- रत्नावली महोत्सव में 54 स्टालों पर युवाओं ने दिखाई प्रतिभा
(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। 37वें रत्नावली महोत्सव में लगे क्राफ्ट मेले में स्वालम्बी भारत की झलक दिखाई दी। युवा कलाकारों द्वारा बनाए गए उत्पाद लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे। महोत्सव के पहले दिन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रो. बीवी रमन्ना रेड्डी, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, विशिष्ट अतिथि केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल व राष्ट्रपति अवार्डी प्रेम देहाती ने विधिवत् रूप से क्राफ्ट मेले का उद्घाटन किया।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के उप-निदेशक डॉ. गुरचरण सिंह ने बताया कि क्राफ्ट मेले में 54 स्टाल लगाए गए हैं जिसमें कुवि के ललित कला विभाग, यूनिवर्सिटी सीनियर सैकेंडरी मॉडल स्कूल, टूरिज्म विभाग, गृह विज्ञान विभाग, मैनेजमेंट विभाग, जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए स्वदेशी उत्पादों व खान पान की वस्तुओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। क्राफ्ट मेले में ललित कला विभाग के 135 छात्र 13 स्टालों पर अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे है जिसमें विद्यार्थियों द्वारा हाथों से निर्मित पेंटिंग, कैलीग्राफिक, दीपावली पर घर सज्जा का सामान, पेपर से निर्मित सामान सहित साज सज्जा का सामान तैयार किया गया है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल के छात्रों के विद्यार्थियों द्वारा हाथ से निर्मित सामान शिक्षक अमित कुमार व विनय कुमार के मार्गदर्शन में निर्मित किया गया है। स्कूल के छोटे बच्चों द्वारा तैयार किया गया सामान लोगों को आकर्षित कर रहा है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा व प्रो. बीवी रमन्ना रेड्डी ने युवा कलाकारों की खुले दिल से प्रशंसा की ओर छात्रों को भविष्य में आगे बढ़ने और बेहतर कार्य करने का आशीर्वाद दिया। खासतौर पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने छात्रों को आत्मनिर्भर बनने पर शुभकामनाएं दी और कहा कि रत्नावली महोत्सव एक मनोरंजन का महोत्सव नहीं है बल्कि यह एक प्रयोगशाला है जहां छात्रों के कौशल को निखारा जाता है वहीं छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए मंच प्रदान किया जाता है। क्राफ्ट मेले में छात्र अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं और उन्हें पता चल रहा है कि लोगों की उनसे क्या अपेक्षाएं हैं और जीवन में उन्हें किस प्रकार अपने उत्पाद को ओर बेहतर बनाना है। इसके अलावा क्राफ्ट मेले में ललित कला विभाग के शिक्षकों की पेंटिंग प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें डॉ. गुरचरण, डॉ. पवन, डॉ. मोनिका, डॉ. राकेश बानी, डॉ. आनंद जायसवाल, डॉ. आरके सिंह, सुशील कुमार, चन्द्रीमदास सहित अन्य शिक्षक व शोधार्थियों की पेटिंग प्रदर्शित की गई।
26 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि रत्नावली महोत्सव के दूसरे दिन 26 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हॉल में सोलो डांस (महिला), फॉक कॉस्ट्यूम पुरुष एवं महिला, हरियाणवी फैशन शो, हरियाणवी फॉक ऑरकेस्ट्रा, आरके सदन में हरियाणवी लोकगीत, हरियाणवी गजल व मोनो एक्टिंग, ओपन एयर थियेटर में हरियाणवी स्किट एवं टिट-बिट्स, सीनेट हॉल में हरियाणवी क्विज (प्री), शॉर्ट फिल्म (इन हरियाणवी ओर ऑन हरियाणा), खुला मंच पर सांग प्रतियोगिता का आयोजन होगा तथा क्रश हॉल में एंटिक हरियाणवी संग्रह प्रदर्शनी बोहिया, इंडी, पिड्डा, बिंदरवाल को प्रदर्शित किया जाएगा।
कहकर उल्टा नहीं फिर फिरूंगा…….
