कुलदीप बिश्नोई के करीबी होने की वजह से मिला था पद
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे नरेश जांगड़ा
Hisar News (आज समाज) हिसार: हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अन्य पार्टियों में शामिल होकर पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार करने वालों पर भाजपा ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी कड़ी में हिसार के गांव लाडवा निवासी नरेश जांगड़ा को हरियाणा श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन के चेयरमैन से हटा दिया गया है। नरेश जांगड़ा भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई के बेहद करीब थे। कुलदीप बिश्नोई से नजदीकी के चलते ही नरेश जांगड़ा श्रम कल्याण बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। नरेश जांगड़ा की नियुक्ति के लिए कुलदीप बिश्नोई ने की सरकार से सिफारिश की थी। लेकिन कभी कुलदीप बिश्नोई के खास कहे जाने वाले नरेश जांगड़ा ने अबकी बार बिश्नोई परिवार को बीच मझधार में झोड़ दिया।
नरेश जांगड़ा ने विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच में ही भाजपा व कुलदीप बिश्नोई का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक चंद्रप्रकाश व पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी में नरेश जांगड़ा ने कांग्रेस ज्वाइन की। कांग्रेस में शामिल होने से पहले नरेश जांगड़ा ने आदमपुर में भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई के लिए चुनाव प्रचार भी किया।नरेश जांगड़ा ने भाजपा में ओबीसी मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष के तौर पर भी काम किया है।
पूर्व आईएएस चंद्र प्रकाश को टिकट मिलने पर बदली पार्टी
नरेश जांगड़ा को भाजपा में कुलदीप बिश्नोई के करीबी होने का फायदा मिला। वह पार्टी में कई पदों पर रहे। उन्हें श्रम कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया। लेकिन जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी की तो आदमपुर से चंद्रप्रकाश को उम्मीदवार बनाया गया। चंद्रप्रकाश को टिकट मिलने के बाद से ही नरेश जांगड़ा का झुकाव कांग्रेस पार्टी की तरफ हो गया। नरेश जांगड़ा ने हिसार में भूपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइंन कर ली।
ओबीसी वोटर्स के बंटने से हारे भव्य बिश्नोई
57 साल से आदमपुर सीट भजनलाल परिवार का गढ़ रही। लेकिन इस चुनाव में पहली बार आदमपुर से भजनलाल परिवार हारा। भाजपा प्रत्याशी व भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई के सामने अबकी बार ओबीसी वर्ग से आने वाले चंद्रप्रकाश थे। नरेश जांगड़ा के कांग्रेस में आने से ओबीसी वोटर्स भी कांग्रेस के पक्ष में आ गया। ओबीसी वोटर्स के दो जगह बंटने से ही भव्य बिश्नोई की हार हुई।