Kurukshetra News : तनाव और अवसाद मन के रोग, इनका उपचार केवल गीता में : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद

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तनाव और अवसाद मन के रोग, इनका उपचार केवल गीता में : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद
तनाव और अवसाद मन के रोग, इनका उपचार केवल गीता में : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद

(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। गीता ज्ञान संस्थानम् में श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित दिव्य गीता सत्संग के अंतिम सत्र में प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि तनाव व अवसाद मन के रोग है और इनका उपचार केवल सत्संग और भगवान का नाम जपने से हो सकता है। पवित्र ग्रंथ गीता को जीने से ही तनाव और अवसाद से मुक्ति पाई जा सकती हैं।

औषधी से तन का इलाज तो हो सकता है, लेकिन मन का इलाज नहीं हो सकता। अर्जुन को जब अवसाद हो गया था तब उस समय भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देकर उसके अवसाद को दूर किया। गीता उपदेश सुनने के पश्चात ही अर्जुन को अपने कर्तव्य का बोध हुआ। सत्संग के अंतिम सत्र का शुभारंभ हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने दीप प्रज्जवलित करके किया। गीता जी की आरती में हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी तथा थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा ने भाग लिया और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद तथा मंचासीन संतों का आर्शीवाद प्राप्त किया। सत्संग में स्वामी धर्मदेव, स्वामी ईश्वर दास, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी चेतन आनंद तथा अयोध्या से आए संत कमलनयन दास ने भी अपने प्रवचन दिए।

हरियाणा के मंत्री कृष्ण बेदी, श्याम सिंह राणा तथा विधायक अशोक अरोड़ा ने सत्संग में शामिल हो लिया संतों का आशीर्वाद

गीता मनीषी ने कहा कि गीता सभी की है और सभी के लिए है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के अंदर की मानसिकता सुधारने के लिए गीता का उपदेश दिया। पवित्र ग्रंथ गीता समस्त विश्व का अलौकिक ग्रंथ है। इसमें जीवन जीने के नए-नए सूत्र बताए गए है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को नियमित्त बनाकर विश्व को गीता का उपहार दिया। गीता भीतर के अवसाद को निकालकर मन को मजबूत बनाती है।

क्रोध को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए गीता मनीषी ने बताया कि सभी विवादों के मूल में क्रोध है, इसलिए व्यक्ति को क्रोध में नहीं आना चाहिए। क्रोध का परिणाम अच्छा नहीं होता। गाय, गंगा और गीता पर बोलते हुए गीता मनीषी ने कहा कि गाय में सभी देवताओं का वास होता है और गंगा भगवान के चरणों से निकला हुआ अमृत है। गीता जीवन का आधार है और मां जैसा वात्सल्य गीता देती है। सनातन धर्म की दिव्यता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे अलौकिक और प्राचीनतम धर्म है, जो कि सृष्टि के उत्पन्न होने से चला आ रहा है। गीता मनीषी ने कहा कि जहां पाने की लालसा होती है, वहां मोह होता है और जहां देने की प्रवृत्ति होती है, वहां प्रेम होता है। गीता प्रेम करना सिखाती है। गीता प्रेम का गीत है, जो कि कर्तव्यपरायणता की प्रेरणा देती है।

11 दिसंबर को 11 बजे एक मिनट एक साथ गीता पाठ का आह्वान किया गीता मनीषी ने

गीता मनीषी ने आह्वान किया कि 11 दिसंबर एकादशी के दिन गीता जयंती के अवसर पर 11 बजे एक मिनट एक साथ पूरे विश्व में गीता पाठ किया जाएगा। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वें वैश्विक सामूहिक गीता पाठ में शामिल होकर पुण्य के भागी बनें।

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