आज समाज डिजिटल, नई दिल्लीः
1.आकांक्षा दुबे आत्महत्या मामला: आरोपी समर सिंह गिरफ्तार, गाजियाबाद कोर्ट ने समर सिंह को वाराणसी पुलिस को ट्रांजिट रिमांड पर दिया
भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री आकांक्षा दुबे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी समर सिंह को शुक्रवार को उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया है। वाराणसी कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच ने समर को गिरफ्तार कर गाजियाबाद कोर्ट में पेश किया। क्राइम ब्रांच ने अदालत से समर सिंह का ट्रांजिट रिमांड मांगा, जिसके बाद अदालत ने
समर सिंह को वाराणसी पुलिस को ट्रांजिट रिमांड पर दे दिया। रिमांड मिलने के बाद पुलिस अब समर सिंह को लेकर वाराणसी रवाना हो गई है।
दरसअल समर सिंह गाजियाबाद के नंदग्राम थाना क्षेत्र के राजनगर एक्सटेंशन स्थित चार्म्स क्रिस्टल सोसायटी में छुपा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक पुलिस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए वह गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली और उत्तराखंड में ठिकाने बदल-बदल कर रह रहा था।
गाजियाबाद पुलिस के डीसीपी निपुण अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि, गुरुवार को वाराणसी के सारनाथ थाने की पुलिस यहां आई थी। आकांक्षा दुबे मामले में हमसे मदद मांगी थी। शुक्रवार सुबह नंदग्राम थाना क्षेत्र स्थित गांव मोरटा के नजदीक सोसायटी से समर सिंह को गिरफ्तार कर नंदग्राम थाना लाया गया। मेडिकल मुआयना के बाद पुलिस ने समर को ट्रांजिट रिमांड के लिए कोर्ट में पेश किया। जिसके बाद अदालत ने वाराणसी क्राइम ब्रांच को ट्रांजिट रिमांड दे दिया है।
अभिनेत्री आकांक्षा दुबे पिछले महीने 26 मार्च को सारनाथ क्षेत्र स्थित एक होटल के कमरे में मृत मिली थीं। आकांक्षा दुबे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में भोजपुरी समर सिंह और उसके भाई संजय सिंह के खिलाफ सारनाथ थाने में 27 मार्च को मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद से समर सिंह फ़रार चल रहा था।
2. अतीक अहमद और बेटे उमर की बढ़ीं मुश्किलें, अपहरण-रंगदारी के आरोप तय, सीबीआई कोर्ट में चलेगा मुकदमा
लखनऊ के कारोबारी मोहित जायसवाल का अपहरण कर देवरिया ले जाने और रंगदारी मांगने के मामले में अतीक अहमद और उसके बेटे उमर के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत ने चार्ज फ्रेम कर दिए हैं। अब अगली तारीख से दोनों पर इस मामले में ट्रायल शुरू हो जाएगा। सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह की कोर्ट में अतीक अहमद और उसके बेटे उमर अहमद पर 364A, 147, 149, 329, 386, 120b, 420/120A, 467, 468, 471, 394/149, 323, 504, 506 की धाराओं में अपराध तय हुआ है।
दरअसल, 28 दिसंबर 2018 को लखनऊ के व्यवासाई मोहित जायसवाल ने कृष्णा नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि देवरिया जेल में बंद अतीक अहमद ने गुर्गों के जरिये गोमती नगर स्थित ऑफिस से उसका अपहरण करवाया था। इसके बाद अतीक ने जेल में उसके साथ मारपीट की तथा सादे पन्ने पर दस्तखत करने को कहा था। इनकार करने पर अतीक, उसके बेटे उमर तथा गुफरान, फारुख, गुलाम व इरफान ने तमंचे-रॉड और पट्टे से उसे पीटा था। इसके बाद जबरन स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर बनवाकर 45 करोड़ की संपत्ति अपने नाम करा ली थी।
अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं, जिनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे हैं। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। अतीक अहमद पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुका है।
3.रांची की सिविल कोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में अभिनेत्री अमीषा पटेल के खिलाफ जारी किया वारंट
