संजीव कौशिक, रोहतक:
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) के हिंदी विभाग और कॅरियर काउंसिलिंग एंड प्लेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वावधान में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भाषा और रोजगार विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया।
पूरनचंद टंडन रहे विशिष्ट वक्ता
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पूरन चंद टंडन ने बतौर विशिष्ट वक्ता यह व्याख्यान दिया। कॅरियर काउंसिलिंग और प्लेसमेंट सेल की विभागीय समन्वयिका डा. कृष्णा देवी ने कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन किया। प्रो. पूरन चंद टंडन ने अपने प्रभावशाली संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दिशा- निर्देश की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था का मूल मंत्र यह है कि एक निश्चित स्तर तक हर शिक्षार्थी को किसी जात-पात, धर्म, स्थान या लिंग भेद आदि के बिना एक समान शिक्षा उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि मुगल शासन से लेकर अंग्रेजी शासन तक भारत की भाषा फारसी से लेकर अंग्रेजी रही, जिसके कारण मातृ भाषा का विकास अछूता रहा।
मातृभाषा से जुड़कर ही होगा मानसिक विकास
प्रो. टंडन ने कहा कि मातृभाषा से जुड़कर विद्यार्थियों का मानसिक, सांस्कृतिक, नैतिक एवं व्यक्तित्व का विकास होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य राष्ट्र की प्रगति को बढ़ाना और राष्ट्र एकता की भावना को सुदृढ़ करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इससे संपूर्ण देश में शिक्षा की संरचना सुदृढ़ होगी, ऐसा उनका कहना था। प्रो. पुष्पा ने धन्यवाद ज्ञापित दिया। इस अवसर पर सहायक प्रोफेसर अनिल कुमार, विद्यार्थी तथा शोधार्थी उपस्थित रहे।
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