आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Lakhimpur Violence): उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में पिछले साल अक्टूबर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को आठ सप्ताह की जमानत तो मिल गई, लेकिन इसके बावजूद वह दिल्ली-एनसीआर के साथ ही उत्तर प्रदेश में नहीं रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उन्हें कुछ शर्तों पर जमानत दी है। जानकारों के मुताबिक जेल से रिहाई में दो से तीन दिन और लग सकते हैं। 26 जनवरी के बाद वह जेल से बाहर आ सकेंगे। बता दें कि आशीष पर लखीमपुर में 5 किसानों को अपनी कार से कुचलने का आरोप लगा है।
गवाह को प्रभावित करने की कोशिश पर बेल होगी रद
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आशीष मिश्रा जमानत के बाद दिल्ली एनसीआर व यूपी में नहीं रहेंगे। जमानत के एक सप्ताह बाद उन्हें प्रदेश छोड़ना होगा। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आशीष को अपनी लोकेशन की संबंधित न्यायालय को जानकारी देनी होगी। इसके अलावा यह भी शर्त लगाई गई है कि अगर आशीष मिश्रा या उनके परिवार ने मामले से जुड़े किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की तो उनकी जमानत दर कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि है कि यदि ट्रायल में देरी कराने की कोशिश की गई तो उस स्थिति में भी आशीष मिश्रा जमानत कैंसिल कर दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को सुरक्षित रख लिया था फैसला
बता दें कि शीर्ष अदालत ने मामले में 19 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान आशीष के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उनके मुवक्किल पिछले एक वर्ष से जेल में बंद हैं और जिस तरह से सुनवाई हो रही है उसके हिसाब से इसमें सात से आठ साल लगेंगे। उन्होंने कहा, आशीष न अपराधी हैं और न ही उनका कोई ऐसा इतिहास है।
यह है मामला
लखीमपुर जिले में तीन अक्टूबर को हिंसा हुई थी। आरोप है कि आशीष मिश्रा के इशारे पर प्रदर्शनकारी किसानों पर जीप चढ़ाई गई थी और इसमें चार लोगों की मौत हुई थी। इस हिंसक घटना में कुल आठ लोग मारे गए थे।
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