बॉलीवुड अभिनेत्री अभिनेत्री अमीषा पटेल की मुश्किलें बढ़ गई है। रांची की सिविल कोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में फिल्म अमीषा पटेल के खिलाफ वारंट जारी किया है। रांची की अदालत ने झारखंड के फिल्म निर्माता अजय कुमार सिंह की ओर अमीषा पटेल और उनके बिजनेस पार्टनर कुणाल गूमर के खिलाफ दाखिल चेक बाउंस, धोखाधड़ी और धमकी मामले में वारंट जारी किया है। यह पूरा मामला कथित 2.5 करोड़ की ठगी से जुड़ा है।
अजय सिंह ने यह आरोप लगाया था कि अमीषा पटेल ने म्यजूकि वीडियो बनाने के लिए पैसे लिए थे, लेकिन न तो म्यूजिक वीडियो ही बना, न ही उनके पैसे वापस किए गए। वही अदालत ने अमीषा पटेल को लेकर नाराजगी जाहिर की कहा इस मामले में उनके खिलाफ समन तक जारी हो चुका है और ऐसे में भी न तो वह और न ही उनके वकील ही कोर्ट में हाजिर हुए। अदालत 15 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेगा।
निर्माता और शिकायतकर्ता अजय सिंह ने दावा किया है कि उनका और अमीषा पटेल के साथ एक एग्रीमेंट हुआ था। इसके मुताबिक, एक म्यूजिक वीडियो पर काम होना था। इस एग्रीमेंट में यह साफ साफ लिखा था कि उन्हें ये पैसा जून 2018 में ब्याज सहित लौटाना है। बार-बार जब उन्होंने अपना पैसा मांगा तो अमीषा की ओर से ढाई करोड़ का चेक दिया गया, जो कि बाउंस हो गया। जिसके बाद पूरा मामला अदालत पहुँचा।
4. एसएससी पेपर लीक मामला:तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को वारंगल कोर्ट ने सशर्त जमानत दी।
तेलंगाना के बीजेपी अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को वारंगल कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट बोर्ड
(एसएससी) पेपर लीक मामले में वारंगल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 20 हजार रुपए के बॉन्ड पर बंदी संजय को जमानत दी।
अदालत ने जमानत देते हुए शर्त भी लगाई है कि बंदी संजय देश छोड़कर नहीं जाएंगे, जांच में सहयोग करेंगे और गवाहों को नहीं धमकाएंगे।
दरसअल बंदी संजय तेलंगाना के करीमनगर से लोकसभा सांसद हैं। उन्हें तेलंगाना पुलिस ने मंगलवार देर रात एसएससी हिंदी पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था। वही बुधवार को बंदी संजय समेत 4 लोगों की 2 हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इसके बाद संजय राहत के लिए तेलंगाना हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। कोर्ट ने उनसे स्थानीय कोर्ट में याचिका दाखिल को कहा था।
इसी साल 4 अप्रैल को वारंगल में राज्य में सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट बोर्ड के हिंदी का एग्जाम शुरू होने के कुछ ही देर में पेपर लीक हो गया था। पुलिस ने इस मामले में बंदी संजय को आरोपी बनाया था और
आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और धारा 505 के तहत मामला दर्ज किया था।
पुलिस ने अदालत में दाखिल अपनी रिमांड रिपोर्ट में दावा किया कि संजय ने दो लोगों के साथ मिलकर पेपर लीक करने का प्लान बनाया था।
5. अमेरिकन सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: ट्रांसजेंडर खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगाने से इंकार
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा ट्रांसजेंडर एथलीटों पर प्रतिबंध लगाना उनके अधिकारों के साथ खिलवाड़ करना होगा। अदालत ने वेस्ट वर्जीनिया के पब्लिक स्कूलों के महिला खेल टीमों से ट्रांसजेंडर एथलीटों पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य के कानून को लागू करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने वेस्ट वर्जीनिया के उस कानून के खिलाफ निषेधाज्ञा को हटाने के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसे एक निचली अदालत ने लगाया था। दरअसल एक 12 साल की ट्रांसजेंडर लड़की बेकी पेपर-जैक्सन ने निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दो साल पहले 2021 में वर्जीनिया में एक कानून पारित किया गया था। इसके मुताबिक, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में महिला खेलों में ट्रांसजेंडर को खेलने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके खिलाफ याचिका दायर करते हुए पेप्पर-जैक्सन और उनकी मां हीथर ने दलील दी थी कि कानून अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन कानून के तहत समान सुरक्षा की गारंटी के साथ-साथ शीर्षक IX नागरिक अधिकार कानून का भी उल्लंघन करता है। इतना ही नही ये सेक्स और ट्रांसजेंडर स्थिति के आधार पर भेदभाव करता है साथ ही ये शिक्षा में भेदभाव भी करता है।
