराधिक अपील में अतिरिक्त सबूत पेश करने की मांग की गई थी।

भट्ट ने 24 अगस्त, 2022 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसमें उन्हें सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अपील में अतिरिक्त सबूत पेश करने की अनुमति से इनकार किया गया था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस मांग  को भी खारिज कर दिया, जिसमें 1990 के हिरासत में मौत के मामले में उनकी सजा के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में उनकी अपील का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए उनकी याचिका पर सुनवाई से न्यायमूर्ति एमआर शाह को अलग करने की मांग की गई थी।

भट्ट के वकील ने मंगलवार को तर्क दिया कि पूर्वाग्रह की एक उचित आशंका थी क्योंकि न्यायमूर्ति शाह ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उसी प्राथमिकी से जुड़ी उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी। इसलिए उसे उनसे न्याय की उम्मीद कम है।

हालांकि, गुजरात सरकार के वकील और शिकायतकर्ता ने इसका विरोध किया, जिन्होंने इसे “फोरम शॉपिंग” कहा और पूछा कि उन्होंने पहले आपत्ति क्यों नहीं की। जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की शीर्ष अदालत की बेंच ने भट्ट की याचिका को खारिज करने से इनकार कर दिया।

संजीव भट्ट ने प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।  मंगलवार को, भट्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने प्रस्तुत किया था कि न्यायमूर्ति शाह ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में एक ही प्राथमिकी से उत्पन्न भट्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी और याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी।

कामत ने कहा था, “इस अदालत के लिए मेरे मन में सर्वोच्च सम्मान है। लेकिन न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि किया हुआ दिखना भी चाहिए। न्यायिक औचित्य की मांग है कि आप इस मामले की सुनवाई न करें।

गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने भट्ट की याचिका से खुद को अलग करने का विरोध किया था और कहा था कि उनकी दलील में कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि न्यायमूर्ति शाह ने कई अन्य मामलों की सुनवाई की है जहां ऐसी कोई प्रार्थना नहीं की गई थी। मनिंदर सिंह ने कहा था, ”चयनात्मक आधार पर आप सुनवाई से अलग होने का अनुरोध नहीं कर सकते।

अगस्त 2022 में, भट्ट ने शीर्ष अदालत में 30 साल पुराने हिरासत में मौत के मामले में अपनी उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की अपनी याचिका वापस ले ली थी।

उच्च न्यायालय ने पहले भट्ट की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके मन में अदालतों के लिए बहुत कम सम्मान था और जानबूझकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश की। उन्हें मामले में जून 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

वर्तमान मामला प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत से संबंधित है, जो भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के मद्देनजर एक सांप्रदायिक दंगे के बाद जामनगर पुलिस द्वारा पकड़े गए 133 लोगों में से थे।

इसके बाद, उनके भाई ने भट्ट पर, जो तब जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे उनके सहित और छह अन्य पुलिसकर्मियों पर वैष्णनी को हिरासत में मौत के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

6*एक्टर मनोज वाजपेई की फिल्म को आसाराम बापू ने भेजा कानूनी नोटिस, ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ पर विवाद*

अभिनेता मनोज बाजपेयी की आगामी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को बुधवार को आसाराम बापू की ओर से  कानूनी नोटिस भेजा गया है।आसाराम ने अपने चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए फिल्म के मेकर्स को नोटिस भेजा है।

यह फिल्म 2018 में, आसाराम बापू को 2013 में जोधपुर के एक आश्रम में एक बच्ची के साथ बलात्कार करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा की कहानी पर आधारित है।फिल्म के ट्रेलर में एक डिस्क्लेमर शामिल है जिसमें कहा गया है कि यह सच्ची घटनाओं पर आधारित है। दीपक किंगरानी ने कोर्ट रूम ड्रामा ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ लिखा था। यह उच्च न्यायालय के एक वकील की कहानी बताती है, जिसने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक किशोर के खिलाफ अकेले ही बलात्कार का मामला लड़ा।

निर्माता आसिफ शेख नेकहा कि हां, हमें नोटिस मिला है। हमारे वकील अगला कदम तय करेंगे। हमने पीसी सोलंकी पर एक बायोपिक बनाई, जिसके लिए मैंने उनसे इस फिल्म को बनाने के अधिकार खरीदे। अगर कोई दावा करता है कि फिल्म उन पर आधारित है, तो वे वे जो चाहें विश्वास करने के लिए स्वतंत्र हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, आसाराम ने कोर्ट से फिल्म की रिलीज और प्रमोशन पर रोक लगाने के लिए निषेधाज्ञा जारी करने की भी मांग की थी. उनके वकीलों ने कहा कि फिल्म उनके मुवक्किल के प्रति बहुत ही अपमानजनक  है। उन्होंने आगे कहा कि यह उनकी प्रतिष्ठा को बर्बाद कर सकता है और उनके अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है।
अपूर्व सिंह कार्की ने ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ फिल्म का निर्देशन किया था। यह फिल्म 23 मई को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज होगी। इसे न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाना है। मनोज 13 मई की स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होंगे।

