सावन अमावस्या पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर में हुआ हरियाली अमावस्या एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन

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Kurukshetra News/Akhil Bhartiya Shri Markandeshwar Janseva Trust
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  • नारायण नाग-नागबली या त्रिपिंडी श्राद्ध से मिलती है तीन ऋणों से मुक्ति  
आज समाज डिजिटल, Kurukshetra News :
इशिका ठाकुर, कुरुक्षेत्र : अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी एवं संतों के सान्निध्य में सावन मास पूजन के चलते वीरवार को हरियाली अमावस्या के अवसर पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में विधिवत मंत्रोच्चारण के त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन किया गया। इस पूजन में पितरों की शांति एवं जीवन के तीन ऋण मुक्ति के लिए यजमान के तौर पर दिल्ली, चण्डीगढ़, फरीदाबाद, करनाल, पानीपत, अम्बाला तथा लुधियाना इत्यादि क्षेत्रों से श्रद्धालु पूजन के लिए पहुंचे।

 

 

 

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सावन महीने में अमावस्या का बहुत महत्व

महंत जगन्नाथ पुरी के मार्गदर्शन में प. शुभम ने यह पूजन सम्पन्न करवाया। प. शुभम ने बताया कि हर मनुष्य के जीवन में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं। जिनमें पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण हैं, इन तीनों ऋणों से बचने एवं मुक्ति के लिए ही पूरे विधि विधान से त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन किया जाता है। पूजन के उपरांत दान इत्यादि किया गया। महंत जगन्नाथ पुरी ने पूजन के उपरांत बताया कि सावन महीने में अमावस्या का बहुत महत्व है। भगवान शिव की पूजा ही प्रकृति पूजा है। प्रकृति एवं ब्रह्म का यह पूजन भगवान शिव और जीव को मिलाने वाला है। उन्होंने हरियाला अमावस्या का जहां महत्व बताया वहीं कहा कि यह पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पण करने का यह पर्व है।

 

 

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सावन अमावस्या पर त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन से पूर्ण निवारण होता है

उन्होंने बताया कि श्राद्ध व पितृ पक्ष में अक्सर देखते हैं कि कई लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि दोष के निवारण के लिए सावन अमावस्या पर त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन से पूर्ण निवारण होता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि नारायण बलि और नागबलि दोनों विधि मनुष्य की अपूर्ण इच्छाओं और अपूर्ण कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। इसलिए दोनों को काम्य कहा जाता है। उन्होंने बताया कि नारायण बलि और नागबलि दो अलग-अलग विधियां हैं। नारायण बलि का मुख्य उद्देश्य पितृ दोष निवारण करना है और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है।

 

 

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एक विधि करने से उद्देश्य पूरा नहीं होता

इनमें से कोई भी एक विधि करने से उद्देश्य पूरा नहीं होता इसलिए दोनों को एक साथ ही संपन्न करना पड़ता है। इसी प्रकार त्रिपड़ी श्राद्ध पूजन सम्पन्न होता है। इस अवसर पर परमवीर सिंह, अमरजीत कौर, नितिन नयैर, गुरप्रीत कौर, गुरमुख, जशप्रीत, भूरा सिंह, हुकम सिंह, अमरजीत सिंह, दलजीत कौर, हरप्रीत कौर, सुमित, जसविंदर सिंह, बलजिंद्र सिंह, सतनाम सिंह इत्यादि ने त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन करवाया। इस मौके पर स्वामी सीताराम, स्वामी संतोषानंद, स्वामी अमर दास, मयूर गिरि, प. भारत भूषण, दलबीर संधू, बलजीत गोयत, भाणा राम नांगरा, मांगाराम नांगरा, विकास गुप्ता, बिल्लू पुजारी, सुखप्रीत सिंह, नाजर सिंह, अंग्रेज सिंह व सुक्खा सिंह इत्यादि भी मौजूद थे।