(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। प्राचीन साहित्य में आर्थिक प्रबंधन से ही भारत सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात हुआ है। वेदों, उपनिषदों, अर्थशास्त्र, पुराणों में आर्थिक प्रबंधन की जो व्यवस्था प्रदान की गई है। उसकी बदौलत ही भारत पूरे विश्व में विख्यात हुआ है। 19वीं सदी में पूरे विश्व का एक तिहाई जीडीपी भारत की अर्थव्यवस्था से पैदा हुआ। भारत का इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह उद्गार सुल्तानपुर प्रशिक्षण केन्द्र के आईपीएस अधिकारी ब्रजेश कुमार मिश्रा ने बतौर मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक संघ के 107वां वार्षिक सम्मेलन में रविवार को समापन सत्र में अपने सम्बोधन में उपस्थित अर्थशास्त्रियों को सम्बोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि महाभारत, गीता में भी आर्थिक प्रबंधन की भारतीय परम्परा को दर्शाया गया है। इसके साथ ही चाणक्य एवं कौटिल्य का अर्थशास्त्र इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आवश्यकता है वर्तमान और प्राचीन अर्थव्यवस्था प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित कर नए स्वरूप में प्रस्तुत करने की।
प्राचीन साहित्य में आर्थिक प्रबंधन से ही सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात हुआ भारतःब्रजेश कुमार मिश्रा
अंतिम दिन कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ओडिशा के राज्यपाल के सलाहकार प्रो. शुक्ला मोहंती की अध्यक्षता में एनएसई-आईईए वित्तीय अर्थशास्त्र व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की गई। व्याख्यान प्रो. पार्थ राय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग मैनेजमेंट, पुणे के निदेशक द्वारा दिया गया, जिन्होंने वित्तीय अर्थशास्त्र की विकसित गतिशीलता और आत्मनिर्भर और सतत भारत के निर्माण में उनके महत्व पर चर्चा की।
सम्मेलन के अंतिम दिन आत्मनिर्भर भारत के प्रेरक तत्व पर पैनल चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के मानद चेयर प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) प्रो. मनमोहन कृष्ण ने की। प्रो. गणेश कवाड़िया, प्रो. के.एस. नायर, प्रो. लखविंदर सिंह, प्रो. कन्हैया आहूजा और प्रो. बी.पी. सरथ चंद्रन सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने भारत की आर्थिक लचीलापन को मजबूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए संस्थागत ढांचे को बढ़ाने पर बहुमूल्य विचार साझा किए।
इस अवसर पर आत्मनिर्भर भारत के उत्प्रेरक विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता प्रो. वीरभद्र, पूर्व कुलपति, केवम्बू विश्वविद्यालय, कर्नाटक ने की। इसके अतिरिक्त इस सत्र में प्रो. केएस नैयर, प्रो. कन्हैया आहूजा, प्रो. बीपी शरथ चन्द्रन और डॉ. शरणप्पा सैदपुर ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर व्याख्यान दिए।
इस सम्मेलन में आईईए के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य और देश भर के प्रतिष्ठित कुलपतियों जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। सत्र में विशेष संबोधन, मुख्य अतिथि का समापन भाषण और संयोजक प्रो. अंग्रेज सिंह राणा और स्थानीय आयोजन सचिव प्रो. अशोक कुमार चौहान ने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं भारतीय आर्थिक संघ के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के सहयोग के बिना अखिल भारतीय स्तर का यह सम्मेलन संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ के प्रधान सहित सभी अधिकारियों का आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस आयोजन से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गरिमा राष्ट्रीय स्तर पर ओर अधिक बढ़ी है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी की याद में स्मृति व्याख्यान आयोजित
डॉ मनमोहन सिंह जी की याद में श्रद्धांजलि स्वरुप एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भारतीय आर्थिक संघ के प्रेसिडेंट प्रोफेसर तपन कुमार शिंदे ने की. स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर मनोहर कृष्ण, चेयर प्रोफेसर नीति आयोग ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्थान में डॉ मनमोहन सिंह की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बतौर एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला।
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