6.आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन कर रही है भारत सरकार, अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि वह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है।
भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि आपराधिक कानूनों में संशोधन के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है और सरकार राजद्रोह कानूनों सहित पूरे सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन करना चाहती है।
सीआरपीसी की धारा 64 को इस आधार पर चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई।
यह मामला अब जुलाई 2023 के लिए सूचीबद्ध किया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि समन किए गए व्यक्ति की ओर से समन प्राप्त करने के लिए महिला परिवार के सदस्यों का बहिष्कार महिलाओं के समानता और निजता के अधिकार के साथ-साथ भारत के संविधान के तहत त्वरित परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन करता है।
यह प्रावधान अन्य सभी संबंधित हितधारकों के लिए भी कठिनाइयाँ पैदा करता है और उन स्थितियों के लिए जिम्मेदार नहीं है जहाँ समन किया गया व्यक्ति केवल महिला परिवार के सदस्यों के साथ रहता है या जहाँ समन की तामील के समय उपलब्ध एकमात्र व्यक्ति महिला है।
7. दिल्ली सरकार के बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, समलैंगिक जोड़ों को भी बच्चे गोद लेने की मिले इजाज़त
दिल्ली सरकार के बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि समलैंगिक जोड़ों को भी बच्चे गोद लेने की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही डीसीपीसीआर ने
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं के साथ उनका पक्ष भी सुनवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों के संविधान पीठ को 18 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई करेगी। अर्जी में दलील दी गई है कि विषमलिंगी जोड़ों की तरह ही समलैंगिक जोड़े भी अच्छे या बुरे अभिवावक बन सकते हैं।
इतना ही नही डीसीपीसीआर ने कहा दुनिया के 50 से ज्यादा देश समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की इजाजत देते हैं और ऐसा कोई सबूत नहीं है कि समलैंगिक जोड़ों के बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास पर असर पड़ता है।
याचिका में यह भी कब गया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से मौजूदा कानूनों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। डीसीपीसीआर ने कहा मौजूदा गोद लेने के कानून पुरानी मान्यताओं और धारणाओं पर आधारित हैं और
मौजूदा समय से उनका नाता नहीं है। अर्जी में यह भी कहा गया है कि समलैंगिक जोड़ों में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होता है, ऐसे में अलगाव (तलाक़) के समय गुजारा भत्ता तय करने, बच्चे के कस्टडी लेने में पति पत्नी वाला विवाद नहीं रहेगा।
8.एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल का नया मसौदा बनाने के लिए गठित की गई विशेष समिति, वकीलों से मांगे गए सुझाव
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की सुरक्षा के मुद्दे पर अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेष समिति की स्थापना की है।
यह कदम अदालतों के अंदर और बाहर वकीलों पर हाल के हमलों के बाद बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने उठाया है।प्रस्तावित मसौदे के तहत बनाए जाने वाले कानून का उद्देश्य दिल्ली सरकार द्वारा अधिनियमित किया जाना है। नवगठित विशेष समिति और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष के.सी. मित्तल व्यापक योजना का मसौदा तैयार करेंगे।
