कई बार किसी अपराध को रोकने के लिए सजा से ज्यादा प्यार और स्नेह काम आता है। केवल लाठी डंडे और गोली से अपराध रुक सकते तो आज प्रदेश में एक भी अपराधी नही होता,लेकिन अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस का भय नही प्यार और स्नेह की भी जरूरत होती है। बदायूँ के एक पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने प्यार और स्नेह से भारत वर्ष में बदनाम और अपराध के लिए पहचाने जाने वाले एक गांव को बदल कर रख दिया। यह बदलाव कैसे हुआ आईये देखते है इस रिपोर्ट में। बदायूँ जनपद के कादरचौक थाना क्षेत्र का गांव धनुपुरा।धनुपुरा मंडल में कच्ची शराब के अवैध कारोबार के कारण बदनाम है। साथ ही यहां के युवक महाराष्ट्र,आन्द्रप्रदेश,उड़ीसा,बंगाल जैसे दूरदराज के प्रदेशों में बड़े बड़े शोरूम में नकबजनी न के लिए भी बदनाम हैं। शायद ही कोई महीना हो जब किसी न किसी प्रदेश की पुलिस का छापा इस गांव में ना पड़ता हो। लोकल पुलिस भी छापा मार मार कर थक हार गई है मगर इस गांव को अपराध मुक्त नही करा सकी। मगर कुछ दिन पहले नक्सली इलाके से बदायूँ ट्रांसफर होकर आए पुलिस के एक अधिकारी अनिरुद्ध सिंह ने इस गांव को बदलने का बीड़ा उठाया।अनिरुद्ध सिंह उझानी क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी है उन्होंने सबसे पहले इस गांव की भूगौलिक और सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया।उन्होंने पाया कि कच्ची शराब का कारोबार इस गांव में कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है।गांव वालों ने इस घिनौने काम को अपनी आजीविका का साधन बना लिया है। पुलिस को आता देख पूरा गांव जंगलों में भाग जाता है।इस गांव में पुलिस का इतना भय है कि कोई बच्चा भी पुलिस के सामने आने से कतराता है। अनिरुद्ध सिंह ने धीरे धीरे गांव की महिलाओं से बात चीत शुरू की,गांव की महिलाओं और बच्चियों में घुलना मिलना शुरू किया और अपना विश्वास बनाया। महिलाओं ने जब पुरूषों और युवाओं को समझाया कि यह पुलिस वाला औरों से अलग है,हमारी सुनता भी है और हमे कुछ समझाना भी चाहता है उसके बाद गांव के पुरुष और युवा भी निडर होकर के सामने आए।
जब गांव के लोगों को ूङ्म आर विस्वास हो गया तब ूङ्म अनिरुद्ध सिंह ने गांव वालों को समझाना शुरू किया कि तुम लोग जो काम करते हो वह बुरा है समाज मे तुम लोगों को तुम्हारे काम की वजह से घिनौनी नजरों से देखा जाता है तुम्हारे युवक इन आपराधिक कामों की वजह से किसी से मिल जुल नही सकते। तुम्हारे मासूम तुम्हारे ही कामो की वजह से भविष्य में समाज और पुलिस की नजरों में अपराधी बने रहेंगे। गांव वालों पर ूङ्म की मेहनत का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने शराब बनाने की भट्टियां अपने घरों से निकाल निकाल कर गांव में तोड़नी शुरू कर दीं।और यह कसम ली कि आज के बाद उनकां गांव शराब और अपराध का काम नही करेगा। दर असल इस गांव के बाशिंदे लगभग 100 साल से भी अधिक समय पहले राजस्थान से आकर यहां बसे थे, इन लोगों पर जमीने तो थी नही तो इन्होंने कच्ची शराब को ही अपनी जीविका का साधन बना लिया,याब यह घिनौना काम छोड़ने के बाद सबसे बड़ी समस्या इनके रोजगार की थी ,तो ूङ्म ने इनसे वादा किया कि प्रशासनिक स्तर पर इन लोगों की जो भी मदद होगी वह तो की जाएगी,चाहे मनरेगा द्वारा जाबकार्ड हों,महिलाओं के लिए स्वयंसहायता समूह हों या फिर,मत्स्य और मुर्गा पालन जैसे कार्य हों, साथ ही जनपद के बड़े बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के द्वारा भी नौजवानों को रोजगार दिलवाया जाएगा।
आज गांव का बच्चा बच्चा अपराध की दुनिया छोड़ने के बाद खुशी महसूस कर रहा है और साथ ही ूङ्म अनिरुद्ध सिंह को धन्यवाद दे रहा है।सभी गांव वालों का यह भी कहना है कि अगर ही सके तो सरकार हमारे गांव में एक इंटर कालेज खुलवा दे ताकि हमारी बच्चियां भी पढ़ लिख सकें।आज तक इन गांव वालों के पास उनकां जाति प्रमाणपत्र भी नही है तोभये गांव वाले अपने लिए जाति प्रमाणपत्र की भी मांग कर रहे हैं। अनिरुद्ध कुमार सिंह ने इन गांव वालों से वादा किया है कि वह जल्द ही जिलाधिकारी महोदय द्वारा इस गांव में एक कैम्प लगवाएंगे और सभी गांव वालों की समस्या का तुरन्त निस्तारण करवाएंगे।
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.