खो खो खेल में भी शुरू होगी लीग

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Kho-kho
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डाॅ.श्रीकृष्ण शर्मा, नई दिल्ली:

कोरोना काल में मिल रही राहतों के बीच भारतीय खो खो महासंघ सक्रिय मोड पर दिखाई पड़ रही है। खो खो महासंघ ने खो खो लीग कराने की योजना को जमीन पर उतारने की पूरी तैयारी ली है।  कोरोना महामारी से स्थिति बेहतर होते ही भारतीय खो खो महासंघ ने खो खो लीग को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता,बड़ोदरा आदि शहरों में कराने की रूपरेखा  बनाई है। भारतीय खो खो महासंघ के निर्वाचित महासचिव महेंद्र सिंह त्यागी ने कहा कि खो खो को दुनिया में लोकप्रियता दिलाने के लिये जरूरी है ताकि खो खो को अंतरराष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बनाया जाये। इसके लिये एशियाई खेलों में शामिल करा कर इसकी शुरूआत की जाएगी। जिसके लिये प्रयास तेज कर दिये गये हैं। इसमें जल्द कामयाबी मिलने को आश्वस्त दिख रहे नवनियुक्त महासचिव ने कहा कि प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया कराना महासंघ अपनी जिम्मेदारी मानती है। जिसकी तैयारी दिल्ली के माडल टाउन, कोहाट, बदरपुर आदि के केन्द्रों पर की जा रही है। जिसको देश के सभी हस्सों बढाया जायेगा।

यहां हुई भारतीय खो खो महासंघ की वार्षिक आम बैठक में फिर  सर्वसम्मति से सुधांशु मित्तल को अध्यक्ष और महेंद्र सिंह त्यागी को महासचिव चुना गया। अन्य सभी पदाधिकारियों का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ। खेल क्षेत्र में मांग होती रही है कि खेल संघों की बागड़ोर खिलाड़ियों के हाथों में दी जाये। खो खो महासंघ के चुने गए महासचिव का खिलाड़ी, कोच और खेल प्रशासक होने का लाभ भी खो खो खेल को मिला। जिन संघों में ऐसा हुआ है वहां खेलों का स्तर में सुधार दिखाई दिया। दरअसल, खेल के संचालन की जिम्मेदारी संघ की होती है। खिलाड़ियों लिये अवसर बनाना भी संघ का ही काम होता है। पिछले साल खो खो खेल का अर्जुन पुरस्कार सारिका काले को मिलने से खेल को उंचाईयों पर ले जाने में संघ को मदद मिलेगी। खो खो का अर्जुन पुरस्कार दो दशक के बाद मिला था।

अगर खेल की संस्था खेल की दिशा में बेहतरी कार्य कर रही है तो उसका अनुसरण करना चाहिए। भारतीयों के दिल और दिमाग पर क्रिकेट खेल के छा जाने में क्रिकेट बोर्ड नीतियों को स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। आज खेलों में लीग का चलन भी क्रिकेट बोर्ड की ही देन है। जो खिलाड़ियो के कल्याण में बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है।केवल दो खम्बों के साथ एक आयताका मैदान पर खेला जाने वाला खो खो खेल भारतीय परंपरागत प्राचीन खेल है। जो हमारी सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा है। जिसका राष्ट्रीय और दक्षिण एशिया स्तर पर आयोजन होता रहा है। एशिया का सबसे बड़ा नेताजी सुभाष राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला जो अब भारतीय खेल प्राधिकरण का शैक्षणिक संस्थान है, सत्तर के दशक से खो खो के कोच भी तैयार कर रहा है।