- देश के सैनिक अपने जीवन की परवाह ना करते हुए देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं : श्रम एवं रोजगार मंत्री
- जब त्याग और बलिदान का जिक्र होता है तब भारत की सेना के जाबाज सैनिकों को जरुर याद किया जाता है : अनूप धानक
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :
स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों की वजह से ही हमारी देश की सीमाएं व हम सुरक्षित हैं। शहीदों की कुर्बानियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रम एवं रोजगार मंत्री अनूप धानक ने यह बात आज गांव खेड़ा में शहीद रामपत की मूर्ति का अनावरण करते हुए कही।
भारत की सेना के जाबाज सैनिकों को जरुर याद किया जाता है : अनूप धानक
श्रम एवं रोजगार मंत्री अनूप धानक ने कहा कि देश के सैनिक अपने जीवन की परवाह ना करते हुए देश की रक्षा के लिए सदैव सीमाओं पर तत्पर रहते हैं। सैनिकों की बदौलत ही हम अपने घर पर सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि जब त्याग और बलिदान का जिक्र होता है तब भारत की सेना के जाबाज सैनिकों को जरुर याद किया जाता है। वतन की रक्षा और तिरंगे की शान में अपना जीवन कुर्बान करने वाले मां भारती के वीर सपूत शहीद होकर अपना सर्वस्व बलिदान दे देते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर को जमा देने वाली ठंड से लेकर चिलचिलाती धूप, तेज लू व जहां श्वास लेना भी दूभर होता हैं वहां भारतीय सेना के जाबाज देश का पहरा देते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में सैनिकों का मान सम्मान बढ़ा है।
इस मौके पर ग्राम वासियों ने मंत्री जी के सामने गांव की समस्याएं रखी। उन्होंने इन सभी समस्याओं का जल्द ही समाधान करने का आश्वासन दिया।
शहीद रामपत का जन्म माता स्वर्गीय दडकली देवी एवं पिता स्वर्गीय मंगल राम जी के घर 4 जून 1944 को गांव खेड़ा में हुआ था। इनके भाई स्वर्गीय प्रभाती लाल व तीन बहने स्वर्गीय सुरजी देवी, गिन्नौरी देवी व महादेवी थी। शहीद रामपत का विवाह मई 1967 में श्रीमती शांति देवी के साथ हुआ था। शहीद रामपत के एक पुत्री सुमित्रा देवी और एक पुत्र श्री भगवान है। श्री भगवान का जन्म शहादत दिवस के 1 महीने 8 दिन बाद हुआ। लांस नायक रामपत में राष्ट्रभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी और वह देश की सीमाओं की रक्षा के लिए लालायित रहते थे अतः 15 जून 1963 को देश की सेना में भर्ती हुए महार रेजिमेंट के केंद्र सागर मध्य प्रदेश में। भर्ती होकर सेना का प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाद में 4 महार रेजिमेंट में कार्यरत हुए।
1971 में देश में दुश्मन देश पाकिस्तान की नापाक हरकतों की वजह से युद्ध हो गया, जिसमें शहीद रामपत की यूनिट को बांग्लादेश बॉर्डर पर जाने का आदेश मिला। ऑपरेशन कैक्टस लिली में लांस नायक रामपत यूनिट कमान अधिकारी के वायरलैस ऑपरेटर की ड्यूटी कर रहे थे। युद्ध के दौरान 4 महार रेजीमेंट की एक कंपनी का रेजीमेंट से वायरलैस संपर्क टूट गया। अतः कमान के अधिकारी ने लांस नायक रामपत को उस कंपनी में पुनः संपर्क स्थापित करने के लिए एक वायरलैस सेट लेकर सेना की एक टुकड़ी के साथ भेजा। शहीद रामपत दिए गए समय में अपने कार्य को पूरा कर वापस अपने टुकड़ी के साथ यूनिट हेड क्वार्टर आ रहे थे तभी दुश्मन ने एक बारूदी सुरंग से उस गाड़ी को छतिग्रस्त कर दिया जिसमें शहीद रामपत के साथ उनका एक और साथी जवान शहीद हो गया एवं अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हो गया शहीद रामपत वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने माता-पिता अपने परिवार, गांव और देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया। हम उनकी शहादत को शत-शत प्रणाम करते हैं।
इस मौके पर गांव के गणमान्य लोग मौजूद थे
इस मौके पर पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह, जननायक जनता पार्टी के हलका प्रधान राव रमेश पालड़ी, कंवर सिंह, सत्यव्रत शास्त्री, रविंद्र गागड़वास, ओमकार सरपंच, संजय सुरजनवास, जयपाल मेघनवास, समाजसेवी रामनिवास पाटोदा, हरिओम चितलांग के अलावा गांव के गणमान्य लोग मौजूद थे।
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