Chandigarh News: महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी झटकों के बाद कांग्रेस में नेतृत्व संकट, हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष चयन पर बढ़ी गुटबाजी

महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी झटकों के बाद कांग्रेस में नेतृत्व संकट, हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष चयन पर बढ़ी गुटबाजी

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पवन शर्मा
चंडीगढ़: महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन ने पार्टी की रणनीति और नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दोनों राज्यों में अप्रत्याशित नतीजों ने कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी को और तेज कर दिया है। खासकर हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष का चयन एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जो पार्टी के भीतर असंतोष और देरी का प्रतीक बनता जा रहा है।
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के गुटों के बीच तीखी खींचतान चल रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जबकि उनके समर्थक उन्हें अनुभव के आधार पर नेता प्रतिपक्ष बनाने की वकालत कर रहे हैं। दूसरी ओर, शैलजा , रणदीप सुरजेवाला गुट चंद्रमोहन, और अशोक अरोड़ा जैसे नेताओं के नाम आगे बढ़ा रहा है। इस दौड़ में रघुबीर सिंह कादियान का नाम भी चर्चा में है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस को हाल ही में हार का सामना करना पड़ा, जिससे पार्टी की राष्ट्रीय नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। दोनों राज्यों में पार्टी की रणनीति और गुटीय खींचतान की समानता ने कांग्रेस नेतृत्व को दोहरी चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी नतीजों के बाद पार्टी के अंदर नेतृत्व और संगठन को लेकर स्पष्टता की कमी है। नेता प्रतिपक्ष के चयन में हो रही देरी से कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है, और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
इतना ही नहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भले ही ईवीएम को लेकर सवाल खड़े कर रहे हो लेकिन उनके नेतृत्व में भी पार्टी को न केवल हर का सामना करना पड़ा बल्कि वह खुद भी अपने सेट नहीं बचा पाए। इसलिए उदयभान के नेतृत्व पर भी सवाल या निशान लगा हुआ है यह भी माना जा रहा है कि उदयभान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के यस मेन है। ऐसे में विरोधी वोट विपक्ष के नेता के साथ-साथ नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी बदलाव करने की मांग कर रहा है।