7. *मां-बाप से अलग रहने के लिए पत्नी करती है प्रताड़ित तो पति ले सकता है तलाक*

कलकत्ता हाईकोर्ट  ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा कि  अगर पत्नी अपने पति पर यह दबाव डालती है और प्रताड़ित कि पति अपने माता-पिता को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर रहे तो पति ऐसी पत्नी से तलाक लेने का अधिकारी है। क्योंकि भारत में शादी के बाद बूढे माता-पिता की देखभाल बेटे की ही होती है।  किसी भी पति के पास, मानसिक क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक लेने का अधिकार है। प. बंगाल की हाईकोर्ट एक तलाक के खिलाफ महिला की अपील पर सुनवाई कर रही थी। महिला ने परिवार अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पति को तलाक का अधिकार दे दिया गया था।

हाईकोर्ट ने महिला की अपील को यह कहकर खारिज कर दिया कि अपने पति को उसके माता-पिता और परिवार से अलग करने का प्रयास क्रूरता के बराबर था। अभियोग के मुताबिक, महिला, अपने पति पर दबाव बना रही थी कि वह अपने मां-बाप को छोड़ दे और वह दोनों पति-पत्नी कहीं अलग रहने लगे।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले को विस्तृत तौर पर बताते हुए कहा कि अगर पत्नी मानसिक रूप से अत्याचार करती है, प्रताड़ित करती है। साथ ही बिना कोई ठोस वजह बताए पति को पैरेंट्स से अलग रहने के लिए मजबूर करती है तो ऐसे में पति को पत्नी से तलाक लेने का हक है। असल में परिवार अदालत ने पति की तलाक की याचिका मंजूर कर ली थी, लेकिन महिला ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

मामले में फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने कहा कि एक बेटे की जिम्मेदारी है कि वो अपने मां-बाप का ध्यान रखे। अदालत ने यह भी कहा कि भारत में शादी के बाद भी एक बेटे का अपने मां- बाप के साथ रहना एक सामान्य बात है, और उनसे अलग होकर रहना आम बात नहीं है।

पति-पत्नी की ये कानूनी लड़ाई साल 2009 से शुरू हुई थी। तब पश्चिमी मिदनापुर की एक परिवार अदालत ने पति को पत्नी की क्रूरता के आधार पर तलाक लेने की मंजूरी दे दी थी। इन दोनों की शादी साल 2001 में हुई थी। पति का आरोप था कि पत्नी से उसे खुले तौर पर जलील करती है और उसे कायर, निकम्मा और बेरोजगार कहती थी। पति पेशे से एक टीचर था और घर चलाने लायक पैसे नहीं कमा पाता था।

परिवार में बच्चों के अलावा पति के मां-बाप भी रहते हैं। पत्नी यह भी जिद करती रही थी कि पति एक फ्लैट अलग से किराए पर ले ले। वहीं जब एक बार पति की सरकारी नौकरी लगने ही वाली थी, तभी पत्नी ने पति के खिलाफ प्रताड़ित करने वाला आपराधिक मामला दर्ज करा दिया, इस केस की वजह से पति की सरकारी नौकरी नहीं लग सकी थी।

8 *महाराष्ट्र के बाद राजस्थान के सहकारी बैंकों का घोटाला आया सामने, 16 एफआईआर की जांच के टीम गठन करने का आदेश*

राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) को निर्देश दिया है कि सहकारी बैंकों और समितियों द्वारा परिव्यय और ऋण माफी में अनियमितता के संबंध में राज्य के विभिन्न जिलों में दर्ज सभी 16 एफआईआर की जांच के लिए एक टीम का गठन किया जाए। इसलिए, टीम कानून के अनुसार आगे की किसी भी कार्रवाई के लिए पुलिस को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपते हुए सभी प्राथमिकी की जांच करेगी।न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने परिव्यय में कथित बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और सहकारी बैंकों के साथ-साथ राज्य में सहकारी समितियों द्वारा ऋण माफी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए।

साथ ही कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। राजस्थान सहकारिता विभाग के संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षक ने लेखापरीक्षा कार्यवाही की और सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों द्वारा ऋण वितरण और ऋण माफी में बड़ी संख्या में अनियमितताओं को चिन्हित किया।
इससे पहले, अदालत ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को उन सहकारी समितियों और अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिन पर अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।