Aaj Samaj (आज समाज),Legally News, नई दिल्ली :
1* साक्षी हत्याकांड: साहिल को अदालत ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा
दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाके में निर्दयता से किए साक्षी हत्याकांड का आरोपी साहिल को गुरुवार को दिल्ली की रोहणी कोर्ट में पेश किया गया। दो दिनों की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद हत्यारे साहिल को अदालत में पेश किया गया था। पुलिस ने आरोपी से गहनता के साथ पूछताछ करने के लिए कोर्ट से आरोपी की 5 दिनों रिमांड मांगी है। कोर्ट ने आरोपी को 3 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
वहीं पीड़ित परिवार आरोपी के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहा है। पीड़िता की मां का कहना है कि बेटी 10 दिन से अपनी दोस्त के घर में थी। वो जिस दोस्त का जिक्र कर रही हैं, उसका नाम नीतू है। नीतू के बेटे के बर्थडे में जाने की बात कहकर वह घर से निकली थी। वो अक्सर नीतू के घर जाती थी और वहां रुकती थी।
सूत्रों के मुताबिक आरोपी ने 16 साल की किशोरी की निर्मम हत्या करने के बाद रिठाला में हत्या में इस्तेमाल हथियार छिपाया। यह हथियार अभी तक पुलिस बरामद नहीं कर सकी है। उसके बाद वह बुलंदशहर स्थित अपनी बुआ के घर छिप गया। मोबाइल से आरोपी की लोकेशन का पता चला। इसके बाद पुलिस ने उसे बुलंदशहर से दबोच लिया।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद जब आरोपी से पूछताछ की तो वह बेखौफ दिख रहा था। बताया जा रहा है कि उसने अपना गुनाह पुलिस के सामने स्वीकार कर लिया। कहा कि मृतका के साथ उसका रिश्ता था। उसे अपने अपराध पर किसी तरह का पछतावा नहीं है। मृतका उसे अनदेखा कर रही थी। जिस वजह से वह अपना आपा खो बैठा था और उसके बेरहमी से हत्या कर दी।
2* बिना पहचान 2000 के नोट को बदलने के खिलाफ दाखिल याचीका पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
बिना पहचान 2000 रुपये के नोट को बदलने के खिलाफ दाखिल याचीका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याया ने सुप्रीम कोर्ट जी वेकेशन बेंच से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। जिसपर कोर्ट ने कहा कि वो जुलाई में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष अपनी याचीका पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाए। उपाध्याय ने आरबीआई के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें बैकों में बिना आईडी इन नोटों को बदला जा रहा है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार का यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद इस याचीका को खारिज कर दिया था।
उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा गया कि 2000 के नोट बिना किसी पहचान प्रमाण के बैंक में जमा करना या एक्सचेंज करना मनमाना, तर्कहीन और देश के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। अश्विनी उपाध्याय ने आरबीआई और एसबीआई को निर्देश देने की मांग की है कि 2000 के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा जाए, ताकि कोई भी दूसरा बैंक खातों में पैसा जमा न कर सके और कालाधन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की पहचान आसानी से हो सके।
इतना ही नही याचीका में भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए केंद्र को काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है।
दरसअल रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को प्रसार से बाहर करने का ऐलान करते हुए नोटिफिकेशन में कहा था कि इन्हें 23 मई से बैंकों में बदलवाया जा सकता है। रिजर्व बैंक के अनुसार, 31 मार्च 2018 को 2000 रुपये के नोटों का प्रसार 6.73 लाख करोड़ रुपये के बराबर था, जो 31 मार्च 2023 को कम होकर 3.62 लाख करोड़ रुपये पर आ चुके हैं। ये नोट प्रसार के सभी नोटों का केवल 10.8 फीसदी हिस्सा हैं।
3* नौकरी के बदले जमीन मामला: कोर्ट ने सीबीआई को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाख़िल करने के लिए 12जुलाई तक का समय दिया
नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में गुरुवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाख़िल करने के लिए 12 जुलाई तक का समय दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि कोर्ट की छुट्टियों के बाद इस मामले में सीबीआई अपना सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करेगी। जिसपर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा आप इस मामले में लगातार देर कर रहे है यह सही नही है। जिसपर सीबीआई ने कोर्ट में कहा अभी इस मामले में जांच चल रही है कुछ नए तथ्यों को शामिल करना है लिहाजा थोड़ा समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने सीबीआई को 12 जुलाई तक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय दिया। इसके साथ ही अदालत ने कहा वो 12 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई करेंगे।
दरसअल 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर रेलवे में नौकरी के बदले लोगों से जमीन लेने का आरोप है। आरोप है कि लालू परिवार को ये जमीन उपहार में दी गई या कम कीमत पर बेच दी गई। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि रेलवे की ग्रुप-डी में भर्ती के लिए भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए रेलवे में अनियमित नियुक्तियां की गईं।
4*वसंत विहार की झुग्गियों पर टूटेगा बुलडोजर का कहर, हाईकोर्ट ने 15 जून से कार्रवाई शुरू करने का दिया हुक्म*
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एकबार फिर बुलडोजर गरजता नजर आएगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को उसके मुख्यालय के निर्माण के लिए आवंटित भूमि पर बसी झुग्गी बस्ती को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने तोड़फोड़ की कार्रवाई दो जून के बजाय 15 जून को करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने वसंत विहार में स्लम क्लस्टर प्रियंका गांधी कैंप के निवासियों की ओर से दाखिल याचिका पर यह निर्देश दिया है।
उन्होंने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) से याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास के लिए प्रतिवेदन/मांग पर विचार करने और इस बीच उन्हें एक अस्थायी आश्रय में स्थानांतरित करने के लिए कहा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि इस कैंप में पिछले तीन दशकों से लोग रहे हैं, ऐसे में 2015 की पुनर्वास नीति के तहत यहां रह रहे लोग पुनर्वास के हकदार है।
NDRF की ओर से ASG चेतन शर्मा ने कहा कि मुख्यालय का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। उन्होंने कहा कि यह कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, कनॉट प्लेस सहित कई क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र में हैं। शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता परिवारों को बेघर करने का मकदस नहीं था क्योंकि तोड़फोड़ के लिए जारी सूचना में ही यह प्रावधान था कि वे (झुग्गी निवासी) लागू नीति के अनुसार DUSIB द्वारा चलाए जा रहे रैन बसेरों में रह सकते हैं।
न्यायालय को बताया गया कि डीडीए द्वारा 2020 में NDRF को यह विवादित भूमि आवंटित की गई थी और वर्तमान में बल का मुख्यालय पट्टे के परिसर में स्थित है, जिसके लिए किराए के रूप में करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि NDRF मुख्यालय के निर्माण को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पक्षकारों के हितों को संतुलित करने की आवश्यकता है। पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए संबंधित अधिकारियों से मलिन निवासियों के पुनर्वास के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा। उच्च न्यायालय ने DUSIB को 69 परिवारों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने का निर्देश दिया।
5*वसंत विहार की झुग्गियों पर टूटेगा बुलडोजर का कहर, हाईकोर्ट ने 15 जून से कार्रवाई शुरू करने का दिया हुक्म*
15 जून से फिर से बुलडोजर वसंत विहार इलाके में फिर से तोड़-फोड़ के लिए निकल पड़ेग। नेशनल डिसास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) को उसके मुख्यालय की भूमि पर स्थित झुग्गी बस्ती को हटाने की रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। अदालत ने संबंधित इलाके में अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी कर दिए है मगर यह कार्रवाई जो कि 15 जून से शुरू होगी। इस याचिका पर न्यायिक अधिकारी तुषार राव गेडेला ने वसंत विहार के स्लम क्लस्टर प्रियंका गांधी कैंप के निवासियों की ओर से यह निर्देश दिया है।
