Kurukshetra News : दशहरे के पर्व पर अच्छाई की विजय का प्रतीक दशहरे पर स्कूल के प्रांगण में लंका नरेश रावण का 30 फूट का पुतला बनाकर जलाया गया

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A 30-foot effigy of Lanka King Ravana was made and burnt in the school premises
रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेकेंडरी स्कूल एवं दिल्ली पब्लिक स्कूल मंगोली जाटान में दशहरे के अवसर पर रावण का दहन करने से पूर्व का दृष्य।

(Kurukshetra News) बाबैन। रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेकेंडरी स्कूल एवं दिल्ली पब्लिक स्कूल मंगोली जाटान में दशहरे का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक दशहरे पर स्कूल के प्रांगण में लंका राज रावण का 30 फूट का पुतला बनाकर जलाया गया।

पुतले में आग लगते ही सारा स्कूल श्री रामचंद्र जी की जय के जयकारों से गूंज उठा । इस अवसर पर स्कूल के चेयरमैन कृपाल सिंह व स्कूल स्टाफ व बच्चों सहित उपस्थित थे । इस अवसर पर चेयरमैन कृपाल सिंह ने कहा श्री राम जी हमारे आदर्श हैं। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में संयम और अनुशासन को अपनाना चाहिए। प्रिंसिपल मैडम ने सब को संबोधित करते हुए कहा कि दशहरा जिसे विजयादशमी और आयुध पूजा भी कहते हैं हिंदुओं का मुख्य त्यौहार है जो अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

यह त्योहार असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से संबंधित और अधिक जानकारी देते हुए प्रिंसिपल मैम ने कहा कि भारतीय त्योहारों की सबसे अच्छी बात यह है कि उनमें से अधिकांश नैतिक शिक्षा लेकर आते हैं। विजयदशमी का त्यौहार भी उज्ज्वल चरित्र निर्माण करने की प्रेरणा देता है। हमें श्री रामचंद्र जी के जीवन से प्रेरित होकर अपने जीवन को उनके नियमों के अनुसार चलाना चाहिए। एक कहावत भी है-यदि धन गया तो, कुछ नहीं गया। यदि स्वास्थ्य गया तो, कुछ गया। लेकिन यदि चरित्र गया तो, सब कुछ गया।

इस दिन दशहरे के शुभ अवसर पर पर स्कूल में रामायण से जुड़े अनेक घटनाओं को नाटकीय रूप में बच्चों ने प्रस्तुत किया । बच्चों ने इस बात को सिद्ध करने का प्रयास किया की बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो फिर भी अच्छाई के हाथों अवश्य पराजित होती है- जैसे रावण भले ही बहुत विद्वान और शक्तिशाली था लेकिन अंत में अपने अहंकार और कुकृत्यों के कारण श्री रामचंद्र जी के द्वारा मारा जाता है। अंत में वहां उपस्थित चेयरमैन कृपाल सिंह ने भी सभी बच्चों को श्री रामचंद्र जी के जीवन-चरित्र को अपनाने व उनके द्वारा दी गई। शिक्षाओं पर चलने का संदेश दिया अपने व उनके संदेश दिया।

 

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