Lata Mangeshkar Birthday 2024 | अम्बाला | स्वर कोकिला लता मंगेशकर किसी पहचान की मोहताज नहीं है। उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इसके साथ ही पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड सहित कई सम्मान लता जी ने अपने जीवन काल में प्राप्त किए।
लता सिर्फ भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय गायिका थीं, संगीत जगत में एक अमिट छाप छोड़ी।अपने जीवन काल में लता जी (Lata Mangeshkar) ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी।
उनकी मधुर आवाज ने लाखों दिलों को मोहा और उन्हें ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जाना जाता है।28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर ने संगीत जगत में जो योगदान दिया उसके लिए संसार उन्हें हमेशा याद रखेगा।
6 फरवरी 2022 को लता जी हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गई, लेकिन उनके गीत आज भी लोगों की जुबान और दिलों में जिंदा हैं औश्र हमेशा रहेंगे। आइए आपको बताते हैं लता मंगेशकर के जन्मदिन के अवसर पर उनके बारे में कुछ खास बातें।
बचपन से ही संगीत की तरफ रहा झुकाव (Lata Mangeshkar Birthday 2024)
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Birthday) का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और नाटककार थे।
स्वर कोकिला ने अपने पिता से ही संगीत की शिक्षा ली। बचपन से ही उनकी प्रतिभा में निखार आने लगा और उन्होंने बहुत कम उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था।
भारत रत्न लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। 1942 में उन्होंने मराठी फिल्मों में एक्टिंग की थी। एक मराठी फिल्म ‘किती हासिल’ में उन्होंने मराठी गीत भी गाया था, लेकिन उस गीत को फिल्म में शामिल नहीं किया गया। इसी गीत से ही उनकी गायकी का सफर आरंभ हुआ।
संगीत की देवी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका जन्म नानी के घर इंदौर में हुआ था। जहां से उनका परिवार सांगली (कोल्हापुर) चला गया। जहां उनके पिता जी ने फिल्म कंपनी बनाई और लता मंगेशकर ने 5-6 साल की उम्र में पिता जी से संगीत की विद्या लेनी आरंभ कर दी।
पिता के जीवन से प्रेरणा लेकर शुरू किया गाना (Lata Mangeshkar Birthday 2024)
1942 में ह्रदय रोग के कारण लता के पिता की मौत हो गई थी। जिसके बाद से एकदम लता के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन लता ने हौसला नहीं हारा और अपनी प्रैक्टिस जारी रखी।
लता मंगेशकर 14 साल की उम्र में मुंबई नाट्य महोत्सव में अपनी मौसी गुलाब गोडबोले के साथ हिस्सा लेने आई थी।
जहां पर वो अपने चाचा कमलनाथ मंगेशकर के घर ठहरी और संगीत का रियाज करना आरंभ किया। लता के मन में सिर्फ एक ही बात थी कि किसी तरह वो अपने पिता के नाम को आगे बढ़ाएंगी। लेकिन उनके चाचा को उन पर विश्वास नहीं था। उन्हें लगता था कि लता उनके भाई के नाम को खराब कर देगी।
इसी बात की चिंता उनकी विजया बुआ और फूफा कृष्णराव कोल्हापुरे को भी थी। इन सब की बातों से लता मंगेशकर आहत हो गई और रोने लगी।
जिसके बाद लता (Lata Mangeshkar Birthday 2024) ने अपनी मौसी से इस बारे में बात की तो मौसी ने कहा कि तु अपने पिता को याद करो वो तुम्हें राह दिखाएंगे।
लता ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि बंबई नाट्य महोत्सव के आयोजन से पहले उनके पिता (Lata Mangeshkar Father) उन्हें सपने में नजर आए।
जिससे प्रेरणा लेकर लता ने आगे बढ़ना शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 70 साल से ज्यादा लता मंगेकशर संगीत जगत में एक्टिव रहीं और उन्होंने 50 हजार से ज्यादा लोकप्रिय गीतों को अपनी आवाज दी है।
पहली कमाई के तौर पर मिले 200 रुपए (Lata Mangeshkar Birthday 2024)
लता को शुरू से संगीत में ही दिलचस्पी थी। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि मुझे अभिनय का शौक बिल्कुल नहीं था। मैं बस ड्रामा कंपनी में छोटे बच्चों के रोल किया करती थी। पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए लता ने ‘नवयुग फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड’ के लिए एक फिल्म की।
जिसमें लता हीरोइन की बहन बनी थी। फिल्म का नाम था ‘पहली मंगला गौड़’। जिसके बाद लता कोल्हापुर आ गई और उनकी कंपनी में नौकरी करने लगी। पहली पगार 200 (Lata Mangeshkar Net Worth ) रुपए मिलनी शुरू हुई।
1949 में चमका लता का सितारा
करियर की शुरूआत में लता मंगेशकर को काफी संघर्ष करना पड़ा। प्रोडयूसर और संगीत निर्देशक उन्हें यह कहकर गाने से मना कर देते कि उनकी आवाज बहुत महीन है। लेकिन लता ने मेहनत नहीं छोड़ी। 1949 में चार फिल्में रिलीज हुई, जिनमें लता ने गाना गाया। ‘बरसात’, ‘दुलारी’, ‘महल’ और ‘अंदाज’।
इन सबमें ‘महल’ में उनका गाया गाना ‘आएगा आने वाला आएगा’ ने तो उस समय धूम मचा दी। जिसके बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने मान लिया कि यह नई आवाज बहुत दूर तक जाएगी। लता मंगेशकर ने उस दौर में गायकी शुरू की जब फिल्मी संगीत पर नूरजहां, जोहराबाई अंबाले वाली, शमशाद बेगम, का सिक्का चलता था।
लता ने उस समय हर बड़े संगीतकार के साथ काम किया। मदनमोहन की गजलें और सी रामचंद्र के भजन लोगों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ चुके हैं। जब नूरजहां पाकिस्तान चली गई तो हिंदी फिल्म पार्श्वगायन में लता ने एकछत्र साम्राज्य स्थापित कर लिया। जिसके बाद कोई ऐसी गायिका नहीं आई जिसने लता को कभी कोई चुनौती दी हो।
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