उन्होंने दिल्ली शहरी आवास सुधार बोर्ड (DUSIB) से याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास की याचिका पर विचार करने को कहा है और उन्हें अस्थायी आश्रय में स्थानांतरित करने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा है कि इस कैंप में पिछले तीन दशकों से लोग रह रहे हैं और उन्हें यहां रहने का अधिकार है, क्योंकि 2015 की पुनर्वास नीति के तहत वे यहां रहने के हकदार हैं।
NDRF के वकील चेतन शर्मा ने कहा है कि मुख्यालय का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। उन्होंने कहा है कि यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में कनॉट प्लेस भी शामिल है। शर्मा ने कहा है कि याचिकाकर्ता के परिवारों को बेघर करने का इरादा नहीं था, क्योंकि तोड़फोड़ के लिए जारी सूचना में ही यह विवरण दिया गया था कि वे दिल्ली शहरी आवास सुधार बोर्ड (DUSIB) द्वारा संचालित रैन बसेरों में रह सकते हैं।
कोर्ट को बताया गया है कि 2020 में NDRF को इस विवादित भूमि को आवंटित किया गया था और वर्तमान में उनका मुख्यालय पट्टे के परिसर में स्थित है, जिसके लिए करोड़ों रुपये का किराया दिया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने कहा है कि NDRF के मुख्यालय का निर्माण रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पक्षकारों के हितों को संतुलित करने की आवश्यकता है। अदालत ने मलिन निवासियों के पुनर्वास पर विचार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को बताया है और DUSIB को 69 परिवारों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने का निर्देश दिया है।
6 *42 साल बाद आया 10 दलितों की हत्या का फैसला, 90 साल के दोषी को ताउम्र कैद और 55 हजार रुपये जुर्माना*
आज से 42 साल पहले 10 दलितों की हत्या के एक 90 वर्षीय आरोपी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं कोर्ट ने बुजुर्ग आरोपी पर 55 हजार रुपये का अर्थ दण्ड भी लगायाहै।
साल 1981 में 10 दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में 10 लोगों के दोषी माना गया था। केस की सुनवाई के दौरान 9 दोषियों की मौत हो गई है और 90 साल का बुजुर्ग एक मात्र जीवित दोषी था, जिसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
दरअसल, फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर इलाके के गांव साडूपुर में साल 1981 में कुछ लोगों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी, जिसमें 10 दलिकों की हत्या हुई थी। साथ ही तीन लोग गोली लगने से घायल भी हुए थे। मामले में फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन के क्लर्क डीसी गौतम की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
7 *सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात से संबंधित दो प्रतिबंधों को असंवैधानिक ठहराया*
ओकलाहोमा राज्य के सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात पर लगे दो प्रतिबंध कानून को असंवैधानिक ठहराया है। हालांकिइस निर्णय का, 1910 के कानून पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिससे अब भी अधिकांश राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध बना हुआ है।
यह विवाद चिकित्सा आपातकाल के मामलों संबंध में था। सुप्रीम कोर्ट में उन कानूनों को बदला गया गया था, जो नागरिक कानून के रूप में उपयोग होते हैं और निजी नागरिक मामलों पर आधारित होते हैं। दोनों कानूनों ने “चिकित्सा आपातकाल” के मामलों में विवाद पैदा किया था, इसलिए कोर्ट ने इसे असंवैधानिक ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इस कानून को 6-3 के बहुमत से बदला है। मीडिया के मुताबिक, जजों ने यह तर्क दिया कि महिलाओं को चिकित्सा आपातकाल के अभाव में अपने जीवन की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने का संवैधानिक अधिकार है।
ओकलाहोमा एक गणतंत्रवादी नेतृत्व वाले राज्यों में से एक है, जहां गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी उसके बाद में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद। हालांकि, इसके खिलाफ कई मामले दायर किए गए और राज्य के उच्चतम न्यायालयों ने कई सुनवाईयां की।
