नई दिल्ली। दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि कोई भी उनके प्रभाव में आए बिना नहीं रह पाता था। वह देश के लिए पूरी तरह समर्पित थीं। यहां तक कि अपनी मृत्यु के पहले तक वह अपने कार्यों को निपटा रहीं थीं। जब वह विदेश मंत्री थी उस वक्त हरीश साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का केस लड़ा था और जीता था। इसके ऐवज में साल्वे ने कुछ नहीं लिया था तब सुषमा जी के कहने पर उन्होंने कहा था कि मेरी फीस एक रुपया होगी। सुषमा जी ने अपनें अंतिम श्रणों से ठीक पहले हरीश साल्वे को फोन कर कहा कि वह अपनी फीस ले जाएं। दोनों ही इस दौरान भावुक थे। अपनी मां की अंतिम इच्छा को बेटी बांसुरी स्वराज ने पूरा किया। दरअसल बीमारी के दौरान स्वराज की सीनियर वकील हरीश साल्वे से बात हुई थी तो उन्होंने कुलभूषण जाधव केस में अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कुछ फीस लेने को कहा था। सुषमा ने कहा था कि भले आप एक रुपया लें लेकिन फीस लेने जरूर आएं। ऐसे में अब सुषमा के देहांत के बाद उनकी बेटी ने साल्वे को जाकर ये फीस दी है। सुषमा के पति और मिजोरम के पूर्व गर्वनर स्वराज कौशल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने इसकी एक फोटो शेयर कर लिखा कि ‘हमारी बेटी बांसुरी स्वराज ने मिस्टर साल्वे से शुक्रवार को मुलाकात की और उन्हें एक रुपया भेंट किया।’