रागनियों के माध्यम से लोक मर्यादा का बताया महत्व
रत्नावली महोत्सव में युवा गायकों ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ओपन एयर थिएटर में रागनी प्रतियोगिता में लोगों को रागनियों के माध्यम से लोक मर्यादा में रहने का महत्व बताया। हरियाणवी लोक संस्कृति, यहां के लोगों का रहन-सहन, दिनचर्या, लोक व्यवहार, वेशभूषा, तीज त्यौहार और लोक मर्यादा के बारे में संदेश दिया। प्रतियोगिता में सबसे पहले एस यू एस गवर्नमेंट कॉलेज करनाल ने ’कहकर उल्टा नहीं फिर फिरूंगा , गौरा के दुख करूंगा दूर“ करूंगा कि शानदार प्रस्तुति दी। इसके पश्चात आर्य पीजी कॉलेज पानीपत, गवर्नमेंट कॉलेज पलवल, और राजीव गांधी महिला महाविद्यालय उचाना के विद्यार्थियों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम के निर्णायक मंडल में इन्द्र सिंह लाम्बा, गुलाब सिंह (जाट मेहर सिंह की आवाज से सम्मानित), सतीश कुमार (हरियाणा के सम्मानित गायक) सम्मिलित रहे। सभी प्रतिभागियों ने रागनी के द्वारा हरियाणवी संस्कृति का संदेश दिया।
हरियाणवी रीति रिवाजों की प्रस्तुतियों ने मोहा सबका मन
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आरम्भ हुए रत्नावली महोत्सव के पहले दिन ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित हरियाणवी रीति रिवाज (रिचुअल) प्रतियोगिता मंें हरियाणवी रीति रिवाजों ने सबका मन मोह लिया। युवा पीढ़ी को जहां अपने समृद्ध रीति-रिवाजों से रूबरू होने का मौका मिला वहीं बुजुर्गो को अपने दिन याद आ गए। ज्योतिबा फुले गवर्नमेंट कॉलेज, रादौर ने प्रतियोगिता की शुरुआत “बान” नामक हरियाणवी रस्म के प्रदर्शन से की। यह रस्म शादी से पहले निभाई जाती है। उनकी ऊर्जावान प्रस्तुति ने पूरे सभागार में उत्साह भर दिया।
दूसरा प्रदर्शन राजीव गांधी महिला कॉलेज, उंचाना, जींद की टीम ने किया, जिसमें उन्होंने शादी से पहले की रस्म “खोड़िया” का प्रदर्शन किया। उन्होंने खोड़िया से जुड़े लोकगीतों को भी प्रस्तुत किया, जिससे उनकी प्रस्तुति में संगीत का एक सुंदर स्पर्श जुड़ गया। बुद्धा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स, करनाल ने भी शानदार प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद, डीएवी गवर्नमेंट कॉलेज, अंबाला सिटी ने “भात” रस्म का सुंदर प्रदर्शन किया, जो शादियों में परिवार के प्रेम और समर्थन को दर्शाती है। केएम गवर्नमेंट कॉलेज, नरवाना ने भी “खोड़िया” रस्म का जोशपूर्ण प्रदर्शन कर उसकी गहरी समझ को उजागर किया। गवर्नमेंट कॉलेज, जींद ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से कार्यक्रम का समापन किया, जिसने दर्शकों को हरियाणवी परंपराओं की सुंदरता और महत्व से अभिभूत कर दिया और विभिन्न प्रतिभागियो ने भी भाग लिया । इस प्रतियोगिता ने हरियाणवी रीति-रिवाजों की विविधता और सुंदरता को सफलतापूर्वक उजागर किया और क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव मनाते हुए सामुदायिक भावना को बढ़ावा दिया।