नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के समय एक इंटरवयू में कहा था कि उनकी छवि खान मार्किट गैंग या लुटियन जोन ने नही बनाई।उनकी 45 साल की कड़ी मेहनत ने इसे बनाया है।इस पर बड़ी चर्चायें हुई थी।खान मार्किट ओर लुटियन ज़ोन वालों को बड़ा बुरा लगा था।अब इससे मिलती जुलती बात राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कर दी।गहलोत ने अंग्रेजी मीडिया पर तंज कसा।कहा सुंदर दिखने अंग्रेजी बोलने से पत्रकारिता नही होती।उनका कहना था बिना सच जाने एक तरफा पत्रकारिता करते है।देखा जाए तो सवा साल पहले जो प्रधानमंत्री ने कहा वह भी सही था और बुधवार को जो गहलोत ने कहा उसमे भी सचाई है।गहलोत ने भी कहा 40 साल से भी ज्यादा समय से जमीन की राजनीति कर यहाँ पहुंचे हैं।प्रधानमंत्री का तंज भी एक तरह से गहलोत की तरह ही अंग्रेजी बोलने वालों को लेकर ही था ।
यह दोनों बड़े नेता हिंदी भाषी हैं।साधरण परिवार से आते है।दोनों ने संघर्ष कर राजनीति में अपना कद बनाया।दोनों नेताओं की बात का विश्लेषण अगर करा जाए तो दोनों सही नजर आते हैं।क्योंकि पिछले एक दशक में देश की राजनीति में बहुत बदलाव आए हैं।जो इन बदलाव को समझ रहा है वह आगे बढ़ रहा है।अगर राजनीतिक रूप से देखा जाए तो बीजेपी इन बदलावों को समझ गई इसलिये वह अभी शिखर पर है।जबकि इसके उलट कांग्रेस कहीं ना कहीं सच्चाई को नही समझ पा रही है।कांग्रेस अभी भी खान मार्किट वाली राजनीति में उलझी।मतलब देश की राजनीति की नब्ज खान मार्किट में जाने वाला अब नही समझ सकता है।क्योंकि असली हिंदुस्तान के मूड को वह नही जानते हैं।वह जोड़ तोड़ की बात कर सकते।वह एक ऐसा क्लास जो कभी नही स्वीकारता कि गांव का हिंदी में बोलने वाला सही बोल रहा है।खान मार्किट का मतलब बाजार से नही,लेकिन वहां आने वाला एक वर्ग जो देश की राजनीति में बड़ा दखल रखता था।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की इमेज खान मार्किट गैंग ओर लुटियन जोन ने ही बनाई थी।मोदी के इस बयान पर कई खास लोग और कुछ अंग्रेजी पत्रकार खासे नाराज हुये।सोशल मीडिया पर तमाम तरह की प्रतिक्रिया दी।आज गहलोत के बयान के बाद भी हो रहा है।
तो क्या राजस्थान में सचिन पायलट खान मार्केट गैंग के चलते उलझ गए?।सचिन पायलट ने 5 साल राजस्थान में प्रदेश अध्य्क्ष के रूप में काम जरूर किया,लेकिन वह आम राजस्थानी नही बन पाए।खास बने रहे।सेलिब्रिटी के रूप में उभरे।दिल्ली का मोह नही छोड़ा।वह पूरी तरह से अंग्रेजी और दिल्ली का एक अलग क्लास के मीडिया पर निर्भर हो गए।उस मीडिया की पकड़ राहुल गांधी तक भी थी।चेनलो ओर अखबारों में भी थी।यहीं उनसे चूक हो गई।उस पर ज्यादा भरोसा किया।चुनाव की घोषणा के दिन से दिल्ली अंग्रेजी मीडिया पर भरोसा कर गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।लेकिन हर बार असफलता लगी।सचिन खेमे की पहली कोशिश थी बड़े नेता चुनाव ही न लड़े।जिससे बाद में राहुल के दखल से वह मुख्यमंत्री बन जायँगे।अंग्रेजी मीडिया ने तमाम स्टोरी करी।राहुल को समझाया भी।लेकिन सोनिया गांधी के दखल से पहला झटका सचिन को लगा।सभी बड़े नेता चुनाव लड़े।इस झगड़े का असर यह हुआ कि कांग्रेस बहुमत का आंकड़ा मुश्किल से छू पाई।फिर सीएम पद का झगड़ा।वहाँ पर विधायको की सँख्या बल पर गहलोत सीएम बन गए।यही से तय हो गया था झगड़ा बढ़ेगा।अलाकमान को लगा कुछ नही होगा।सचिन दबाव बनाते रहे,लेकिन बात नही बनता देख।उन्होंने दूसरा रास्ता पकड़ा।मुख्यमंत्री गहलोत पहले दिन से ही हर उस गतिविधि पर नजर रख रहे जो सरकार गिराने की ओर जा रहा था।गहलोत यह भी जानते थे कि बीजेपी में भी अंदर खाने सब कुछ ठीक ठाक नही है।वसुंधरा राजे को अलग थलग कर नए चेहरे ऑपरेशन कर रहे हैं। जब सरकार गिराने के तथ्य गहलोत के हाथ लगते गए तो उन्होंने आलाकमान को पूरे भरोसे में लेकर षडयन्त्र का खुलासा कर सरकार को बचा लिया।लेकिन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का एक ऑडियो में नाम आने से कांग्रेस और बीजेपी अब आमने सामने आ गए।कहां जा कर बात अब समाप्त होगी कहा नही जा सकता।सचिन ने बागी तेवर अपना गहलोत सरकार को अस्थिर किया तो अंग्रेजी मीडिया ने राहुल =प्रियंका को अपनी तरफ बीच में डालने की कोशिश की।जिससे सचिन को सहानुभति मिले।लेकिन वह अभी तक सफल नही हो पाया।सच यह है विधानसभा चुनाव के राजस्थान में दो जनों की लहर थी।एक नरेंद्र मोदी को दूसरी अशोक गहलोत की।जनता दिल्ली में मोदी को देखना चाहती थी और प्रदेश में गहलोत को।अगर सचिन जिस मीडिया पर भरोस कर रहा था अगर वह मोके पर जाकर रिपोर्ट करता ओर सच्चाई सचिन बताते तो यह नोबत नही आती।जो घटनाक्रम राजस्थान में हुआ सचिन का राजनीतिक कैरियर सवालों के घेरे में है।कांग्रेस में वापसी के आसार कम है।बीजेपी में गये तो राजस्थान छोड़ना पड़ेगा।तीसरा मोर्चा सफल होगा नही।बीजेपी उन्हें ऐसा नही करने देगी।वैसे भी प्रदेश भाजपा की ताकतवर नेता पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी की राष्ट्रीय उपाद्यक्ष वसुंधरा राजे सरकार गिराने के खिलाफ बताई जाती है।दूसरा वह इस बात से नाराज हैं कि उन पर सचिन पायलट ने मकान को लेकर हमला किया और पार्टी चुप रही।सम्पत