Aaj Samaj, (आज समाज), Legal Recognition To Gay Marriage,दिल्ली:
1. केंद्र सरकार के बाद बीसीआई ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं का किया विरोध।
केंद्र सरकार के बाद अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने भी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विरोध करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया है। बीसीआई ने अपने प्रस्ताव में कहा है, इस तरह के संवेदनशील विषय पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भविष्य की पीढ़ियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है और इसे विधायिका के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि ,‘‘भारत विभिन्न मान्यताओं को संजो कर रखने वाले विश्व के सर्वाधिक सामाजिक-धार्मिक विविधता वाले देशों में से एक है। इसलिए, बैठक में आम सहमति से यह विचार प्रकट किया गया कि सामाजिक-धार्मिक और धार्मिक मान्यताओं पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला कोई भी विषय सिर्फ विधायी प्रक्रिया से होकर आना चाहिए।” सभी राज्य बार काउंसिल के प्रतिनिधियों की भागीदारी वाली संयुक्त बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया।
दरसअल देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की संविधान पीठ कर रही है। मंगलवार से इस मामले में आखिरी बहस अदालत में शुरू होगी।
2.असद-गुलाम के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच करेगा दो सदस्यीय न्यायिक आयोग, योगी सरकार ने गठन किया आयोग
माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और गुर्गा गुलाम की झांसी में हुई मुठभेड़ (एनकाउंटर) की जांच अब दो सदस्यीय न्यायिक आयोग करेगा। योगी सरकार ने जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस राजीव लोचन मेहरोत्रा को आयोग का अध्यक्ष, जबकि पूर्व डीजी विजय कुमार गुप्ता को सदस्य बनाया है। सूत्रों के मुताबिक आयोग 26 अप्रैल को झांसी जाकर मामले की जांच शुरू कर सकता है। दरसअल 13 अप्रैल को झांसी के बड़ागांव थानाक्षेत्र स्थित पारीछा बांध के पास एसटीएफ ने असद और गुलाम को मुठभेड़ में मार गिराया था। दोनाें के पास से अत्याधुनिक ब्रिटिश बुलडॉग रिवाल्वर और पी-88 वॉल्थर पिस्टल भी बरामद की गई थी। हालांकि एनकाउंटर के बाद डीएम झांसी ने सिटी मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव को मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी थी लेकिन फिर भी विपक्षी दल इस मुठभेड़ पर तमाम सवाल उठाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग करते रहे।
वही प्रयागराज में 15 अप्रैल को पुलिस रिमांड में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले की जांच के लिए भी योगी सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।
3. सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपति के तलाक की याचीका पर की टिप्पणी, कहा आप में से एक दिन में और दूसरा रात में, ऐसे में दोनों के पास एक दूसरे के लिए समय कहां ही है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपति के तलाक की याचीका पर सुनवाई करते हुए कहा आप में से एक दिन में काम करता है और दूसरा रात में। ऐसे में दोनों के पास एक दूसरे के लिए समय कहां ही है। मामले की सुनवाई जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आप दोनों बेंगलुरु में तैनात सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। आप में से एक दिन में ड्यूटी पर जाता है और दूसरा रात में काम पर जाता है। आपको तलाक का कोई अफसोस नहीं है लेकिन आप शादी के लिए पछता रहे हैं। पीठ ने कपल से पूछा ऐसे में आप अपनी शादी को दूसरा मौका क्यों नहीं देते?
जिसपर वकीलों ने पीठ को बताया कि पति और पत्नी दोनों ही एक समझौते पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कुछ नियमों और शर्तों पर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक की डिक्री द्वारा अपनी शादी को भंग करने का फैसला किया है। इन शर्तों में से एक यह है कि पति स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के सभी दावों के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए कुल 12.51 लाख रुपये का भुगतान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जब इस अदालत ने सवाल किया, तो दंपति ने कहा कि वे वास्तव में अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से अलग करने और आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समझौते की शर्तें होंगी उनके द्वारा यह पालन किया जाता है और इसलिए आपसी सहमति से तलाक की डिक्री द्वारा विवाह को भंग किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों में, “हमने निपटान समझौते के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दायर आवेदन को रिकॉर्ड में लिया है।अवलोकन करने पर, हम पाते हैं कि समझौते की शर्तें वैध हैं.” और समझौते की शर्तों को स्वीकार करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाह संबंध को सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त करने की अनुमति दे दी।
4. सरकारी कर्मचारी ओवरटाइम काम करने की एवज में पैसे के भुगतान के हकदार नही: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि सरकारी कर्मचारियों ओवरटाइम काम करने की एवज में पैसे के भुगतान के हकदार नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की समय-समय पर वेतन आयोग की सिफारिशों के जरिये सैलरी खुद ही बढ़ जाती है लेकिन ठेके पर काम करने वाले कर्मियों के साथ ऐसा नहीं होता है। इसके अलावा सरकारी कर्मियों को कुछ अन्य विशेषाधिकार भी मिलते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कर्मचारियों ने दावा किया कि उन्हें शारीरिक काम करना पड़ता है और वे ओवरटाइम भत्ते के हकदार हैं। अदालत ने उनके एसीआर की जांच की। कोर्ट ने “सिविल पदों पर या राज्य की सिविल सेवाओं में रहने वाले व्यक्ति कुछ विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं। अदालत ने कहा कि मौलिक नियमों और पूरक नियमों (1922) के नियम 11 में कहा गया है, “जब तक किसी भी मामले में अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सरकारी सेवक का पूरा समय सरकार के नियंत्रण में होता है जो उसे भुगतान करती है। वह किसी भी तरह से नियोजित हो सकता है। ऐसे में उसका अतिरिक्त पारिश्रमिक का दावा नहीं होगा।दअरसल सुप्रीम कोर्ट ने ओवरटाइम भत्ते के मुद्दे पर सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और उसके कर्मचारियों के बीच विवाद पर यह फैसला सुनाया है।
5.अतीक और अशरफ की हत्या की जांच की मांग वाली याचीका पर 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हुए हत्या के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
वकील विशाल तिवारी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष गुहार लगाई और जल्द सुनवाई की मांग की। जिसपर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार यानी 28 अप्रैल को सुनवाई का भरोसा दिया है।
वकील विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दाखिल कर पूर्व जज की निगरानी में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच की मांग की है। इतना ही नही याचिका में उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद हुए सभी 183 एनकाउंटरों की जांच की मांग की भी गई है।
वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचीका में मांग की है कि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस मुठभेड़ लोकतंत्र के लिए खतरा बनने के साथ ही कानून के राज के लिए भी खतरनाक हैं।
दरसअल अतीक अहमद की शनिवार को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थीं। याचिका में 2020 विकास दूबे मुठभेड़ मामले की सीबीआई से जांच की मांग की गई है। इससे पहले माफिया अतीक अहमद की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा करती एक याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था।
6. लखीमपुर कांड: सुप्रीम कोर्ट से आशीष मिश्रा को मिली राहत बरकरार, 11 जुलाई तक मिली अंतरिम ज़मानत
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत फिलहाल बरक़रार रहेगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत 11 जुलाई तक बढ़ा दी है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रहे मामले का ट्रायल डे टू डे ट्रायल कराने के आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे दूसरे लंबित मामलों में दिक्कत आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल जज गंभीरता से मामले की सुनवाई कर रहे हैं,अभी तक वो 6 स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई करेगा।
आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को हिंसा मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया था।
दरसअल 3 अक्टूबर, 2021 को तिकुनिया इलाके में किसान प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान पीछे से आई एसयूवी कार चढ़ने से चार किसानों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी बनाया गया है।
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