Kurukshetra News : आयुर्वेद से हो रहा स्जोग्रेंस सिंड्रोम जैसी अनुवांशिक बीमारी का सफल इलाज

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Ayurveda is successfully treating genetic diseases like Sjogren's syndrome
डा. राजा सिंगला।
(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। यदि आपके मुंह में लार बननी बंद हो गई है या फिर आंखों से आंसू नही आते तो आप स्जोग्रेंस सिंड्रोम अनुवाङ्क्षशक बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में घबराने की आवश्यकता नही है क्योंकि स्जोग्रेंस सिंड्रोम बीमारी का श्री कृष्णा आयुष विश्विद्यालय में ईलाज उपलब्ध है।

मुंह से लार व आंखों से आंसू सूख जाते हैं स्जोग्रेंस सिंड्रोम बीमारी में

आयुर्वेद से स्जोग्रेंस सिंड्रोम जैसी अनुवांशिक बीमारियों का भी सफल ईलाज हो रहा है। श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजा सिंगला के ईलाज से स्जोग्रेंस सिंड्रोम के अनेकों मरीजों का ईलाज सही दिशा में चला और उनके मुंह में लार बननी जहां शुरु हो गई वहीं आंखों से आंसू भी आने लगे। डा. राजा सिंगला के अनुसार अब तक 162 मरीजों का ईलाज सही दिशा में चल रहा है। 23 जुलाई को विश्व स्जोग्रेंस दिवस मनाया जाता है। यह दिवस स्जोग्रेंस सिंड्रोम के बारे में जागरुकता बढ़ाना व इस बीमारी से पीडि़त लोगों का समर्थन करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के निदान, लक्षणो व उपचार के बारे में जानकारी देना है।

क्या है स्जोग्रेंस सिंड्रोम

डा. राजा सिंगला के अनुसार स्जोग्रेंस सिंड्रोम ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की नमी पैदा करने वाली ग्रंथियों पर हमला करती है जिससे आंख व मूह में सूखापन होता है। ऑटो-इम्युन एक अनुवांशिक बीमारी है। इसका एक मुख्य कारण विरुद्ध आहार विहार, खराब जीवन शैली, पर्यावरण कारण होता है। जिसकी वजह से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुक्सान पहुंचता है। स्जोग्रेंस सिंड्रोम मे मरीज को आँखो में सूखापन, मुँह में सूखापन व छाले होना, शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होना, बालों का झडऩा, शरीर पर चत्तके आना, थकान होना आदि लक्षण मिलते है।  यह आमतौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है और महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। अन्य चिकित्सा प्रणालियों में इसका केवल लाक्षणिक इलाज देखने को मिलता है। परन्तु आयुर्वेद में लक्षणों को कम करने के साथ-2 शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जाता है। इसके इलाज में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले विभिन्न योगों व एकल द्रव्यो का प्रयोग किया जाता है। पंचकर्म में वर्णित विभिन्न प्रकार की बस्तियों, अक्षितर्पण व नेत्र धारा आदि का प्रयोग किया जाता।

पिछले 13 वर्षों से कर रहे ऑटोइम्यून रोगों पर काम

डॉ राजा सिंगला पिछले 13 साल से ओटोइम्यून रोगो पर काम कर रहे हैं और स्जोग्रेंस सिंड्रोम के 150 से अधिक मरीजों का सफल इलाज कर रहे है।  डा. सिंगला ने बताया कि उन्होने स्जोग्रेन सिंड्रोम के मरीजों को आयुर्वेदिक कषाय, पंचकर्म चिकित्सा, कवल गण्डूष, ऑयल पुलिंग और धूम वाष्प स्वेदन व आयुर्वेदिक औषधियों से संस्कारित गौ घृत से ठीक किया है।
अपने अनुभवों को सांझा करते हुए हैदराबाद निवासी अंजलि कृष्णा ने बताया कि वह 57 वर्ष की हैं। नवंबर 2022 के महीने में शुष्क मुँह के साथ-साथ उसकी आँखों में गंभीर जलन और किरकिरापन का अनुभव हो रहा था। एक नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद हर घंटे 2 बार आई ड्रॉप्स और स्टेरॉयड दिए गए। हालाँकि, स्थिति 15 दिनों से अधिक समय तक बनी रही और सुधार के कोई संकेत नहीं मिले। इसके बाद विशेषज्ञ को बदल दिया, जो इसे स्जोग्रेंस सिंड्रोम के रूप में पहचानने में सक्षम था। समस्या और इसके निहितार्थों के बारे में पढऩे के बाद तुरंत परामर्श के लिए हैदराबाद में एलवी प्रसाद इंस्टीट्यूट पहुंचा। यूट्यूब के माध्यम से देखने पर वीडियो भी मिले जिनमें समस्या का वर्णन किया गया था और डॉक्टर के बारे में उल्लेख किया गया था। वहीं से मुझे श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के बारे में पता चला। पहला प्रोटोकॉल 45 दिनों के लिए था और उसकी किस्मत और अद्भुत दवा के कारण वह 20 दिनों के भीतर ही कुछ आराम के साथ ठोस भोजन निगलने में सक्षम हो गयी क्योंकि लार का प्रवाह शुरू हो गया था, जिसमें तब से अब तक सुधार हो रहा है। जहां तक मेरी आंखों की बात है तो एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट के अनुसार लालिमा कम हो गई है, लगभग अब चली ही गई है। किरकिरापन भी काफी हद तक कम हो गया है, रोजाना होने वाली जलन कम हो गई है और कोई सूजन नहीं है।
डा. राजा सिंगला ने एक ओर मरीज का जिक्र करते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर से प्रीति पिछले 8 महीने से स्जोग्रेंस सिंड्रोम से पीडि़त थी। सर्दियों में उसकी उंगलियों के सिरे नीले पड़ जाते थे जिससे बहुत तकलीफ होती है। 8 महीने पहले  अपनी कोहनी, हाथ और पैरों में दर्द महसूस हुआ था। परीक्षण में स्जोग्रेंस सिंड्रोम के प्रति अत्यधिक सकारात्मक थी। इसके बाद किसी ने इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, नई दिल्ली मे ईलाज कराने का सुझाव दिया। एक दिन श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र, हरियाणा के बारे पता चला। सजोग्रेन सिंड्रोम के बारे में एक लेख पढ़ा। डॉक्टर के लेख पढऩे के बाद उन्होंने वहां जाने का सुझाव दिया। अब प्रीति पिछले तीन महीने से डॉ. राजा सिंगला की निगरानी में हैं। अब मेरे जोड़ों में दर्द कम है, सुबह की अकडऩ कम है, वजन कम हो गया है, आंखों और मुंह में सूखापन नहीं है।
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