इस समिति के अन्य सदस्यों में डी. के. शर्मा, बीसीडी की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष; संजय राठी, माननीय। बीसीडी के सचिव. बीसीडी के सह-अध्यक्ष अजयिंदर सांगवान, और अजय सोंधी शामिल हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी भारत सरकार को इसी तरह के कानून का प्रस्ताव दिया है।
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने जिला बार संघों की समन्वय समिति के अपने सभी सदस्यों और पदाधिकारियों से भी अपना अभिमत देने का अनुरोध किया है।
9.हेट स्पीचः सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दी बड़ी राहत, तुषार गांधी की अवमानना याचिका कर दी डिसमिस
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में दिल्ली पुलिस को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर अवमानना याचिका डिसमिस कर दी।
नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में कथित निष्क्रियता को लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर तुषार गांधी की ने अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपना काम कर चुकी है। लिहाजा अब इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं बनता।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलों पर विचार किया कि जांच पूरी होने के बाद चार अप्रैल को यहां मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। पीठ ने कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने के मद्देनजर वर्तमान अवमानना याचिका पर सुनवाई जारी रखना न्याय के हित में उचित नहीं है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया कि आरोप पत्र की प्रति गांधी को मुहैया कराई जाए। अदालत ने कहा कि आरोपपत्र दायर हो गया है और हमारी भूमिका समाप्त हो गई है। कोर्ट ने कहा कि अब निचली अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के अनुसार कार्यवाही संचालित की जाएगी। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले की जांच अग्रिम चरण पर है और जल्द ही जांच रिपोर्ट दायर की जाएगी।
10. ‘जज’ पत्नी ने ‘वकील’ पति से मांगा गुजारा भत्ता, जयपुर फैमिली कोर्ट ने कहा, मासिक भत्ता पत्नी का हक देना होगा
जयपुर की फैमिली कोर्ट ने निर्देश दिया है कि चाहे पत्नी सरकारी-न्यायिक अधिकारी ही क्यों न हो पति को गुजारा भत्ता देना ही पड़ेगा। फैमिली कोर्ट के जज अरुण कुमार दुबे ने यह आदेश श्रीगंगानगर में एडिशनल जज के तौर पर तैनात पत्नी की याचिका पर दिया। याची (पत्नी) की शादी 24 नवंबर 2007 को भरत अजमेरा नामर के एक वकील से हुई थी। शादी के बाद साल 2010 और 2015 में दोनों के संयोग से एक बेटी और एक बेटे का जन्म भी हुआ। दोनों बच्चे अपनी मां के साथ रहते हैं। याची पत्नी ने अपनी याचिका में कहा है कि शादी के समय उसका वकील पति नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था। उस वक्त भी उसने अपने पति को आर्थिक मदद दी थी।
फैमिली कोर्ट में दाखिल अर्जी में पत्नी ने यह भी कहा है कि जब से उसका पति अजमेर में एपीओ के पद पर नियुक्त हुआ है तब से वो परिवार और बच्चों का ख्याल नहीं रखता है और न ही उनका खर्चा उठाता है। उसके पति का व्यवहार असहयोगात्मक और नकारात्मक हो गया है।
इन सारे तथ्यों के साथ जज पत्नी (याची) ने वकील पति से तलाक के साथ ही बच्चों के भरण पोषण भत्ते की भी मांग की । जिस पर एडवोकेट पति की ओर से पेश हुए वकील डीएस शेखावत ने कहा कि याची ने स्वयं तलाक की अर्जी लगाई है इसलिए वो भरण पोषण भत्ता नहीं मांग सकती, इसके अलावा उसकी मासिक तन्ख्वाह भी दो लाख रुपए है।
फैमिली कोर्ट ने प्रतिवादी (पति) के पक्ष के सारे बयान सुनने के बाद आदेश दिया कि भले ही याची की मासिक आय पति से ज्यादा है फिर भी अगर वो चाहती है तो पति को भरण पोषण भत्ता देना ही पड़ेगा। इसके बाद फैमिली कोर्ट के जज अरुण कुमार दुबे ने पत्नी को हर माह 24 हजार रुपये भरण पोषण भत्ता देने का आदेश पारित कर दिया।
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