Law Commission Chairman: मौजूदा हालात को देखते हुए राजद्रोह कानून बरकरार रखना जरूरी

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Law Commission Chairman
विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी।

Aaj Samaj (आज समाज), Law Commission Chairman, नई दिल्ली: विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने कहा है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए राजद्रोह कानून को बरकरार रखना जरूरी है। बता दें कि राजद्रोह कानून को निरस्त करने की मांग उठ रही है और इसके बीच न्यायमूर्ति अवस्थी ने एक इंटरव्यू में कहा कि कश्मीर से लेकर केरल और पंजाब से लेकर पूर्वोत्तर तक वर्तमान स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए देशद्रोह कानून का होना जरूरी है।। गौरतलब है कि पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशानिर्देशों के बाद फिलहाल राजद्रोह कानून निलंबित है।

  • सरकार राजद्रोह कानून को और अधिक ‘सख्त’ बनाना चाहती: कांग्रेस

दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रस्तावित

विधि आयोग के अध्यक्ष ने कानून बरकरार रखने की आयोग की सिफारिश का बचाव करते हुए कहा कि इसका दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां ‘रोकथाम’ अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे विशेष कानून अलग-अलग क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन यह कानून राजद्रोह का अपराध कवर नहीं करते हैं, इसलिए राजद्रोह पर विशिष्ट कानून भी होना चाहिए। न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा कि राजद्रोह कानून का औपनिवेशिक विरासत होना उसे निरस्त करने का वैध आधार नहीं है और अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया तथा जर्मनी सहित विभिन्न देशों के पास इस तरह का अपना कानून है।

आयोग की सिफारिशें प्रेरक बाध्यकारी नहीं : सरकार

सरकार ने इस बीच कहा कि वह सभी हितधारकों से परामर्श लेने के बाद विधि आयोग की रिपोर्ट पर ‘सुविज्ञ और तर्कसंगत’ निर्णय लेगी। आयोग की सिफारिशें प्रेरक थीं। यह बाध्यकारी नहीं थी।

विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में की है शिफारिश

न्यायमूर्ति अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने पिछले महीने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता ‘आईपीसी’ की धारा 124 ए को जारी रखने की सिफारिश की है। आयोग ने इसके दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय करने की भी बात कही है। इस सिफारिश से राजनीतिक हंगामा मच गया था और कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के खिलाफ असहमति और अभिव्यक्ति को दबाने का प्रयास है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार राजद्रोह कानून को और अधिक ‘सख्त’ बनाना चाहती है।

अनुशंसित ‘प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय’ बताए

न्यायमूर्ति अवस्थी ने आयोग की ओर से अनुशंसित ‘प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों’ का उल्लेख करते बताया कि प्रारंभिक जांच निरीक्षक या उससे ऊपर के रैंक के एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा, वारदात होने के सात दिन के भीतर जांच की जाएगी और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति के लिए प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सक्षम सरकारी प्राधिकारी को सौंपी जाएगी।

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