श्रीनगर में गोली लगने से हुई थी मौत
Panipat News (आज समाज) पानीपत: श्रीनगर में शहीद हुए पानीपत के जवान का पार्थिक शरीर आज पैतृक गांव शेरा में लाया गया। जहां पर शहीद जवान सत्यजीत का अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि सत्यजीत का अंतिम संस्कार बिना राजकीय सम्मान के किया गया। मतलौडा के पैतृक गांव शेरा में निकाली गई उनकी अंतिम यात्रा में कोई सैन्य अधिकारी शामिल नहीं हुआ, और न ही उन्हें सेना की ओर से सलामी दी गई। हालांकि, अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार जरूर पहुंचे थे।

इस दौरान बड़ी संख्या में लोग और परिजन मौजूद रहे। बता दें कि जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में तैनात जवान सत्यजीत की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से मौत हो गई थी। उसकी करीब 2 महीने बाद 5 अप्रैल को शादी होनी थी। इसे लेकर घर में तैयारियां चल रहीं थी। वह खुद भी इसकी तैयारियों में जुटे हुए थे। 3 दिन पहले ही वह शादी की शॉपिंग कर ड्यूटी पर लौटे थे।

सेना की एम्बुलेंस से ही श्मशान पहुंचाया शव

जवान का शव मंगलवार को श्रीनगर से हेलिकॉप्टर के जरिए दिल्ली भेजा गया था। इसके बाद आज दिल्ली से इसे सेना की एम्बुलेंस से घर पहुंचाया गया। यहां कुछ समय के लिए शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके दर्शन के लिए परिजनों के साथ बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

5 अप्रैल को होनी थी शादी

सत्यजीत की करीब दो महीने बाद 5 अप्रैल को शादी होनी थी। जिसको लेकर घर में तैयारियां चल रहीं थी। वह खुद भी इसकी तैयारियों में जुटे हुए थे। 3 दिन पहले ही शादी की शॉपिंग करके ड्यूटी पर लौटे थे।

9 फरवरी को लौटा का ड्यूटी पर

पिता सज्जन सिंह ने बताया कि सत्यजीत 6 साल पहले स्पोर्ट्स कोटे से सेना की आरआर राइफल बटालियन में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। वह दो साल पहले हवलदार के पद पर पदोन्नत हुए थे। भर्ती होने से पहले उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मेडल जीते थे।

उनको हाल में ही आर्मी कमांडर पत्र से भी नवाजा गया था। पिता बताते हैं कि 2 महीने बाद शादी थी इसलिए सत्यजीत शॉपिंग के लिए छुट्टी पर घर आए थे। शादी के वक्त ज्यादा लोड न पड़े, इसलिए कपड़े तैयार करवा लिए थे। 9 फरवरी को ही वो अपनी छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे।

10 फरवरी को लगी गोली

सज्जन सिंह बताते हैं कि 10 तारीख को उनके पास फोन आया कि सत्यजीत को गोली लगी है। ये सूचना मिलते ही पूरा परिवार चिंतित हो गया। परिवार बेटे के स्वस्थ होने की कामना कर ही रहा था कि 11 फरवरी को दोबारा फोन आया और बताया गया कि सत्यजीत शहीद हो गए हैं। बेटे की मौत की सूचना मिलते ही परिवार में मातम छा गया। हालांकि परिवार को ये नहीं पता लगा कि ये गालियां किस तरह लगी है।

पिता सेना से सूबेदार के पद से रिटायर्ड

सत्यजीत के पिता सज्जन सिंह खुद सेना से सूबेदार के पद से रिटायर्ड हैं। करीब आठ साल पहले वह सेना से रिटायर हुए थे। सत्यजीत अपने पिता सज्जन सिंह से काफी प्रभावित थे। वह हमेशा से ही अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहते थे। यही कारण था कि स्पोर्ट्स में अच्छा करने के बावजूद उन्होंने सेना में जाना चुना।

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