Kurukshetra News : ‘जॉब सीकर की बजाए जॉब प्रोवाइडर’ बनें युवा-धर्मेन्द्र प्रधान

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Youth should become job providers instead of job seekers: Dharmendra Pradhan
  • केन्द्रीय शिक्षामंत्री ने आचार्य देवव्रत जी के प्राचीन संस्कारों के साथ आधुनिक शिक्षा ‘पेट्रर्न’ को सराहा
(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। देश के युवाओं को ‘जॉब सीकर की बजाए जॉब प्रोवाइडर’ बनने की जरूरत है क्योंकि बड़ा लक्ष्य लेकर मेहनत करने वालों को सफलता अवश्य मिलती है और हमारे देश के कई उद्योगपतियों ने इस बात को साबित भी किया है। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र की एन.डी.ए. विंग में छात्रों से सीधा संवाद कर रहे केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहे। धीरूभाई अंबानी, मुकेश अंबानी व नारायणमूर्ति जैसे उद्यमियों का नाम लेकर उन्होंने कहा कि इन लोगों ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत की और आज दुनिया में उनका नाम है। युवाओं को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि मेहनत के बिना कुछ हासिल नहीं होता।

जब हम कॉन्फिडेंस से आगे बढ़ेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।

हमें ‘कंफर्म और कॉन्फिडेंस के अंतर को समझना होगा। कई बार हम पूरी तरह कंफर्म न होने के चलते अपनी बात को आगे नहीं बढ़ा पाते और आगे बढ़ने से रूक जाते हैं, यह सोच हमें बदलनी होगी। जब हम कोई काम करते हैं तो उसमें गलती होने की भी संभावना होती है, हमें कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जब हम कॉन्फिडेंस से आगे बढ़ेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। इस अवसर पर गुरुकुल के संरक्षक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, पदम्श्री राघवेन्द्र तंवर, डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक बिग्रेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य आदि मौजूद रहे।  केन्द्रीय मंत्री ने आचार्यश्री के साथ गुरुकुल की अत्याधुनिक गोशाला, विद्यालय भवन, एन.डी.ए. विंग, आर्ष महाविद्यालय आदि प्रकल्पों का भ्रमण किया, साथ ही गुरुकुल के ब्रह्मचारियों के शारीरिक प्रदर्शन को निहारा। गुरुकुल में की जा रही प्राकृतिक खेती पर उन्होंने कहा कि आचार्य देवव्रत जी ने हमारी प्राचीन खेती प्रणाली को नया स्वरूप प्रदान किया है, वे प्रकृति प्रेमी है और हमेशा कुछ नया करते रहते है। प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती बेहद जरूरी है और देश के लाखों लोगों को प्राचीन खेती परम्परा के आधुनिक वर्जन से अवगत कराने का श्रेय आचार्य देवव्रत जी को जाता है।