Kurukshetra News : कर्तव्यपलायनता से कर्तव्यपराणयता की यात्रा है पवित्र ग्रंथ गीता : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद

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पवित्र ग्रंथ गीता कर्तव्य से कर्तव्य परायणता की यात्रा है: गीता विद्वान स्वामी ज्ञानानंद
पवित्र ग्रंथ गीता कर्तव्य से कर्तव्य परायणता की यात्रा है: गीता विद्वान स्वामी ज्ञानानंद

(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। गीता ज्ञान संस्थानम् में श्री कृष्ण कृपा जीओ परिवार द्वारा आयोजित दिव्य गीता सत्संग में प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता कर्तव्यपलायनता से कर्तव्यराणयता की यात्रा है।

जब अर्जुन ने शोक में डूबकर अपने कर्तव्य से पलायन किया। भगवान कृष्ण के मुख से गीता का उपदेश सुनने के पश्चात अर्जुन ने शरणागत होकर कहा कि हे ठाकुर जो आप कहोगे मैं वहीं करूंगा। इस प्रकार अर्जुन ने कर्तव्यपरायणता को निभाया। गीता मनीषी ने कहा कि कुछ पाने के लिए पात्र का खाली होना जरूरी है। मन से सभी प्रकार के विकार निकालकर मन को खाली करके ही कुछ प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन से सभी विकार निकालने जरूरी है और प्रभु के शरणागत होना आवश्यक है। आज के प्रवचन में हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरविंद्र कल्याण ने गीता मनीषी से आशीर्वाद लिया और गीता जी की आरती में शामिल हुए। ललित कुमार तथा बृजगुप्ता ने भी आरती में शामिल होकर गीता मनीषी का आर्शीवाद लिया।

गीता ज्ञान संस्थानम् में शुभारंभ हुआ श्री कृष्ण कृपा तीर्थामृत मंदिरम् का

इस अवसर पर स्वामी गुरु शरणानंद रमनरेती वाले ने अपने प्रवचन में कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए शिष्यत्व जरूरी है। शिष्यत्व के कारण ही एकल्व ने गुरु द्रोणाचार्य से इतना कुछ प्राप्त किया, जितना अर्जुन भी प्राप्त नहीं कर सका। भगवान के शरणागत होकर ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरुप तथा जैन संप्रदाय के विवेक मुनि ने भी अपना प्रवचन दिया।

श्री कृष्ण कृपा तीर्थामृत मंदिरम् का हुआ शुभारंभ

गीता ज्ञान संस्थानम में श्री कृष्ण कृपा तीर्थामृत मंदिरम् का शुभारंभ वेद मंत्रोउच्चारण के बीच गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी गुरुशरणानंद, ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरुप तथा विवेक मुनि द्वारा श्री अमृत कुंड में देश की पवित्र नदियों, पौरणिक तीर्थों व कूपों का जलभराव करके किया गया। गीता मनीषी ने बताया कि इस कुंड में 422 नदियों, तीर्थों, कूपों का जलभराव किया गया है। गंगोत्री से 10 हजार लीटर जल लाकर इस कुंड में डाला गया है। सभी तीर्थों का यह जल प्रसाद स्वरुप श्रदालुओं के लिए उपलब्ध रहेगा। स्वामी गुरुशरणानंद तथा ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने इस अमृत कुंड को स्थापित करने की प्रंशसा करते हुए कहा कि इससे जो लोग सभी तीर्थों की यात्रा नहीं कर सकते, उन्हें यह जल एक ही स्थान पर उपल्बध होने से सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त हो सकेगा।

देश के 422 पौराणिक तीर्थों, पवित्र नदियों और कूपों का जल डाला गया अमृत कुंड में

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद सुभाष बराला, जीओ गीता के राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप मित्तल, ब्रह्मचारी स्वामी शक्ति जी, स्वामी श्रीनाथ, स्वामी संपूर्णानंद दिल्ली वाले, करनाल जिला के प्रधान बृज गुप्ता, जीओ गीता के संयुक्त सचिव मदन मोहन छाबड़ा, विजय नरूला, धर्मवीर मिर्जापुर, रविंद्र सांगवान, धर्मवीर डागर, राजेंद्र चोपड़ा, सुनील वत्स, मंगतराम जिंदल, हंसराज सिंगला, अशोक अरोड़ा, मीडिया प्रभारी रामपाल शर्मा, खरैती लाल सिंगला सहित अनेक गण्मान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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