केंद्र सरकार ने बॉम्बे, मद्रास, केरल, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्तियों की अधिसूचना जारी कर दी है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संबंध में ट्वीट किया और कहा कि, भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, भारत के राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, उच्च न्यायालय की नियुक्ति की है।
केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसवी भाटी की सिफारिश की गई थी। प्रस्ताव में कहा गया है, “कॉलेजियम का विचार है कि न्यायमूर्ति एस वी भट्टी केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए हर तरह से फिट और उपयुक्त हैं।” कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की।
हरियाणा उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पदोन्नति के परिणामस्वरूप रिक्ति उत्पन्न हुई। इसके अलावा, कॉलेजियम ने हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव के नाम की सिफारिश की। कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का भी प्रस्ताव दिया।
न्यायमूर्ति गंगापुरवाला को 2010 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। दिसंबर 2022 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के बाद उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इस प्रक्रिया में, कॉलेजियम ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर को मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपनी पहले की सिफारिश को वापस ले लिया है। प्रस्ताव में कहा गया कि न्यायमूर्ति मुरलीधर के पास पद छोड़ने के लिए चार महीने से भी कम का समय है। कॉलेजियम ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति सितंबर 2022 में की गई थी, लेकिन यह सरकार के पास लंबित है।
“कोलेजियम ने 28 सितंबर, 2022 को उड़ीसा के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ न्यायमूर्ति एस मुरलीधर को मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का संकल्प लिया। तब से भारत सरकार के पास बिना किसी प्रतिक्रिया के सिफारिश लंबित है। इसके अलावा, कॉलेजियम ने मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति टी राजा को राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपनी सिफारिश को दोहराया। जबकि केंद्र सरकार ने अभी तक राजस्थान में न्यायमूर्ति राजा के स्थानांतरण की पुष्टि नहीं की है, कोलेजियम ने जोर देकर कहा कि स्थानांतरण के लिए उनकी सिफारिश को लागू किया जाए।
2. वोडाफोन को भरना ही पड़ेगा 1050 करोड़ रुपये का जुर्माना, दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से किया इंकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा अनुशंसित 1,050 करोड़ रुपये के जुर्माने से संबंधित एक मामले में वोडाफोन को राहत देने से इनकार कर दिया है। टेलीकॉम कंपनी ने रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के साथ एक इंटरकनेक्शन समझौते को पूरा करने में विफल रहने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की जुर्माना लगाने की सिफारिश को चुनौती दी थी। वोडाफोन ने रिलायंस जियो को इंटरकनेक्टिविटी सेवा प्रदान करने के लिए एक समझौता किया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए सिफारिशों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि टीडीसैट को ट्राई अधिनियम से उत्पन्न सभी विवादों से निपटने का अधिकार है।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रिब्यूनल गुण-दोष के आधार पर इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए हमेशा खुला है, जिसमें 21 अक्टूबर 2016 की सिफारिश भी शामिल है।
ट्राई ने याचिकाकर्ताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं को दिनांक 19 जुलाई 2016 को एक पत्र लिखा जिसमें ट्राई द्वारा हस्तक्षेप के लिए आरजेआईएल के अनुरोध पर प्रतिक्रिया मांगी गई क्योंकि याचिकाकर्ता और अन्य सेवा प्रदाता आरजेआईएल के पीओआई को बढ़ाने के अनुरोध को अस्वीकार/देरी कर रहे हैं। इस मुद्दे को आरजेआईएल ने अपने पत्र दिनांक 12अगस्त 2016 के माध्यम से फिर से उठाया था।
3. राजस्थान हाईकोर्टः सभी अहर्य अभ्यर्थियों के कम्प्यूटर टेस्ट एक साथ करा पाना संभव नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जूनियर न्यायिक सहायक भर्ती परीक्षा, 2022 में सभी अभ्यर्थियों का कंप्यूटर टेस्ट एक साथ कराना संभव नहीं है। हाईकोर्ट की ओर से कहा गया है कि अंकों के आधार पर आगे रहने वाले अभ्यर्थियों का टेस्ट पहले किया जाएगा। क्यों कि साधन सीमित हैं और सेंटर्स की उपलब्धता के बारे में अभी जानकारी नहीं है।
सामान्य से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि अदालत ने समान मामले में अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं के भी सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के कारण उन्हें भी इस परीक्षा में शामिल किया जाए।
इस पर राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष कहा कि अदालत ने अंतरिम आदेश के जरिए पहले ही ज्यादा अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने का निर्देश दिए हैं। जबकि टेस्ट कराने के लिए सीमित कॉलेज व संसाधन हैं।
टेस्ट में हर अभ्यर्थी के लिए कंप्यूटर की जरूरत होती है। ऐसे में तत्काल प्रार्थी अभ्यर्थियों के लिए कॉलेज सेंटर की व्यवस्था नहीं हो सकती। वहीं प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता आरपी सैनी ने कहा कि अभी टेस्ट के लिए सेंटर उपलब्ध नहीं हैं तो 30 मई के बाद टेस्ट रखा जा सकता है। जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि जिन कॉलेजों में टेस्ट का सेंटर हैं, उनकी तीस मई के बाद की उपलब्धता की जानकारी नहीं है और कॉलेज प्रशासन की मंजूरी बिना वे टेस्ट का आश्वासन नहीं दे सकते।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि समय पर कोर्ट आए अन्य अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने की अनुमति दी है, लेकिन प्रार्थी टेस्ट होने के अंतिम दिनों में आए हैं। ऐसे में याचिका का निर्णय होने पर उनके टेस्ट लेने के संबंध में देखा जाएगा।
4 .आतंकी अमृतपाल सिंह अम्मी और अर्शरिदीप सिंह की NIA रिमांड पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 दिन और बढ़ाई
दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट ने अमृतपाल सिंह उर्फ अम्मी और अमरीक सिंह को 10 दिन की एनआईए की हिरासत बढ़ाई दी है। इन दोनों को अबस6 जून तक एनआईए की हिरासत में रहना होगा। इन दोनों आरोपियों को एनआईए के द्वारा आईजीआई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। कनाडा में रहने वाले अर्श डल्ला के दो सहयोगियों को एनआईए की टीम ने दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा था। ये दोनों फिलीपींस के मनीला से दिल्ली पहुंचे थे। आंतकी अमृतपाल सिंह उर्फ अम्मी और अमरीक सिंह को आज NIA की कस्टडी खत्म होने पर पटियाला हाउस अदालत स्थित विशेष न्यायाधीश शलैन्द्र मलि के समक्ष पेश किया गया था।इनके खिलाफ पंजाब में कई आपराधिक मामले दर्ज है और ये आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। इनसे पूछताछ कर पता लगाना है कि ये हथियारों और फंड का कहां से प्रबंध करते थे। दोनों के खिलाफ पिछले साल 20 अगस्त को मामला दर्ज किया गया था।