(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। आज भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की चर्चा चल रही है। शिक्षा को मूल्यपरक बनाने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है, समाज को ज्ञान एवं विज्ञानमय बनाने का यत्न हो रहा है। इस दृष्टि से सर्वप्रथम हमें अपने छात्रों को भावनात्मक दृष्टि से शिक्षित करने की आवश्यकता है। अपने शाश्वत धर्म, संस्कृति, नीति एवं राष्ट्रीयता की शिक्षा को शिक्षा व्यवस्था में प्रमुख स्थान देने की आवश्यकता है। हमारे पूर्वजों ने ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में मानवता के विकास के लिए अद्वितीय योगदान किया है – यह जानकारी अपने छात्र-छात्राओं को देते हुए में गौरवभाव एवं आत्मविश्वास जागृत करने की आवश्यकता है।
इस भावना के साथ नवीन पुस्तक श्रृंखला का सृजन किया गया है। पुस्तकों का आकर्षक आवरण व चित्रमय सामग्री के साथ पुनर्लेखन किया गया है। इस योजना में विद्यालय के माध्यम से जुड़े अन्य विद्यालयों के विद्यार्थियों, अभिभावकों, समाज के अन्य बंधु- भगिनी सम्मिलित होते हैं जिससे उन्हें भी संस्कृति का ज्ञान प्राप्त हो सके। इसी उद्देश्य की पूर्ति से विद्या भारती एवं हिंदू शिक्षा समिति के संयुक्त तत्वाधान में कार्य कर रहे कुरुक्षेत्र के मोहन नगर में स्थित गीता निकेतन विद्या मंदिर में संस्कृति बोध परियोजना के अंतर्गत संस्कृति ज्ञान परीक्षा की नई पुस्तकों का विमोचन विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्याम लाल कौशल तथा प्रधानाचार्य यशपाल वधवा द्वारा विद्यार्थियों और अभिभावकों की उपस्थिति में किया गया।सभी को यह पुस्तक वितरित की गई। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीमान श्यामलाल कौशल जी ने सभी को शुभकामनाएं दी और इन पुस्तकों के माध्यम से बच्चों का चरित्र निर्माण होगा। उन्होंने कहा हम सभी को भारतीय संस्कृति को जानने एवं समझने में संस्कृति बोधमाला पुस्तक बहुत ही उपयोगी है ।ये पुस्तकें संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के लिए महत्वपूर्ण है।
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