मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हुआ पवित्र ग्रंथ गीता का पूजन
International Geeta Mahotsav (आज समाज) कुरुक्षेत्र: मंत्रोच्चारण और शंखनाद की गुंजायमान ध्वनि के बीच कुरुक्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 में पवित्र ग्रंथ गीता के पूजन की रस्म को अदा किया गया है। पवित्र ग्रंथ गीता के महापूजन तथा गीता के श्लोकों के उच्चारण के बीच कुरुक्षेत्र के अंतरारष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 का आगाज हो चुका है। इस आगाज के साथ ही ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ पवित्र ग्रंथ गीता के श्लोकोच्चारण से पूरी फिजा ही गीतामय हो गई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, जांजीबार के सांस्कृतिक एवं खेल मंत्री टीएम माविता, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने गीता यज्ञ में पूर्ण आहुति भी डाली।
इससे पहले सभी मेहमानों ने तंजानिया के पवेलियन का उद्घाटन करने के उपरांत वहां के खान-पान, रहन-सहन, परिधानों को दर्शाने वाले स्टॉल का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से गीता जयंती को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का दर्जा मिला। उन्होंने कहा कि इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में तंजानिया सहयोगी देश और ओडिशा सहयोगी राज्य के रुप में शिरकत कर रहा है।
गीता मानव के लिए प्रेरणा स्त्रोत
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी धरा पर 5162 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का अमर संदेश दिया था। यह पुण्य धरा मोक्ष की भूमि है। केवल यह इच्छा रखे कि मैं कुरुक्षेत्र में जाकर रहुंगा, तो उसकी इस इच्छा मात्र से ही मुक्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि गंगा के जल से मुक्ति प्राप्त होती है, जबकि वाराणसी की भूमि और जल में मोक्ष देने की शक्ति है, परंतु कुरुक्षेत्र के जल, थल और वायु तीनों ही मुक्ति के दाता है। इस पावन धरा पर सरस्वती के तट पर ही वेद, उपनिषेदों और पुराणों की रचना हुई। इतना ही नहीं सम्राट हर्षवर्धन की वैभवशाली राजधानी थानेसर भी यहीं पर है। कुरुक्षेत्र की इसी महता को जानते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने इसे महाभारत युद्ध के लिए चुना था, यहीं पर अर्जुन को कर्मयोग का दिव्य संदेश दिया, जो आज भी मानव के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
गीता विदेशियों का भी प्रिय ग्रंथ
मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता केवल दार्शनिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसकी व्यावहारिक जीवन में भी उपयोगिता है। यह ज्ञान-विज्ञान का अनूठा उदाहरण है, यहीं कारण है कि गीता भारतीयों को ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी प्रिय है। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने गीता जयंती पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में सरस और शिल्प मेले का आगाज 28 नवंबर से हो चुका है। इस महोत्सव ने पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान बना ली है।
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