कुरुक्षेत्र

Kurukshetra International Geeta Mahotsav : असम की लोक संस्कृति से रूबरू करवा रहा है असम का पवेलियन

  • असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर से लेकर श्रीकृष्ण की लीलाओं का किया गया है चित्रण, गुरुकुल पद्धति के भी किए जा सकते है दर्शन

Aaj Samaj (आज समाज), Kurukshetra International Geeta Mahotsav, कुरूक्षेत्र, इशिका ठाकुर
इस बार कुरुक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा के पतन राज्य असम पवेलियन के द्वारा बनाये पावेलियान मे पर्यटकों को नजदीक से असम की संस्कृति, लोक कला को देखने का अवसर मिल रहा है। असम पैवेलियन में आसाम के टे्रडिशनल घरों एवं वहां के ग्रामीण आंचल में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को डैमों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

आसामी संस्कृति में प्राचीन काल से मुखौटों का एक बड़ा महत्व रहा है और इन मुखौटों के माध्यम से ही रामायण, महाभारत तथा भगवान कृष्ण के बाल्यकाल में पुतना वध की स्टोरी को प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा सत्रह संस्कृति को भी दिखाया गया है। गुरुकुल पद्धति गुरु शिष्य की परंपरा को भी प्रदर्शनी में दिखाया गया है।

असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर से लेकर भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन चित्रों के माध्यम से प्रदर्शनी स्थल पर किया गया है, जो कि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। इस आसाम पवेलियन प्रदर्शनी लगाए मेघाली सेतिया ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर अपने वस्त्रों की स्टोल लगाई हुई है जो उनके वहां के ट्रेडिशनल वस्त्र हैं इसमें सभी वर्ग के लिए वह वस्त्र लेकर आए हैं। प्रदर्शनी में असम का पूरा कल्चर स्टॉल एवं मंच के माध्यम से कलाकारों द्वारा पर्यटकों को जानकारी दी जा रही है। असम के प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। हैंडमेड बांस के बने सामान को भी आसाम पैवेलियन में स्टॉलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। बांस आसामी जनजीवन शैली में क्या महत्व रखता है तथा बांस का प्रयोग किस प्रकार से दैनिक जीवन में उपयोग में लाया जाता है यह भी बारीकी से दिखाया गया है।

असम से आई हुई रत्ना रॉय ने बताया कि टे्रेडिशन खान-पान जिसमें प्रसिद्ध पीठा जो कि भीगे हुए चावल को पीसकर बनाया जाता है, को भी स्टॉल पर बनाकर पर्यटकों को दिखाया जा रहा है और पर्यटक उसका उचित दाम पर स्वाद चख रहे हैं और इसी प्रकार आसाम की प्रसिद्ध चाय जो कि केवल दूध और चाय पत्ती से तैयार की जाती है और उसका भी स्वाद पर्यटक ले रहे हैं। बुकाखात जो कि असम की एक प्रसिद्ध जगह है और वहां के खान-पान को भी पर्यटक आसाम पैवेलियन में बड़ी उत्सुकता से देख रहे हैं।

असम पैवेलियन में ही हस्तनिर्मित वस्त्र से सजी स्टॉल जिसमें मैकला चादर जिसे महिलाएं साड़ी की तरह पहनती है तथा लाल चंदन के बीज से बनी माला भी महिला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। असम का गमछा, जिसे हरियाणा में परणा या तोलिया भी कहते हैं, उसे भी पर्यटक काफी पसंद कर है और उसे खरीद भी रहे हैं। इसके अलावा जलकुम्भी से तैयार किया गया लैपटॉप बैग, लेडिज पर्स आदि सामान तथा सुपारी/तामुल के पेड़ तैयार डिस्पोजल प्लेट, केले के पेड से तैयार कपड़ा भी पवेलियन में आने वाले पर्यटकों का दिल अपनी ओर खींच रहा है।

टेराकोटा/मिट्टी से तैयार डेकोरेशन का सामान जो कि किसी समय में राजा-महाराजाओं के महलों की शोभा बढ़ाता था, ऐसा सामान भी जो कि हाथ से तैयार किया गया है, वह भी स्टॉल पर प्रदर्शित किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को दूर-दूर से देखने के लिए देश के विभिन्न कोने कोने से पर्यटक आ रहे हैं। जिला बहादुरगढ़ से आए नरेश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव अपने आप में एक अनूठा महोत्सव है और यहां पर आने से लोगों को अपनी प्राचीन संस्कृति के बारे विस्तार से जानकारी मिलती है और इसके साथ-साथ अध्यात्मिक शान्ति भी मन को मिलती है। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा की प्राचीन संस्कृति की जानकारी तो थी लेकिन असम की संस्कृति एवं वहां की लोककला को देखने का मौका अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लगाए गए आसाम पैवेलियन में देखने को मिला।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से लोगों खासकर युवा पीढी को हरियाणवी संस्कृति के साथ असम की संस्कृति को भी नजदीक से जानने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में पहुंचकर बच्चों एवं युवाओं को अपनी संस्कृति के साथ-साथ असम की संस्कृति के बारे भी जानकारी लेनी चाहिए। जिससे पता चलेगा कि भारत किस प्रकार से विभिन्नता में एकता का देश है।

Shalu Rajput

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