इन न्यायालयों ने गर्भपात की पहुंच के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, साथ ही देश में गर्भपात संबंधी बहस में एक नया राजनीतिक मुद्दा भी उठा। दूसरी ओर कुछ राज्यों के न्यायालयों ने फैसला सुनाया है कि गर्भपात के अधिकार उनके राज्य के संविधानों द्वारा संरक्षित हैं।
इस निर्णय ने कानूनी जटिलताओं पर भी प्रकाश डाला है, जहां कहा गया है कि कैसे गर्भपात प्रतिबंध और विवादों की व्याख्या उन स्थितियों में की जा सकती है जब महिला की जान की संभावना हो। रिपोर्ट के अनुसार, अन्य राज्यों में गर्भपात करने वाले डॉक्टरों ने दावा किया है कि कानून के उल्लंघन किए बिना रोगियों की देखभाल करना मुश्किल था।
8*विवेकानंद रेड्डी हत्या मामलाः सांसद अविनाश रेड्डी को हाईकोर्ट ने दी अग्रिम जमानत *
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को वाई एस विवेकानंद रेड्डी हत्या मामले में कडप्पा सांसद वाई एस अविनाश रेड्डी को अग्रिम जमानत दे दी।
अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने वाई एस अविनाश रेड्डी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने, देश नहीं छोड़ने और हर शनिवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सामने पेश होने का निर्देश दिया।
अविनाश रेड्डी के वकील, नागी रेड्डी ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत दी गई थी।
“अदालत ने अविनाश रेड्डी को जब भी आवश्यक हो सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया और सीबीआई के अनुरोध पर प्रत्येक शनिवार को जून के अंत तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक और जब भी आवश्यक हो, सीबीआई के सामने उपस्थित होंगे। इसने याचिकाकर्ता को आगे निर्देश दिया कि वह नागी रेड्डी ने कहा, जांच पूरी होने तक सीबीआई की पूर्व अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ेंगे।
न्यायमूर्ति एम. लक्ष्मण की पीठ ने कहा कि पूरा मामला अनुमानित साक्ष्य पर टिका है। “जहां तक निष्कर्षों का सवाल है, बचाव पक्ष इस मामले में अविनाश रेड्डी की संलिप्तता के सबूत के बारे में कोई उचित जवाब नहीं दे सका। पूरे सबूत सुने गए सबूत हैं। कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। सीबीआई के सामने कोई स्वीकार्य सबूत नहीं है। अविनाश रेड्डी को फंसाओ,” नागी रेड्डी ने आगे कहा।
अदालत ने दोनों पक्षों यानी याचिकाकर्ता अविनाश रेड्डी और दूसरे पक्ष की सीबीआई और मृतक विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता की ओर से सुनवाई के बाद जमानत अर्जी पर आदेश पारित किया। अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है और याचिकाकर्ता अविनाश रेड्डी को गिरफ्तारी की स्थिति में व्यक्तिगत मुचलके की दो जमानत के साथ 5,00,000 रुपये की जमानत देने पर जमानत देने का आदेश पारित किया, नागी ने कहा रेड्डी.
2019 के आम चुनाव से एक महीने पहले, पूर्व सांसद विवेकानंद रेड्डी 15 मार्च, 2019 को पुलिवेंदुला में अपने आवास पर मृत पाए गए थे।
9*पूर्व विधायक शोएब लोन को हाईकोर्ट से राहत, कथित पत्नी की शिकायत के आधार पर नहीं होगी जांच*
जम्मू – कश्मीर के बारमूला थाने में एक महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराई गयी थी। जिसमे महिला ने ये दावा किया था की पूर्व विधयाक शोएब लोन उनके पति है। और वह शोएब लोन की पत्नी है।
जहां जम्मू- कश्मीर उच्च-न्याययालय में चल रहे इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल ने कहा कि पीड़िता के बयान पर पुलिस में दर्ज शिकायत की जांच पर रोक लगाई जाती है। महिला ने शोएब लोन पर धारा 376 (बलात्कार), 342 (गलत कारावास) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने के लिए याचिका डाली थी। शोएब लोन के वकील जहांगीर अहमद डार का कहना है की शिकायत केवल पूर्व विधायक को परेशान करने के लिए दर्ज कराई गयी है। वकील जहांगीर अहमद डार ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने महिला शिकायतकर्ताके बयान को दर्ज करने के लिए बार-बार अनुरोध किया था, लेकिन वह नहीं आई। इस तथ्य को सुनने के बाद जिसके उच्च न्यायालय ने जांच पर रोक लगा दी है और मामले की सुनवाई 14 जून तक के लिए स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने शिकायतकर्ता सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।